चुनाव आयोग ने खारिज की 21 साल की उम्र में चुनाव लड़ने की सिफारिश, बताई इसके पीछे की वजह

punjabkesari.in Sunday, Sep 21, 2025 - 10:43 AM (IST)

नेशनल डेस्क : भारत में संसदीय और विधानमंडल चुनाव लड़ने की न्यूनतम उम्र 25 साल से घटाकर 21 साल करने की संसद की स्थायी समिति की सिफारिश को भारतीय चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया है। आयोग ने बीजेपी सांसद बृजलाल की अगुआई वाली स्थायी समिति को भेजी अपनी प्रतिक्रिया में स्पष्ट किया कि वह इस बदलाव के पक्ष में नहीं है। आयोग का मानना है कि 18 साल की उम्र में वोट देने की परिपक्वता हो सकती है, लेकिन संसद या विधानमंडल जैसे महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारियों को संभालने के लिए 21 साल की उम्र में भी युवाओं में पर्याप्त गंभीरता और समझ की कमी रहती है।

युवाओं को लोकतंत्र से जोड़ने की अपील
संसद की स्थायी समिति ने अपनी हालिया रिपोर्ट में सुझाव दिया कि नए जमाने की सोच वाले युवाओं को लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं से जोड़ने और वैश्विक माहौल को ध्यान में रखते हुए चुनाव लड़ने की न्यूनतम उम्र 25 से घटाकर 21 साल करने पर गंभीरता से विचार किया जाना चाहिए। समिति ने विधि और न्याय मंत्रालय को इस प्रस्ताव पर व्यापक चर्चा की सलाह दी है, जिसमें युवा संगठनों, संविधान विशेषज्ञों, सामाजिक और नागरिक संगठनों के हितधारकों की राय शामिल हो। विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस बदलाव से देशभर में लगभग 8 करोड़ युवा चुनाव लड़ने की उम्र संबंधी योग्यता हासिल कर लेंगे।

2023 में भी उठा था मुद्दा
यह पहली बार नहीं है जब उम्र सीमा घटाने की बात उठी है। अगस्त 2023 में भी संसद की स्थायी समिति ने लोकसभा और विधानसभा चुनाव लड़ने की न्यूनतम उम्र 25 से घटाकर 18 साल करने की सिफारिश की थी। समिति ने कनाडा, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड जैसे देशों का हवाला दिया था, जहां मतदान और चुनाव लड़ने की उम्र समान है। हालांकि, इस सिफारिश को भी लागू नहीं किया गया।

भारत में मतदाताओं का आंकड़ा
वर्तमान में भारत में कुल मतदाता संख्या 99 करोड़ से अधिक है। इनमें 20 से 29 साल की उम्र के 19 करोड़ 74 लाख वोटर हैं, जबकि 21 से 25 साल की आयु वर्ग में 8 करोड़ मतदाता हैं। इसके अलावा, 18 से 19 साल के 1 करोड़ 84 लाख युवा मतदाता हैं।


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Content Editor

Shubham Anand

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