WAVES 2025: डॉ. एस. जयशंकर ने एथिकल AI, विरासत और नवाचार पर दिया ज़ोर

punjabkesari.in Friday, May 02, 2025 - 02:08 PM (IST)

नेशनल डेस्क. मुंबई में चल रहे वर्ल्ड ऑडियो विजुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट (WAVES 2025) के दूसरे दिन भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, युवाओं की रचनात्मक ऊर्जा और तकनीकी प्रगति, विशेष रूप से AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) के ज़रिए वैश्विक रचनात्मक मंचों पर नेतृत्व की ओर अग्रसर है।

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डॉ. जयशंकर ने केंद्रीय मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव और राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन के साथ 'ग्लोबल मीडिया डायलॉग' की सह-अध्यक्षता की। उन्होंने WAVES समिट को एक ऐसा मंच बताया, जहाँ दुनिया भर के मीडिया, मनोरंजन और रचनात्मक उद्योग से जुड़े सृजनकर्ता, नीति-निर्माता, अभिनेता, लेखक, निर्माता, कलाकार और तकनीकी विशेषज्ञ इकट्ठा होते हैं।

उन्होंने कहा- इस आयोजन का मकसद वैश्विक बातचीत को बढ़ावा देना है  और यह तब और खास हो जाता है जब यह भारत जैसे देश में होता है, जहाँ सिनेमा, मनोरंजन और कला की एक दीर्घकालिक और समृद्ध परंपरा रही है। हम अपनी संस्कृति के माध्यम से दुनिया को न केवल सिखाते हैं, बल्कि उसे जोड़ते भी हैं।

AI के दौर में नैतिकता और ज़िम्मेदारी की आवश्यकता

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उन्होंने विशेष रूप से उभरती तकनीकों जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की ओर इशारा करते हुए कहा- AI का युग संभावनाओं से भरा हुआ है। यह ऐसा युग है जिसकी हमने कभी कल्पना नहीं की थी। लेकिन इसकी शक्ति के साथ ज़िम्मेदारी भी आती है। अब जरूरी है कि हम इसके उपयोग में नैतिकता को सर्वोपरि रखें।

डॉ. जयशंकर ने यह भी कहा कि कंटेंट का लोकतंत्रीकरण में आम नागरिक भी अपनी बात दुनिया तक पहुँचा सकता है। तकनीक के इस युग की खास बात है। उन्होंने आगाह किया कि हमें पूर्वाग्रहों से रहित सोच को बढ़ावा देना होगा। हमारी तकनीक को ऐसा होना चाहिए जो विविधताओं का सम्मान करें।

भारत का रचनात्मक भविष्य- नवाचार और परंपरा का संगम

उन्होंने 'विकसित भारत' (Viksit Bharat) की अवधारणा का ज़िक्र करते हुए कहा- Innovation यानी नवाचार यह अब केवल शब्द नहीं, बल्कि भविष्य की कुंजी है। नवाचार ही वह रास्ता है जिससे हम एक आत्मनिर्भर, सक्षम और रचनात्मक भारत का निर्माण कर सकते हैं।

उनका मानना है कि तकनीक और परंपरा को साथ लेकर चलना ही भारत की असली ताक़त है। 'हमारी संस्कृति और हमारी कहानी कहने की शैली तकनीकी टूल्स के माध्यम से और भी प्रभावशाली बन सकती है। यदि सही दिशा में प्रयास किया जाए, तो तकनीक हमारे युवाओं को उनकी जड़ों से जोड़ सकती है।'

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सांस्कृतिक विरासत और वैश्विक भूमिका

डॉ. जयशंकर ने यह भी कहा कि आज का दौर 'वैश्विक शक्ति संतुलन' में बदलाव का है, जहाँ केवल सैन्य या आर्थिक ताक़त नहीं, बल्कि संस्कृति और विचारों की भूमिका भी बहुत अहम हो गई है। आज की दुनिया में शक्तियों का पुनर्गठन हो रहा है, तो यह जरूरी है कि हमारी कहानियाँ, हमारे विचार और हमारी रचनात्मकता सामने आए। हमें अपनी धरोहर को आवाज़ देनी होगी।

युवाओं को तैयार करना समय की मांग है

उन्होंने युवाओं की भूमिका पर भी विशेष बल दिया। आज के वैश्वीकृत और तकनीकी दौर में रचनात्मक संवाद, खेलों और सहयोगों का महत्व बढ़ गया है। ऐसे में हमारे युवाओं को वैश्विक सोच और व्यवहार के लिए तैयार करना जरूरी है।

डॉ. जयशंकर ने कहा कि सोच, नीति और संरचना में बदलाव लाकर हम युवाओं को इस तेजी से बदलती दुनिया में नेतृत्व के लिए तैयार कर सकते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हमारा लक्ष्य यह होना चाहिए कि भारत का युवा केवल उपभोक्ता नहीं, बल्कि निर्माता और नवप्रवर्तक (innovator) बने।


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Content Editor

Parminder Kaur

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