‘लोगों के चीथड़े उड़े, सड़कों पर बिखरे मांस के टुकड़े, चारों ओर फैला खून....’ चश्मदीद ने सुनाया दिल्ली ब्लास्ट हादसे का रुह कंपाने वाला मंजर
punjabkesari.in Tuesday, Nov 11, 2025 - 06:33 PM (IST)
नेशनल डेस्क: सोमवार शाम करीब 7 बजे दिल्ली के लाल किले के पास हुए हादसे ने लोगों को झझकोरने पर मजबूर कर दिया है। लाल किले के पास लाल बत्ती पर एक i20 कार के रुकते ही भीषण धमाका हुआ, जिसने कुछ ही सेकंड में पूरे इलाके को दहशत में डुबो दिया। यह धमाका इतना शक्तिशाली था कि i20 कार आग का गोला बनकर कई मीटर ऊपर उछली। आसपास खड़ी गाड़ियाँ एक झटके में खाक हो गईं। सड़क पर लोगों के चीथड़े उड़ गए, और जो लोग बच गए, उन्होंने मौत को बिल्कुल करीब से महसूस किया।
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अस्पताल के बिस्तर पर लेटे, लाल किले के पास ढाबा चलाने वाले राम प्रताप ने उस खौफनाक मंजर को याद किया। उन्होंने बताया, "लोग सड़क पर पड़े थे। कुछ खून से लथपथ थे, कुछ बिल्कुल भी हिल-डुल नहीं रहे थे। हर तरफ खून ही खून था।"
राम प्रताप अपनी दुकान बंद करने की तैयारी कर रहे थे, तभी धमाका हुआ। उन्होंने कहा,"शोर इतना तेज़ था कि कुछ सेकंड तक मुझे कुछ भी सुनाई नहीं दिया। कांच के टुकड़े हम पर गिरे और चारों ओर घना धुआँ फैल गया।"
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पता ही नहीं चला कि कौन जिंदा है
राम प्रताप ने आगे बताया कि धमाके के बाद का माहौल कितना भयानक था। उन्होंने कहा, "लोग नाम पुकार रहे थे, रो रहे थे, अपने परिवारों को ढूँढ रहे थे। कुछ मिनटों तक किसी को पता ही नहीं चला कि कौन जिंदा है। मेरे अपने हाथ से भी बुरी तरह खून बह रहा था, लेकिन मुझे तब इसका एहसास भी नहीं हुआ।"
ढाबे से कुछ दूरी पर अपने पानी के टैंकर को खड़ा करने वाले विजेंद्र यादव भी इस त्रासदी के गवाह बने। विजेंद्र ने बताया, "विस्फोट ने मुझे जमीन पर गिरा दिया। जब मैं उठा, तो मेरे कपड़े खून से लथपथ थे। मैंने सड़क पर लाशें, कांच के टुकड़े और मांस के टुकड़े बिखरे देखे। लोग चीख रहे थे, कुछ भाग रहे थे। वह आवाज़ आज भी मेरे कानों में गूंज रही है। मुझे लगा था कि मैं अपनी पत्नी और बच्चों को फिर कभी नहीं देख पाऊंगा।"
