डोनाल्ड ट्रंप ने रखी भारत के सामने चार मांगें, दो पर हो चुकी है सहमति
punjabkesari.in Thursday, Jul 31, 2025 - 12:10 AM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत के साथ चल रही ट्रेड डील की बातचीत के दौरान अमरीकी राष्ट्रपति भारत के सामने प्रमुख तौर पर 4 मांगें ररख रहे हैं। इनमे भारत द्वारा अमरीका से कच्चा तेल और नेचुरल गैस खरीदने के अलावा एफ 35 जैसे फाइटर जेट और रक्षा उपकरण खरीदने,टेस्ला जैसी अमरीकी कंपनियों के लिए भारत एम् आसान पहुँच और अपना फार्मिंग और डायरी क्षेत्र अमरीका के कारोबारियों के लिए खोलने की मांग शामिल हैं। इनमे से टेस्ला के लिए भारत ने थोड़ी रियायत दी है और उसने भारत में अपनी गतिविधियां शुरू कर दी हैं जबकि भारत ने अमरीका से कच्चा तेल और नेचुरल तेल खरीदने पर भी मौखिक तौर पर सहमति दे दी है। हालाँकि भारत को अमरीका से कच्चा तेल खरीदने पर रूस के मुकाबले परिवहन लागत ज्यादा पड़ेगी।
कृषि और डेयरी क्षेत्र खोलने को तैयार नहीं भारत
अमरीक के साथ चल रही बात चीत के दौरान भारत ने सीधे तौर पर अपना कृषि और डेयरी क्षेत्र खोलने से इंकार किया है। दर असल भारत एक कृषि प्रधान देश है और यदि यह बाजार अमरीका के लिए खोल दिया जाता है तो इसका असर भारत के किसानों पर पड़ेगा। स्टेट बैंक आफ इण्डिया रिसर्च के मुख्य अर्थशास्त्री सौम्य कांति घोष के अनुसार कृषि और डायरी सेक्टर खोलने पर दूध की कीमतों में 15 से 25 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है और यदि दूध की कीमतें 15 प्रतिशत गिरती हैं तो डायरी सेक्टर की कुल राजस्व हानि करीब 1.80 लाख करोड़ रूपए होगी और इसमें से किसानों को मिलने वाला हिस्सा यदि 60 प्रतिशत भी हो तो इस से किसानों को 1.03 लाख करोड़ रूपए के करीब नुकसान हो सकता है यह एक विकासशील अर्थव्यवस्था के किसानों के लिए बेहद महंगा सौदा साबित होता और मोदी सरकार की राजनीतिक पूंजी पर बड़ा असर डाल सकता था।
जी डी पी पर पड़ेगा असर
एलारा कैपिटल की प्रमुख अर्थशास्त्री गरिमा कपूर का अनुमान है कि यदि सितंबर–अक्टूबर तक भारत और अमरीका के आंधी को व्यापर संधि नहीं होती है तो पूरे साल की जी डी पी ग्रोथ में 20 से 50 आधार अंकों की गिरावट देखने को मिल सकती है। वर्तमान स्तरों के मुताबिक इस से अर्थव्यवस्था को करीब 18 बिलियन डालर की क्षति होगी। वित्त वर्ष में भारत ने अपने कुल निर्यात का 17.7 प्रतिशत निर्यात अमरीका को किया था
ट्रंप की चार प्रमुख मांगें
भारत अमरीका से अधिक मात्रा में कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस खरीदे।
भारत रूस से काम हथियार खरीदे और अमेरिका से रक्षा उपकरणों की खरीद बढ़ाए।
टेस्ला जैसी अमेरिकी वाहन कंपनियों को भारत में आसान पहुंच दी जाए।
भारत को कृषि और डेयरी क्षेत्र अमेरिकी कंपनियों के लिए खोले।