...तो इसलिए दीवाली पर खेला जाता है जुआ
punjabkesari.in Saturday, Oct 29, 2016 - 03:34 PM (IST)

पटना: हमारे देश में जुआ खेलना सामाजिक बुराई मानी जाती है और सरकार ने भी इस पर पाबंदी लगा रखी है, लेकिन ज्योति पर्व दीपावली पर जुआ खेलने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। इस त्योहार पर लोग जुआ शगुन के रूप में खेलते हैं। मान्यताओं के अनुसार दीपावली पर जुआ खेलने को बुराई नहीं समझा जाता है ।
शोध करने पर पता चलता है कि अधिकतर जुआरी सबसे पहले दीपावली की रात जुआ खेलने की शुरआत करते हैं और बाद में उन्हें इसकी लत लग जाती है। ऐसा देखा जाता है कि लोगों ने दीपावली पर शौक या शगुन के रूप में जुआ खेलने की शुरआत की और उसमें हारने पर हारी हुई रकम हासिल करने के लिए आगे भी जुआ खेला और उन्हें इसकी लत लग गई। यदि जुआ खेलने वाला दीपावली को जीतता है और जीतने की लालसा में अगले दिन भी खेलता है तो वह जुए की लत का शिकार हो जाता है।
एक सर्वेक्षण के अनुसार देश के लगभग 45 प्रतिशत लोग दीपावली पर जुआ खेलते हैं। इनमें 35 प्रतिशत लोग ही शगुन के तौर पर जुआ खेलते हैं लेकिन 10 प्रतिशत लोग ऐसे होते हैं. जो पक्के जुआरी होते हैं और किसी भी मौके पर जुआ खेलने से परहेज नहीं करते हैं। जुआ खेलने की परमंरा बहुत पुरानी रही है । पौराणिक मान्यताओं के अनुसार दीपावली की रात भगवान शिव के साथ उनकी पत्नी पार्वती ने जुआ खेला था ।
बाद में यह धारणा बन गई कि जो व्यक्ति दीपावली के दिन जुआ खेलेगा, उसके परिवार में पूरे वर्ष सुख-समृद्धि कायम रहेगी। रिग्वेदकालीन ग्रंथो में बताया गया है कि आर्य जुए को आमोद, प्रमोद के साधन के रूप में इस्तेमाल करते थे। उस काल में पुरषों के लिए जुआ खेलना समय बिताने का साधन था। जुए से जुडे विभिन्न खेलों की अनेक ग्रंथों में चर्चा की गई है। अथर्ववेद के अनुसार जुआ मुख्यत: पासों से खेला जाता था।
महाभारत में उल्लेख है कि दुर्योधन ने पांडवों का राज्य हडपने के लिए युधिष्ठिर को जुए के शिकंजे में फंसा दिया था । युधिष्ठिर ने जुए में अपना सब कुछ लुटाने के बाद अपनी पत्नी द्रौपदी को भी दांव पर लगा दिया और उसे हार गए। यह जुआ भीषण संग्राम का कारण बना था। सार्वजनिक मनोरंजन के लिए भी जुआ खेलने का प्रचलन रहा है। मौर्यकालीन समाज में इस खेल का जिक्र किया गया है। विदेशी राजदूत मेगस्थनीज ने मौर्यकालीन वैभव का जिक्र करते हुए लिखा है कि भारतीय भडकीले वस्त्र और आभूषणों के प्रेमी हैं तथा वैभव और विलासिता को दिखाने के लिए जुआ खेलते थे।