'आम आदमी पार्टी को खत्म करने की साजिश है', दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के बाद बोली AAP
punjabkesari.in Tuesday, Apr 09, 2024 - 06:09 PM (IST)
नेशनल डेस्कः दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल प्रवर्तन निदेशालय द्वारा कथित आबकारी नीति घोटाले से जुड़े धनशोधन के मामले में अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका खारिज करने के हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख करेंगे। आम आदमी पार्टी (आप)ने मंगलवार को यह घोषणा की। उच्च न्यायालय का फैसला आने के कुछ देर बाद ही ‘आप' ने कहा कि ‘‘तथाकथित आबकारी नीति घोटाला केजरीवाल और उनकी पार्टी को खत्म करने के लिए सबसे बड़ी राजनीतिक साजिश है।''
आप के वरिष्ठ नेता और दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा, ‘‘हम हाईकोर्ट का संस्था के तौर पर आदर करते हैं लेकिन सम्मान के साथ कहना चाहते हैं कि हम उसके आदेश से सहमत नहीं है और उसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख करेंगे।'' उन्होंने दावा किया कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ‘तथाकथित आबकारी नीति मामले' में अवैध धन का एक रुपया भी बरामद करने में विफल रहे हैं।
भारद्वाज ने कहा, ‘‘ पूरा मामला धनशोधन से जुड़ा नहीं है, बल्कि यह देश की सबसे बड़ी राजनीतिक साजिश है। यह अरविंद केजरीवाल एवं दिल्ली और पंजाब में आप सरकार को कुचलने और खत्म करने की साजिश है।'' भारद्वाज ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट मामले में अरविंद केजरीवाल को वैसी ही राहत देगा जैसा उसने पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह को जमानत देकर दिया था। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को केजरीवाल की याचिका खारिज कर दी थी।
जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा ने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘‘अदालत का मानना है कि अरविंद केजरीवाल की गिरफ्तारी कानूनी प्रावधानों का उल्लंघन नहीं है। रिमांड को अवैध नहीं ठहराया जा सकता।'' केजरीवाल ने गिरफ्तारी के साथ-साथ मामले में उन्हें ईडी की हिरासत में भेजने को भी चुनौती दी थी। वह इस समय न्यायिक हिरासत में हैं।
यह मामला 2021-22 के लिए दिल्ली सरकार की आबकारी नीति तैयार करने और क्रियान्वित करने में कथित भ्रष्टाचार तथा धनशोधन से संबंधित है। संबंधित नीति को बाद में रद्द कर दिया गया था। धन शोधन रोधी एजेंसी की दंडात्मक कार्रवाई से सुरक्षा देने से उच्च न्यायालय के इनकार के कुछ ही घंटे बाद ईडी ने केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार कर लिया था। ईडी हिरासत की अवधि समाप्त होने पर निचली अदालत में पेश किए जाने के बाद उन्हें एक अप्रैल को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।