अपना वतन छोड़ विदेश में बनना चाहते थे धनकुबेर, 2023 में प्रवासन के दौरान ही गई 8,565 लोगों की जान

punjabkesari.in Tuesday, Mar 12, 2024 - 08:55 AM (IST)

नेशनल डेस्क: अपने वतन को छोड़कर विदेशों में धनकुबेर बनने की चाहत में निकले प्रवािसयों की मौत के आंकड़ों में साल दर साल इजाफा होता जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी नए आंकड़े बहुत ही चौंकाने वाले है, जो बताते हैं की 2022 के मुकाबले 2023 में प्रवासन के दौरान सर्वाधिक 8,565 लोगों ने जान गंवाई है। संयुक्त राष्ट्र अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (आई.ओ.एम.) के मिसिंग माइग्रेंट्स प्रोजेक्ट द्वारा जारी रिपोर्ट के मुताबिक 2022 की तुलना में देखें तो 2023 में प्रवास के दौरान मरने वालों के आंकड़ों में 20 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।

इससे पहले 2022 में 7,141 प्रवासियों की मौत की जानकारी सामने आई थी। प्रवासन के दौरान अपनी जान गंवाने वाले यह वे लोग हैं जो बेहतर जिंदगी की तलाश में अपने देश को छोड़कर अवैध तरीके से प्रवासन मार्गों का विकल्प चुनते हैं। बीते दस साल के आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाए तो अब तक ऐसे ही हादसों में 36, 578 लोगों की जान जा चुकी है।

बीते दो माह में 651 लोगों की मौत
एक मीडिया रिपोर्ट में विश्लेषण करते हुए कहा है कि इसी तरह यदि सिर्फ 2024 में जनवरी और फरवरी से जुड़े आंकड़ों पर गौर करें तो इस साल में ही करीब 651 लोगों की प्रवासन के दौरान मौत हो चुकी है या उनका अब तक पता नहीं चला है। बता दें कि एक ऐसा ही मामला दिसंबर 2023 में सामने आया था, जब उत्तरी अफ्रीकी देश लीबिया में एक नाव के डूबने से 61 शरणार्थियों की जान चली गई थी। लीबिया स्थित इंटरनेशनल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन के मुताबिक इस नाव में कुल 86 लोग सवार थे।

भूमध्यसागर सबसे घातक और जानलेवा
आंकड़ों की मानें तो प्रवासियों के लिए भूमध्यसागर सबसे घातक साबित हुआ है, जहां कम से कम 3,129 लोगों की मौत या गुमशुदगी की जानकारी सामने आई है। बता दें कि भूमध्यसागर प्रवासन मार्ग दुनिया के सबसे खतरनाक और जानलेवा रास्तों में शामिल हैं। वहां इनकी सुरक्षा के मौजूदा तौर-तरीके कारगर नहीं हैं। यदि 2017 के बाद से देखें तो भूमध्य सागर में सबसे ज्यादा प्रवासियों की मौत 2023 में दर्ज की गई है। क्षेत्रीय तौर पर देखें तो जहां एशिया में 2,138 लोगों की जान गई, वहीं अफ्रीका में 1,866 प्रवासियों की मौतें दर्ज की गई। इनमें एशियाई क्षेत्र में अफगान और रोहिंग्या शरणार्थियों की मौतें उस समय हुई जब वे अपना देश छोड़कर जा रहे थे। वहीं अफ्रीकी क्षेत्र में अधिकांश मौतें सहारा मरुस्थल और केनेरी द्वीपों को जाने वाले समुद्री मार्ग में हुई हैं।

दस वर्षों से 63 हजार से ज्यादा लोग लापता
डाउन टू अर्थ की रिपोर्ट के मुताबिक इटली के लैम्पेडुसा में तटीय इलाके के नजदीक दो जहाजों के डूबने के बाद संयुक्त राष्ट्र प्रवासन एजेंसी ने दस साल पहले मिसिंग माइग्रेंट्स परियोजना की स्थापना की थी। यह प्रवासियों की मौतों और उनके लापता होने की घटनाओं से जुड़ा एक अहम डाटाबेस है, जो सतत विकास के लक्ष्यों के तहत सुरक्षित प्रवासन को आंकने का एकमात्र सूचक है। इस परियोजना ने अब तक दुनिया भर में इस तरह के 63 हजार से अधिक मामलों के बारे में जानकारी जुटाई है, मगर इनसे जुड़ा वास्तविक आंकड़ा इससे कहीं अधिक होने की आशंका है। आंकड़ों के मुताबिक  2014 से अब तक 63,858 लोगों की गुमशुदगी की जानकारी सामने आ चुकी है।

डूबने से 58 फीसदी लोगों की मौत
बता दें कि वैश्विक स्तर पर अब तक प्रवासियों की मौतों और गुमशुदगी के जो आंकड़े सामने आए हैं उनमें से  58 फीसदी से अधिक मौतें डूबने की वजह से हुई हैं, जबकि नौ फीसदी के लिए सड़क दुर्घटनाओं और 7 फीसदी के पीछे की वजह हिंसा थी। इसी तरह 14 फीसदी से अधिक मामलों में इनके कारणों का पता नहीं चल पाया है। रिपोर्ट के मुताबिक मौतों और गुमशुदगी के 4,162 मामलों के लिए पर्यावरण की कठोर परिस्थितियां, पर्याप्त भोजन, पानी और आश्रय की कमी जिम्मेदार रही।

2 हजार से ज्यादा की बीमारी ने ली जान
वहीं 2,054 लोगों की मौतों और गुमशुदगी के लिए बीमारी और पर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच की कमी जैसे कारक जिम्मेदार थे। अंतरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन के मुताबिक दुनिया में करीब 3.6 फीसदी आबादी प्रवासियों की है। इनमें से बहुत से लोग ऐसे हैं जो बेहतर अवसरों की तलाश में अपने परिवार, समुदायों को पीछे छोड़ दूसरे क्षेत्रों में प्रवास करते हैं। इन प्रवासियों ने 2022 में अपने परिवारों के भरण पोषण के लिए करीब 64,700 करोड़ डॉलर की रकम अपने मूल स्थानों को भेजी है।

संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने ध्यान दिलाया है कि सुरक्षित व नियमित प्रवासन के मार्ग सीमित हैं। ऐसे में सुरक्षित व कानूनी विकल्पों के अभाव में लाखों लोगों को अपनी जान खतरे में डाल असुरक्षित परिस्थितियों में समुद्री मार्ग से अनियमित मार्गों से प्रवास करने को मजबूर होना पड़ता है। इस बारे में अंतराष्ट्रीय प्रवासन संगठन के उपमहानिदेशक उगोची डेनियल्स का कहना है कि इनमें से हर क्षति एक गहरी त्रासदी है, जो परिवारों और समुदायों पर गहरे निशान छोड़ती है।

 


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Content Editor

Mahima

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