सबूत मांगकर रेप पीड़िता को परेशान न करें अदालतें : सुप्रीम कोर्ट

punjabkesari.in Friday, Dec 23, 2016 - 10:56 AM (IST)

नई दिल्ली : बलात्कार पीड़िता से उसके आरोपों की पुष्टि करने को कहना, उसकी तकलीफ का अपमान करना है। बलात्कार पीड़िता का बयान अगर विश्वसनीय है, तो अपने आरोपों को साबित करने के लिए सबूत मांगकर अदालतें उसे परेशान न करें। यह निर्देश सुप्रीम कोर्ट ने दिया। जस्टिस ए.के. सिकरी और ए.एम. सापरे की खंडपीठ ने कहा कि बलात्कार पीड़िता का बयान बहुत महत्वपूर्ण होता है और केवल उसके बयान के आधार पर ही आरोपी को सजा दी जा सकती है। जजों ने कहा कि अदालत बेहद चुनिंदा मामलों में पीड़िता से उसके बयान की पुष्टि करने वाले अन्य सबूतों की मांग कर सकते हैं।

जजों ने यह भी कहा कि जब भी अदालत पीड़िता से ऐसा सबूत पेश करने की मांग करे, तब अदालत के पास इसके लिए ठोस कारण होने चाहिए। जस्टिस सिकरी ने यह फैसला लिखते हुए कहा कि अपने साथ बलात्कार होने की शिकायत करने वाली महिला या लड़की को संदेह, अविश्वास और शक की निगाह से नहीं देखा जाना चाहिए। अगर अदालत को पीड़िता का बयान स्वीकार करने लायक न लगे, तो उस स्थिति में कोर्ट उससे उसके आरोपों की पुष्टि के लिए कुछ अन्य सबूत पेश करने के लिए कह सकते हैं।

कोर्ट द्वारा पीड़िता पर सबूत देने का जोर देना उसके साथ अपराधी के समान व्यवहार करना है और यह उसका अपमान है। अदालत ने यह फैसला एक शख्स द्वारा अपनी 9 साल की भांजी के साथ किए गए बलात्कार के मामले में सुनाया। कोर्ट ने दोषी को 12 साल जेल की सजा सुनाई। सुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने उस फैसले को भी रद्द कर दिया, जिसके तहत हाइकोर्ट ने मां और बेटी के बयानों में हल्का अंतर होने के कारण आरोपी को बरी कर दिया था। 


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