भारत को मिला नया संसद भवन

punjabkesari.in Sunday, May 28, 2023 - 12:18 PM (IST)

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के नये संसद भवन का रविवार को उद्घाटन किया. भव्य और अत्याधुनिक संसद भवन भारत की उभरती आकांक्षाओं और जरूरतों के हिसाब हुए बना है. 20 विपक्षी दलों ने उद्घाटन कार्यक्रम का बहिष्कार किया है.अब तक ब्रिटिश राज के बनवाए भवन से संसद का कामकाज चल रहा था.भारत की राजधानी से ब्रिटिश राज की इमारतों में आमूल-चूल परिवर्तन के जरिये दिल्ली को नया रूप रंग देने की कोशिश में जुटी सरकार ने सेंट्रल विस्टा नाम से जो निर्माण की विशाल परियोजना शुरू की है, नया संसद भवन उसी का हिस्सा है. इसमें भारत की संस्कृति, परंपरा और प्रतीकों का इस्तेमाल किया गया है. यह 2024 के चुनाव से पहले मौजूदा सरकार के दशक भर के कामों का एक बड़ा प्रतिबिंब भी है, जिसे दिखा कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरे कार्यकाल के लिए लोगों का समर्थन मांगेगे. रविवार सुबह नई संसद भवन के बाहर पारंपरिक सर्वधर्म प्रार्थना हुई. उसके बाद प्रधानमंत्री ने परिसर के भीतर दिया जलाया. इस दौरान कैबिनेट के वरिष्ठ सदस्य मौजूद थे. प्रधानमंत्री सेंगोल लेकर संसद के भीतर गएइसे स्पीकर के आसन के बगल में लगाया गया है.20 विपक्षी दलों ने कार्यक्रम का बहिष्कार किया है. उनका कहना है कि प्रधानमंत्रीनरेंद्र मोदी ने संसद भवन का खुद उद्घाटन करके परंपरा का उल्लंघन किया है. यह काम राष्ट्रपति के हाथों होना चाहिए जो देश की प्रथम नागरिक और सबसे ऊंचे पद पर आसीन हैं. विपक्षी दल राष्ट्रपवादी कांग्रेस पार्टी की नेता सुप्रिया सुले ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, "बिना विपक्ष के संसद के नये भवन के उद्घाटन का मतलब है कि देश में लोकतंत्र नहीं है. यह कार्यक्रम अधूरा है." मोदी सरकार ने विपक्ष की दलीलों को खारिज किया है. सरकार का कहना है कि प्रोटोकॉल को नहीं तोड़ा गया है और प्रधानमंत्री देश के संवैधानिक प्रमुख का सम्मान करते हैं. नया संसद परिसर 2.4 अरब रुपये की परियोजना से बने सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के केंद्र में है. इसके जरिये एक तरफ जहां औपनिवेशिक दौर की इमारतों को महत्वहीन करने की योजना है, वहीं राजधानी में भारतीय पहचान के साथ आधुनिक इमारतों का निर्माण करना है. शनिवार की शाम प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, "हमारी नई संसद सचमुच हमारे लोकतंत्र का प्रकाश स्तंभ है. इसमें देश की विरासत और चमचमाचे भविष्य की आकांक्षाएं हैं." त्रिकोण की आकृति में बनी नई इमारत पुरानी गोल इमारत इमारत के सामने ही है. पुरानी इमारत को एडविन लुटियंस और हर्बर्ट बेकर ने डिजाइन किया था. इसे भारत की स्वाधीनता से दो दशक पहले 1927 में बनाया गया था. पुराने संसद भवन को सरकार ने संग्रहालय में बदलने की योजना बनाई है. आधुनिक तकनीकों के अलावा नई संसद के दो विशाल कक्षों में 1,272 सदस्यों के लिए जगह है. पुरानी इमारत की तुलना में यहां सांसदों के लिए 500 सीटें ज्यादा है. दुनिया की सबसे बड़ी आबादी वाले देश की नई संसद में अब पहले की तुलना में कुल मिलाकर तीन गुना ज्यादा जगह है. एनआर/आरएस (रॉयटर्स)

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