भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर चर्चाएं तेज, किन नेताओं के नाम आगे? क्या कहता है संविधान
punjabkesari.in Tuesday, Jul 01, 2025 - 10:30 PM (IST)

नेशनल डेस्कः भारतीय जनता पार्टी (BJP) में लंबे समय से लंबित संगठनात्मक बदलाव अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुके हैं। पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की घोषणा अब जल्द होने की संभावना है। भाजपा ने अब तक 22 राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति कर ली है, और जल्द ही बाकी राज्यों में भी नए नेताओं की घोषणा की जाएगी।
BJP संविधान की भूमिका: क्यों जरूरी हैं प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्तियां?
भाजपा के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तभी किया जा सकता है जब कम से कम 50% राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त हो चुके हों। यानी 25 राज्यों में से कम से कम 13 राज्यों में संगठनात्मक चुनाव जरूरी होते हैं। अब जबकि 22 राज्यों में यह प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन का रास्ता लगभग साफ हो गया है।
प्रदेश अध्यक्षों की हालिया नियुक्तियां
पिछले दो दिनों में भाजपा ने कई राज्यों में नए प्रदेश अध्यक्षों की घोषणा की:
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मिजोरम – के. बेइचुआ
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पुदुचेरी – वीपी रामलिंगम
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तेलंगाना – के. रामचंद्र राव (ब्राह्मण नेता)
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आंध्र प्रदेश – पीवीएन माधव
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उत्तराखंड – महेश भट्ट (ब्राह्मण नेता)
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महाराष्ट्र – रविंद्र चौहान
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हिमाचल प्रदेश – राजीव बिंदल (दूसरी बार मौका)
सूत्रों के अनुसार, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, दमन-दीव और लद्दाख के प्रदेश अध्यक्षों की घोषणा भी अगले 24 घंटों में हो सकती है।
जातीय और सामाजिक संतुलन पर फोकस
बीजेपी इस बार प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति में सामाजिक और जातीय संतुलन का विशेष ध्यान रख रही है। उदाहरण के तौर पर:
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उत्तराखंड में मुख्यमंत्री राजपूत हैं, इसलिए प्रदेश अध्यक्ष को ब्राह्मण समुदाय से चुना गया।
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तेलंगाना में पहले ही दो ओबीसी मंत्री हैं, इसलिए संतुलन के लिए अध्यक्ष पद ब्राह्मण नेता को सौंपा गया।
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उत्तर प्रदेश में अब तक अध्यक्ष की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन संभावना है कि ब्राह्मण या ओबीसी नेता को यह जिम्मेदारी दी जाए। ऐसा करने के पीछे 2027 विधानसभा चुनाव और 2029 लोकसभा चुनाव की रणनीति है, क्योंकि योगी सरकार पर ब्राह्मण समुदाय की अनदेखी के आरोप लगे हैं।
राष्ट्रीय अध्यक्ष की रेस में ये नाम सबसे आगे
नए राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। जिन नेताओं के नाम प्रमुखता से सामने आ रहे हैं, वे हैं:
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मनोहर लाल खट्टर (पूर्व हरियाणा मुख्यमंत्री)
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भूपेंद्र यादव (केंद्रीय मंत्री)
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राजनाथ सिंह (पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष, वर्तमान रक्षा मंत्री)
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धर्मेंद्र प्रधान (केंद्रीय शिक्षा मंत्री)
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वी.डी. शर्मा (मध्य प्रदेश भाजपा अध्यक्ष)
इनमें से कुछ नेता RSS से जुड़े हैं, तो कुछ का संगठन पर अच्छा नियंत्रण और कार्यकर्ताओं के बीच मजबूत पकड़ है।
राजनीतिक संकेत और आगे की रणनीति
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जेपी नड्डा के बाद बीजेपी नेतृत्व में बदलाव अब बहुत करीब है। विश्लेषक रामनारायण श्रीवास्तव के अनुसार, पार्टी न सिर्फ जातीय और सामाजिक समीकरणों का संतुलन बना रही है, बल्कि यह भी देख रही है कि नया अध्यक्ष 2029 के लोकसभा चुनाव तक पार्टी को मजबूती से आगे ले जा सके।
संकेत स्पष्ट हैं – भाजपा एक नई टीम और ताज़ा नेतृत्व के साथ आगामी चुनावों की तैयारी कर रही है। अब सबकी निगाहें इस पर हैं कि अगली बार कमान किसे सौंपी जाती है।