चुनाव आयोग 345 पार्टियों के रजिस्ट्रेशन करने जा रहा रद्द, जानें क्यों लिया गया इतना बड़ा फैसला
punjabkesari.in Thursday, Jun 26, 2025 - 07:03 PM (IST)

National Desk : चुनाव आयोग ने हाल ही में देशभर में पंजीकृत 345 गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (RUPPs) का पंजीकरण रद्द करने का निर्णय लिया है। आयोग के अनुसार, ये दल पिछले छह वर्षों में किसी भी प्रकार के चुनाव में हिस्सा नहीं ले पाए हैं और इनका कोई सक्रिय कार्यालय भी उनके पंजीकृत पते पर मौजूद नहीं पाया गया। इन दलों को हटाने का कारण यह है कि इन्होंने आयोग द्वारा तय की गई अनिवार्य शर्तों का पालन नहीं किया, जो किसी भी पंजीकृत राजनीतिक दल के लिए आवश्यक होती हैं। भारत में इस समय 2800 से अधिक RUPPs पंजीकृत हैं, लेकिन इनमें से कई दल निष्क्रिय हैं, न तो वे चुनाव में हिस्सा ले रहे हैं और न ही अपनी सक्रियता या उपस्थिति का कोई प्रमाण दे पा रहे हैं। इस कदम का उद्देश्य राजनीतिक प्रणाली को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाना है, ताकि सिर्फ वही दल पंजीकृत रहें जो वास्तव में लोकतांत्रिक प्रक्रिया में भागीदारी कर रहे हैं।
पंजीकरण रद्द करने के क्या हैं नियम?
चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, यदि कोई पंजीकृत राजनीतिक दल लगातार छह वर्षों तक लोकसभा, विधानसभा या स्थानीय निकाय चुनावों में हिस्सा नहीं लेता, तो उसका पंजीकरण रद्द किया जा सकता है। यह प्रावधान जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A और चुनाव चिन्ह (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के तहत लागू होता है।
आयोग का मानना है कि ऐसे कई दल केवल नाम मात्र के लिए पंजीकृत हैं और इनका कोई सक्रिय राजनीतिक योगदान नहीं है। इसके अलावा, इन दलों का उपयोग टैक्स में छूट लेने, धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) और अन्य गैर-कानूनी गतिविधियों के लिए भी किया जा सकता है। इसी के मद्देनज़र चुनाव आयोग ने इन दलों के पंजीकृत पतों का फिजिकल वेरिफिकेशन (भौतिक सत्यापन) करवाया, जिसमें यह पाया गया कि कई दल अपने दावे किए गए पते पर अस्तित्व में ही नहीं हैं।
2022 में 86 RUPPs को हटाया गया था
चुनाव आयोग ने अपने आधिकारिक बयान में बताया कि जिन 345 राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द किया गया है, वे देश के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में स्थित हैं। इनमें से कई दलों ने अपने पते में हुए बदलाव की सूचना आयोग को नहीं दी, जो कि चुनावी नियमों का उल्लंघन है।
गौरतलब है कि इससे पहले वर्ष 2022 में भी आयोग ने 86 ऐसे RUPPs को हटाया था जो वास्तव में अस्तित्व में नहीं थे, जबकि 253 दलों को 'निष्क्रिय' घोषित किया गया था। इस बार भी आयोग ने उसी सख्ती के साथ कदम उठाते हुए इन निष्क्रिय दलों को पंजीकृत सूची से बाहर कर दिया है। इस निर्णय के बाद इन दलों को मिलने वाले लाभ—जैसे मुफ्त चुनाव चिन्ह और अन्य चुनावी सुविधाएं—अब बंद हो जाएंगी। आयोग का मानना है कि यह कार्रवाई न केवल चुनावी प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी और प्रभावी बनाएगी, बल्कि आम मतदाताओं का विश्वास भी लोकतांत्रिक प्रणाली में और मजबूत होगा।
क्या है RUPP और क्यों हो रही कार्रवाई?
गौरतलब है कि रजिस्टर्ड अनरजिस्टर पॉलिटिकल पार्टियां (RUPPs) वे राजनीतिक दल होते हैं जो हाल ही में पंजीकृत हुए हैं, या जो लोकसभा अथवा विधानसभा चुनावों में इतनी सीटें या वोट नहीं हासिल कर सके कि उन्हें राज्य या राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल सके। कुछ ऐसे भी दल हैं जो पंजीकरण के बाद से आज तक किसी चुनाव में भाग ही नहीं ले पाए हैं।
हालांकि इन दलों को मान्यता प्राप्त दलों जैसी सभी सुविधाएं नहीं मिलतीं, लेकिन इन्हें कुछ सीमित अधिकार जरूर प्राप्त होते हैं, जैसे चुनाव के दौरान सामान्य चुनाव चिन्ह (कॉमन सिंबल) का आवंटन। चुनाव आयोग ने अपनी जांच में पाया कि कई RUPPs इन सीमित सुविधाओं का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। इसी कारण आयोग ने इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए आवश्यक कदम उठाए हैं।
'भविष्य में भी ऐसी कार्रवाई जारी रहेगी'
चुनाव आयोग ने यह साफ कर दिया है कि वह आगे भी इस तरह की कार्रवाई करता रहेगा, ताकि केवल वही राजनीतिक दल पंजीकृत रहें जो सक्रिय और वैध हों। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A के अनुसार, किसी भी पंजीकृत दल को अपने कार्यालय, पदाधिकारियों और अन्य जरूरी जानकारियों में हुए किसी भी प्रकार के बदलाव की जानकारी आयोग को देना अनिवार्य होता है।
यदि कोई दल लगातार छह वर्षों तक किसी भी चुनाव में भाग नहीं लेता या उसका पंजीकृत कार्यालय फिजिकल वेरिफिकेशन के दौरान अस्तित्व में नहीं पाया जाता, तो ऐसे दल को "गैर-मौजूद" मानकर पंजीकरण से हटाया जा सकता है। यह प्रावधान इसलिए लागू किया गया है ताकि चुनावी प्रणाली को पारदर्शी बनाया जा सके और धन शोधन व चुनावी धोखाधड़ी जैसी गतिविधियों पर प्रभावी नियंत्रण रखा जा सके।