कांग्रेस अध्यक्ष की दौड़ में एक बार फिर उलटफेर

punjabkesari.in Tuesday, Sep 27, 2022 - 01:55 PM (IST)

राजस्थान में मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान की छाया कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद की रेस पर पड़ रही है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अब सबसे प्रबल दावेदार नहीं माना जा रहा है और दूसरे नामों पर फिर से चर्चा शुरू हो गई है.बीते दो दिनों में राजस्थान के मुख्यमंत्री पद के लिए जयपुर में हुई खींचतान ने कांग्रेस के अध्यक्ष पद के लिए होने वाले चुनावों पर असर डाला है. अभी तक अध्यक्ष पद के लिए सबसे मजबूत दावेदार माने जा रहे अशोक गहलोत के लिए अब स्थिति बदल रही है. कई मीडिया रिपोर्टों में तो उन्हें अब अध्यक्ष पद की रेस से बाहर ही बताया जा रहा है, लेकिन पार्टी में अभी तक किसी ने इस बात के संकेत नहीं दिए हैं. हालांकि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व और बड़ी संख्या में राजस्थान के विधायकों के बीच गहरे मतभेद जरूर सामने निकल कर आ गए हैं. गहलोत के करीबी माने जाने वाले उनकी कैबिनेट में मंत्री शांति धारीवाल ने बाकायदा प्रेस वार्ता बुला कर पार्टी में महासचिव और राज्य के प्रभारी अजय माकन पर गहलोत के खिलाफ साजिश करने के आरोपलगाए हैं. खेमों में बंटी पार्टी धारीवाल का आरोप है कि माकन गहलोत के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन जाने की सूरत में सचिन पायलट को राज्य का मुख्यमंत्री बना दिए जाने की कोशिश कर रहे थे. धारीवाल ने कहा कि 2020 में सचिन पायलट खेमे की बगावत के बावजूद गहलोत के साथ रह कर राज्य में कांग्रेस की सरकार बचा लेने वाले 102 विधायकों को यह मंजूर नहीं है. गहलोत ने खुद पहले संकेत दिया था कि वो अगर पार्टी अध्यक्ष बना दिए जाते हैं, उसके बाद भी वो मुख्यमंत्री पद पर बने रहना चाहेंगे. लेकिन पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के "एक व्यक्ति, एक पद" के सिद्धांत को रेखांकित करने के बाद माना जा रहा था कि गहलोत मुख्यमंत्री पद किसी और को सौंप दिए जाने के लिए सहमत हो गए हैं. जयपुर में हुए घटनाक्रम ने दिखा दिया कि गहलोत सहमत हों या न हों, उनके करीबी 102 विधायक सहमत नहीं हैं. लेकिन धारीवाल के आरोप के मुताबिक केंद्रीय नेतृत्व पायलट को मुख्यमंत्री बनाना चाह रहा है. ऐसे में केंद्रीय नेतृत्व के सामने एक नहीं बल्कि दो संकट खड़े हो गए हैं. दो मोर्चों पर संकट राज्य में जिसे मुख्यमंत्री बनाने की कोशिश की जा रही है उसे बड़ी संख्या में विधायक अपना नेता मानने के लिए मंजूर नहीं हैं. उधर राज्य की उठापटक की वजह से राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए एक प्रबल दावेदार की संभावनाओं पर प्रश्न चिन्हलग गया है. अब देखना होगा कि पार्टी दो मोर्चों पर खुल चुकी इन पहेलियों को कैसी सुलझाती है और उस समाधान का आने वाले दिनों में राजस्थान में पार्टी की सरकार और केंद्रीय संगठन दोनों पर क्या असर पड़ता है.

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