खेल जगत को बड़ा झटका, दिल का दौरा पड़ने से इस महान शख्सियत का हुआ निधन
punjabkesari.in Thursday, May 01, 2025 - 03:11 PM (IST)

नेशनल डेस्क. भारत के जाने-माने शूटिंग कोच सनी थॉमस का बुधवार को दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। उन्होंने ओलंपिक और दूसरी बड़ी खेल प्रतियोगिताओं में भारत को कई मेडल दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। 84 वर्ष की आयु में उन्होंने केरल के कोट्टायम में अंतिम सांस ली।
उनके परिवार में पत्नी के.जे. जोसम्मा, दो बेटे मनोज सनी और सानिल सनी और एक बेटी सोनिया सनी हैं। सनी थॉमस ने 1993 से 2012 तक भारतीय निशानेबाजों को कोचिंग दी और इस दौरान कई ऐतिहासिक खेल पलों के साक्षी रहे।
उन्हें साल 2001 में द्रोणाचार्य पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वह 2004 के एथेंस ओलंपिक में कोचिंग टीम का हिस्सा थे, जहाँ राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने डबल ट्रैप शूटिंग में रजत पदक जीतकर भारत को शूटिंग में पहला ओलंपिक मेडल दिलाया था। हालांकि, उनके करियर का सबसे यादगार पल 2008 के बीजिंग ओलंपिक में आया, जब अभिनव बिंद्रा ने 10 मीटर एयर राइफल में स्वर्ण पदक जीतकर भारत के लिए व्यक्तिगत ओलंपिक गोल्ड जीतने वाले पहले खिलाड़ी बने। बिंद्रा हमेशा सनी थॉमस को बहुत सम्मान देते थे और उन्हें पिता तुल्य मानते थे।
अभिनव बिंद्रा ने उनके निधन पर दुख व्यक्त करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा कि प्रोफेसर सनी थॉमस सिर्फ एक कोच नहीं थे, बल्कि भारतीय निशानेबाजों के लिए गुरु, मार्गदर्शक और पिता जैसे थे। खेल के प्रति उनका समर्पण भारत को अंतरराष्ट्रीय निशानेबाजी में एक नई पहचान दिलाई। बिंद्रा ने अपने शुरुआती दिनों में थॉमस से मिली मदद और मार्गदर्शन के लिए हमेशा आभार व्यक्त किया।
सनी थॉमस के कोचिंग के दौरान राज्यवर्धन सिंह राठौड़, अभिनव बिंद्रा, विजय कुमार (2012 लंदन ओलंपिक में रजत पदक विजेता), जसपाल राणा, समरेश जंग और गगन नारंग (लंदन ओलंपिक में कांस्य पदक विजेता) जैसे कई प्रमुख भारतीय खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बनाई।
अपने करियर की शुरुआत में सनी थॉमस ने केरल के कोट्टायम में उझावूर सेंट स्टीफंस कॉलेज में अंग्रेजी के प्रोफेसर के रूप में काम किया था। लेकिन उन्हें बचपन से ही निशानेबाजी का शौक था और वह 1970 के दशक में राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर चैंपियन भी रहे थे।