जीरा के नाम पर सेहत से खिलवाड़, झाडू और पत्थर के पाउडर से हो रहा तैयार

punjabkesari.in Wednesday, Nov 20, 2019 - 12:58 PM (IST)

वेस्ट दिल्ली(नवोदय टाइम्स): आपने सब्जियां केमिकल और इंजेक्शन देकर उसे बड़ा और हराभरा करने के बारे में देखा व सुना होगा। दाल चावल, मसालों में मिलावट की खबरें भी आती रही हैं। लेकिन इस बार बवाना पुलिस ने ऐसा जीरा जब्त किया है जोकि नकली है, जिसको फूल झाड़ू, गुड़ का सीरा और पत्थर पाउडर से बनाया जाता था। नकली जीरा दिल्ली ही नहीं बल्कि गुजरात, राजस्थान यूपी आदी शहरों में सप्लाई किया जाता था। आरोपियों की पहचान हरिनंदन, कामरान उर्फ कम्मू, गंगा प्रसाद, हरीश और पवन के रूप में हुई है। आरोपियों के कब्जे से 19,400 किलो नकली जीरा, 5250 किलो पत्थर पाउडर,1600 किलो फूल झाडू़ की घास और 1225 किलो गुड़ का सीरा बरामद किया है। गैंग अभी तक कई लाख रुपए का नकली जीरा असली जीरे में मिलाकर बेच चुका है। पुलिस उनके पूरे नेटवर्क के बारे में पता करने की कोशिश कर रही है।

 

जिला पुलिस उपायुक्त गौरव शर्मा ने बताया कि बवाना थाने में तैनात हेड कांस्टेबल प्रवीण को पूठखुर्द गांव में नकली जीरा बनने के बारे में जानकारी मिली थी। प्रवीण ने आला अधिकारियों को मामले की जानकारी दी। पुलिस North Delhiने खाद्य विभाग अधिकारियों को मामले की जानकारी दी। एसएचओ धर्मदेव की देखरेख में सब इंस्पेक्टर विजय दाहिया सब इंस्पेक्टर विनोद हेड कांस्टेेबल प्रवीण, देवेंद्र कांस्टेबल नितिन और दिनेश को गैंग का पर्दाफाश करने का जिम्मा सौंपा गया। जांच टीम ने खसरा नंबर-154 गांव पूठखुर्द में छापेमारी कर सभी आरोपियों को नकली जीरा बनाते हुए गिरफ्तार कर लिया। मौके पर से भारी मात्रा में नकली जीरा और उसे बनाने वाला सामान भी जब्त कर लिया। 

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अगस्त महीने से दिल्ली में थे सक्रिय
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि पिछले अगस्त महीने से ही गैंग बवाना में किराए पर जगह लेकर नकली जीरा बनाने का काम कर रहा था। जगह सुरेश कुमार नामक व्यक्ति की है। जांच टीम सुरेश से भी पूछताछ कर रही है। यह गैंग मुखबरी हो जाने के डर से एक शहर से दूसरे शहर में अपना ठिकाना बदलता रहता था। इससे पहले वह यूपी, राजस्थान आदी शहरों में अपने ठिकाने बनाकर सप्लाई कर रहे थे। 

 

ऐसे बनता है नकली जीरा
नकली जीरा बनाने के लिए गैंग फूलवाली झाड़ू लेता है। उसकी घास निकाल लेता है, जबकि उसकी तिल्ली फेंक देता है। गुड़ को गर्म कर उसका सीरा बना लिया जाता था। उसमें घास डाल दी जाती है। दोनों को मिलाने के बाद कुछ देर बाहर निकालकर सुखाया जाता है। जिसमें बाद में पत्थर का पाउडर मिलाया जाता है। दोनों चीजों को अच्छी तरह से मिक्स कर दिया जाता है। छलनी को लेकर मिक्स सामान को डालकर छलनी से छानाकर बाद में सुखाकर नकली जीरा तैयार करते थे।

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लागत 1 रुपए और मुनाफा सौ रुपए का
आरोपियों से पूछताछ करने पर पता चला कि पकड़े  गए सभी आरोपी जलालाबाद, शाहजहांनपुर यूपी के रहने वाले हैं। उन्होंने सबसे पहले अपने कस्बे में नकली जीरा बनाने का काम शुरू किया था, जिसमें लागत कम और मुनाफा काफी ज्यादा होता था। हरिनंदन फाइनेंसर है, जबकि बाकी 4 लेबर हैं। उनके कस्बे में भी काफी लोग इस धंधे में लगे हुए हैं। नकली जीरा बनाने में इस्तेमाल सामान राजस्थान से मंगवाया जाता था।

 

नकली जीरा 20 रु. किलो
आरोपियों से पूछताछ करने पर पता चला कि हरिनंदन होलसेल मार्केट व अपने मसाला कारोबारियों को 20 रुपए किलो में नकली जीरा बेचा करता था। आगे मसाला कारोबारी सौ किलो जीरा में 80 किलो असली और 20 किलो नकली जीरा मिलाया करता था। उसको इस तरह से सौ किलो जीरा पर 8 हजार रुपए का सीधा सीधा फायदा होता था। 


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vasudha

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