दिल्ली अग्निकांड: एक मिनट में हुआ सब कुछ खत्म, सभी सोए हुए थे तभी...
punjabkesari.in Monday, Dec 09, 2019 - 10:51 AM (IST)
नई दिल्ली: अनाज मंडी अग्निकांड में जिन लोगों की आंख वक्त पर खुल गई, उन्होंने भागकर जान बचा ली या मददगारों ने उनको बचा लिया, लेकिन जो लोग सोते रह गए उनको मौत ने अपना शिकार बना लिया। आग लगने के बाद फैक्ट्री में चारों तरफ मौत का ही मंजर था, ऐसे में जिनकी नींद खुली उनमें से कुछ उठकर भागे भी, लेकिन वे ज्यादा दूरी तय नहीं कर सके और भीतर ही गिर पड़े। आग के बाद मौके पर अफरा-तफरी मच गई, आस पास में रहने वाले लोग अपनी बिल्डिंग से बाहर निकल आए। कुछ ऐसे लोग थे जिन्हें मौके पर पहुंचे फायर कर्मियों ने छत पर जाकर जान बचाई। फैक्ट्री में मजदूरों की आवाजें धीरे-धीरे दर्दनाक होती जा रही थीं। लोगों में कोई पानी तो कोई कपड़े से ही आग को बुझाने की कोशिश कर रहा था। मगर, आग के विकराल रूप के सामने आने की किसी में हिम्मत नहीं थी।
बाल्टी से पानी फेंक आग बुझाने की कोशिश...
चश्मदीद मोहम्मद खालिद ने बताया कि घटना के वक्त अजान की आवाजें आ रही थीं। वह बाहर निकला तो देखा कि पड़ोस की इमारत से धुआं निकल रहा है, लेकिन इमारत बाहर से बंद होने की वजह से कोई अंदर नहीं जा पा रहा था। अंदर मौजूद लोग अपनी जान बचाने के लिए चिल्ला रहे थे। अंदर नहीं जा पाने की स्थिति में बाहर मौजूद लोग बाल्टी से पानी फेंक कर आग बुझाने की कोशिश करने लगे। इसी बीच फायर कर्मी मौके पर पहुंच गए। गली संकरी होने की वजह से फायर की छोटी गाडिय़ां ही अंदर पहुंच पाईं। मजदूरों को फंसा देख फायरकर्मी दूसरे मकान से छत पर पहुंचे और फिर ऊपर के दरवाजे को तोड़कर अंदर प्रवेश कर लोगों को बचाई। पड़ोस में रहने वाले फिरोज ने बताया कि उसकी आग लगने वाली इमारत की तीसरी मंजिल पर रहने वाले सुलेमान से बात हुई थी।
100 मीटर की दूरी से बुझाई गई आग...
खालिद ने बताया कि वह करीब साढ़े चार बजे सुबह तक काम करने के बाद सोने की तैयारी कर रहा था। थोड़ी सी नींद लगी थी कि करीब सवा पांच बजे शोर सुनकर उसकी नींद खुल गई। वह बाहर की ओर गया, लेकिन पूरी मंजिल पर काला धुआं फैला हुआ था। जिसकी वजह से उसे सांस लेने में दिक्कत होने लगी। वह इमारत की ऊपरी मंजिल की ओर भागा। फिर फायरकर्मियों के आने के बाद उसकी जान बच सकी। अफसरों ने बताया कि संकरी गलियों और उलझे बिजली के तारों की वजह से दमकल की गाडिय़ां और उनके पाइप बिल्डिंग तक नहीं पहुंच पाए। इसलिए आग को करीब 100 मीटर की दूरी से बुझाया गया। कुछ दमकलकर्मियों ने आग बुझाने के लिए गाड़ी से पानी लेकर बिल्डिंग तक दौड़-भाग भी की। हादसे के बाद किसी तरह पड़ोसियों ने मेन गेट का दरवाजा तोड़ा, इसके अलावा दमकल कर्मियों ने ऊपरी मंजिल पर बने जीने के दरवाजे को तोड़ा। बाद में ऑक्सीजन सिलेंडर और मॉस्क पहनकर बिल्डिंग में अंदर दाखिल हुआ जा सका। किसी तरह आग पर काबू पाने के बाद 6.30 बजे दमकल कर्मियों, पुलिस व पड़ोसियों ने घायलों को कंधों पर डालकर बाहर निकलना शुरू किया।
सभी सोए हुए थे, लग गई आग...
पड़ोसी जाकिर हुसैन ने बताया कि सुबह चार बजे तक फैक्ट्री में मजदूरों ने काम किया था। रात के समय यहां प्लास्टिक का बहुत सारा माल भी उतरा था। 4.30 बजे मजदूर सोए थे। इसके बाद ही आग लगी। सुबह इस घटना के बाद पुलिस ने तीस हजारी अदालत की ओर से घटनास्थल पर जाने वाले फ्लाई ओवर के नीचे के रास्ते को बंद कर दिया। जिसकी वजह से वाहनों का दबाव फ्लाई ओवर पर बढ़ गया। वहीं, जैसे-जैसे लोगों को घटना की जानकारी मिलती गई, आसपास के लोग घटनास्थल पर पहुंचने लगे। पुलिस ने लोगों को घटनास्थल पर जाने से रोक दिया। चूंकि फ्लाई ओवर से घटनास्थल साफ तौर पर दिख रहा था। इसलिए लोग फ्लाई ओवर के रेलिंग के पास खड़े हो गए। फ्लाईओवर पर फुटपाथ नहीं होने और लोगों की भीड़ की वजह से वाहनों की रफ्तार थम गई और कुछ ही देर में फ्लाई ओवर पर वाहन रेंगने लगे। उसके बाद फ्लाई ओवर पर पुलिसकर्मियों को तैनात कर दिया गया। पुलिसकर्मी लोगों को हटा दिया, लेकिन कुछ देर बाद फिर से लोग फ्लाई ओवर पर जमा हो गए।