चौंकाने वाली रिपोर्ट: दुनियाभर में हर 2 मिनट में गर्भवती महिला की हो रही मौत, जानिए क्या हैं इसके छिपे कारण?
punjabkesari.in Sunday, Jun 08, 2025 - 02:12 PM (IST)

नेशनल डेस्क। दुनियाभर में मातृ मृत्यु दर एक गंभीर चिंता का विषय बनी हुई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार साल 2023 के दौरान हर दो मिनट में एक गर्भवती महिला ने अपनी जान गंवा दी। यह आँकड़ा बेहद चौंकाने वाला है क्योंकि 2023 में वैश्विक स्तर पर करीब 2.60 लाख महिलाओं की मौत प्रेग्नेंसी और डिलीवरी के दौरान या उसके बाद हुई। हालांकि एक राहत की बात यह है कि साल 2000 से 2023 के बीच मातृ मृत्यु दर में 40 फीसदी की कमी आई है।
तो आखिर क्या हैं वे कारण जिनकी वजह से इतनी बड़ी संख्या में महिलाएँ प्रेग्नेंसी और डिलीवरी के दौरान अपनी जान गंवा देती हैं? आइए जानते हैं विस्तार से।
क्या है मातृ मृत्यु?
डब्ल्यूएचओ के मुताबिक मातृ मृत्यु से आशय उस महिला की मृत्यु से है जो गर्भावस्था के दौरान डिलीवरी के समय या डिलीवरी के 42 दिनों के भीतर अपनी जान गंवा देती है। इन मामलों का सीधा संबंध प्रेग्नेंसी या उसके मैनेजमेंट से होता है। अमेरिकन कॉलेज ऑफ ओब्स्टेट्रिशियन्स एंड गायनेकोलॉजिस्ट्स (ACOG) कुछ मामलों में इसे गर्भावस्था के एक वर्ष बाद तक होने वाली मृत्यु से भी जोड़कर देखते हैं।
मातृ मृत्यु दर (MMR) प्रति 1,00,000 जीवित जन्मों पर मातृ मृत्यु की संख्या को दर्शाती है। 2023 में वैश्विक MMR 197 प्रति 1,00,000 जीवित जन्म था। यह आँकड़ा कम आय वाले देशों में 346 और उच्च आय वाले देशों में 10 था जो आय स्तर के साथ मातृ मृत्यु दर में बड़े अंतर को दर्शाता है।
किन वजहों से अपनी जान गंवाती हैं गर्भवती महिलाएँ?
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मातृ मृत्यु के कई प्रमुख कारण हैं जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं:
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रक्तस्राव: डिलीवरी के बाद अत्यधिक रक्तस्राव मातृ मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है। भारत और पाकिस्तान जैसे विकासशील देशों में ऐसे मामले अधिक देखने को मिलते हैं। डब्ल्यूएचओ के अनुसार जहाँ 1990 में रक्तस्राव से 1,14,000 महिलाओं की मृत्यु हुई थी वहीं 2021 तक यह संख्या घटकर 47,000 रह गई। फिर भी यह वैश्विक स्तर पर मातृ मृत्यु का प्रमुख कारण बना हुआ है।
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हाई ब्लडप्रेशर: प्रीक्लेम्पसिया और एक्लेम्पसियाजैसे हाई ब्लड प्रेशर डिसऑर्डर गर्भवती महिलाओं में मृत्यु के प्रमुख कारण हैं। ये डिसऑर्डर दिमाग, किडनी और अन्य महत्वपूर्ण अंगों को गंभीर नुकसान पहुँचा सकते हैं।
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मानसिक स्वास्थ्य स्थितियाँ: अवसाद , चिंता और प्रसवोत्तर अवसाद जैसी मानसिक स्वास्थ्य स्थितियाँ भी मातृ मृत्यु की प्रमुख वजहों में से हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि गर्भवती और डिलीवरी के बाद महिलाओं की मानसिक स्वास्थ्य स्क्रीनिंग बढ़ाने की सख्त आवश्यकता है।
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संक्रमण: प्रेग्नेंसी के दौरान या डिलीवरी के बाद होने वाले संक्रमण जैसे सेप्सिस, मातृ मृत्यु का एक अन्य प्रमुख कारण हैं। अपर्याप्त स्वच्छता, कुशल स्वास्थ्यकर्मियों की कमी और एंटीबायोटिक्स तक सीमित पहुँच इस खतरे को और बढ़ाती है।
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हृदय से संबंधित दिक्कतें: हृदय रोग और कार्डियोमायोपैथी (हृदय की मांसपेशियों का कमजोर होना) भी मातृ मृत्यु के प्रमुख कारणों में से हैं। गर्भावस्था के दौरान शरीर में होने वाले बदलाव और रक्त की मात्रा में वृद्धि से हृदय पर दबाव बढ़ सकता है जिससे मौजूदा हृदय संबंधी समस्याएँ गंभीर रूप ले सकती हैं।
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कैसे कम कर सकते हैं मातृ मृत्यु दर?
विशेषज्ञों के मुताबिक मातृ मृत्यु दर को कम करने के लिए कई कदम उठाए जा सकते हैं:
- नियमित जाँचें: प्रेग्नेंसी के दौरान नियमित जाँचों (Regular Check-ups) से खतरों की पहचान समय रहते की जा सकती है और उनका समाधान किया जा सकता है।
- प्रशिक्षित डॉक्टरों की उपलब्धता: डिलीवरी के दौरान प्रशिक्षित डॉक्टरों और कुशल स्वास्थ्यकर्मियों की मौजूदगी मातृ मृत्यु दर को काफी हद तक कम कर सकती है।
- जोखिमों की जानकारी: गर्भवती महिलाओं और उनके परिवार को गर्भावस्था से जुड़े संभावित खतरों और जटिलताओं के बारे में सही जानकारी देना भी दिक्कतों को दूर करने में सहायक होता है।
- बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएँ: विशेषकर कम आय वाले देशों में प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाओं, स्वच्छता और दवाओं तक पहुँच में सुधार लाना अत्यंत आवश्यक है।
यह एक वैश्विक चुनौती है जिसके समाधान के लिए लगातार प्रयास और जागरूकता की आवश्यकता है।