BJP अध्यक्ष पद की लड़ाई में नया ड्रामा, मोदी-शाह की पसंद इन दो दिग्गजों को RSS ने कहा- NO!
punjabkesari.in Friday, Jul 18, 2025 - 02:22 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन को लेकर संगठन में गंभीर मतभेद उभरकर सामने आए हैं। पार्टी की वैचारिक गाइडलाइंस तय करने वाली राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व अमित शाह की जोड़ी के बीच अध्यक्ष पद के उम्मीदवार को लेकर अभी तक कोई सहमति नहीं बन पाई है। यह विवाद भाजपा के अंदर राजनीतिक संतुलन और भविष्य की रणनीतियों को लेकर जारी खींचतान का परिणाम है।
RSS की मांग
सूत्रों के अनुसार, संघ की प्राथमिकता पार्टी नेतृत्व में ऐसा चेहरा लाने की है जो पूरी तरह से संगठनात्मक रूप से सक्षम हो और मोदी-शाह के “निर्विवाद नियंत्रण” से स्वतंत्र हो। संघ चाहती है कि भाजपा का अगला अध्यक्ष पार्टी की दीर्घकालीन रणनीति को ध्यान में रखते हुए 2029 के बाद के राजनीतिक परिदृश्य को संभाल सके। भाजपा ने धर्मेंद्र प्रधान और भूपेंद्र यादव जैसे नाम संघ को भेजे थे, लेकिन अभी तक दोनों को मंजूरी नहीं मिली है। तीन दौर की बातचीत के बावजूद अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं हो पाया है।
मोहन भागवत के संकेत — 'नेताओं को समय पर सत्ता छोड़नी चाहिए'
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में स्पष्ट संकेत दिए हैं कि वरिष्ठ नेताओं को एक निश्चित उम्र के बाद सक्रिय राजनीति से पीछे हट जाना चाहिए और नई पीढ़ी को आगे आने देना चाहिए। इस बयान को मोदी की आगामी 75वीं वर्षगांठ से जोड़कर देखा जा रहा है, क्योंकि पार्टी में परंपरागत रूप से 75 वर्ष की आयु को राजनीतिक सक्रियता का आखिरी पड़ाव माना जाता है। इससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि संघ मोदी के राजनीति से धीरे-धीरे हटने की योजना बना रहा है।
मोदी-शाह बनाम संघ की जंग और पार्टी की आंतरिक चुनौती
पिछले कुछ वर्षों में मोदी और शाह की जोड़ी ने पार्टी के संगठनात्मक फैसलों पर अधिक प्रभाव जमाया था, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनावों के बाद से संघ का हस्तक्षेप बढ़ा है। संघ चाहते हैं कि भाजपा का नेतृत्व किसी ऐसे नेता के हाथ में हो जो संगठनात्मक मजबूती के साथ पार्टी की विचारधारा और रणनीति को आगे बढ़ाए। इस विवाद की वजह से पार्टी में अध्यक्ष पद के चयन की प्रक्रिया लंबित है और जल्द ही कोई अंतिम निर्णय आना मुश्किल दिख रहा है।
इसलिए भाजपा के लिए फिलहाल यह चुनौती बनी हुई है कि वह संघ और मोदी-शाह के बीच सामंजस्य बैठाकर नए अध्यक्ष का चयन कैसे कर पाएगी, ताकि पार्टी संगठनात्मक मजबूती के साथ आगामी चुनावों और राजनीतिक मोर्चों पर सफल हो सके।