Nitin Gadkari Interview: भाजपा सरकार बनने पर ट्रैफिक, पानी और प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी
punjabkesari.in Wednesday, Jan 29, 2025 - 02:51 PM (IST)
Delhi Assembly Election 2025 : केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ( Nitin Gadkari) से पंजाब केसरी / नवोदय टाइम्स के लिए अकु श्रीवास्तव ने की विशेष बातचीत।
पेश हैं विशेष साक्षात्कार के मुख्य अंश...
सवाल- दिल्ली के लिए नया क्या? आखिर हम लोग कब तक प्रदूषण और ट्रैफिक से जूझते रहेंगे?
जबाव- दिल्ली और आसपास के लिए बहुत बड़ी योजनाओं पर हम काम कर रहे हैं। दिल्ली के चारों ओर के लिए ये योजनाएं जहां प्रदूषण कम करेंगी, वहीं हांफते ट्रैफिक से भी बड़ी राहत मिलेगी। दिल्ली में और 35 हजार करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट शुरू किए हैं हमने। हमने दिल्ली की पानी की समस्या से निपटने के लिए तीन परियोजनाएं शुरू की हैं और इसके लिए दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के बीच 21 हजार करोड़ से भी ज्यादा की जल परियोजनाओं का समझौता कराया है।
दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और उत्तराखंड के बीच यमुना के पानी को लेकर बहुत झगड़े थे। यह एक बहुद्देश्यीय परियोजना है। इसकी लागत 5747 करोड़ रुपए है। इसके अलावा 4597 करोड़ की रेनुकाजी बांध परियोजना और 11550 करोड़ रुपए की किशाऊ बांध परियोजना भी चल रही है। ये सभी 2030 तक पूरी हो जाएंगी। इन तीनों परियोजनाओं से दिल्ली को 130 एमसीएम पानी मिलेगा और मुझे लगता है कि 2080 तक दिल्ली में पानी की कोई समस्या नहीं रहेगी। इसके अलावा दिल्ली में यमुना की सफाई के लिए मैंने यमुना एक्शन प्लान के लिए नमामि गंगे प्रोजेक्ट से 6000 करोड़ रुपए दिए हैं। दूसरा, पानी की समस्या को हल करने के लिए 21 हजार करोड़ से अधिक और एक लाख करोड़ रुपए के रोड प्रोजेक्ट्स भी हैं। इनमें 65 हजार करोड़ रुपए के प्रोजेक्टों पर पहले से काम चल रहा है। अभी हम 1.4 लाख करोड़ के काम दिल्ली में कर रहे हैं। इससे पानी, ट्रैफिक और प्रदूषण की 50 प्रतिशत तक समस्या खत्म हो जाएगी।
सवाल- इसके बाद क्या सचमुच दिल्ली रहने लायक बन जाएगी?
जबाव- परिवहन क्षेत्र के प्रदूषण को हम कम करेंगे, लेकिन पंजाब, हरियाणा में पराली जलाई जाती है, उसके कारण भी दिल्ली में प्रदूषण बढ़ता है। पानीपत में एक प्रोजेक्ट शुरू किया है। इसमें पराली से एक लाख लीटर इथेनॉल तथा हवाई ईंधन तैयार हो रहा है। पराली से सीएनजी बनाने का काम चल रहा है। ऐसे 400 प्रोजेक्ट हैं, जिनमें 60 प्रोजेक्ट पूरे हो गए हैं। किसान अन्नदाता के साथ ऊर्जा, ईंधन, हवाई ईंधन दाता बनते जा रहे हैं। वहीं, अब पराली नहीं जलेगी व किसान भी समृद्ध होंगे। हमने गाजीपुर के कचरे की 7 मीटर ऊंचाई कम कर दी है।
यहां का कचरा एक्सप्रेस-वे निर्माण में डाल दिया है। आगे के प्रोजेक्ट में भी दिल्ली की चारों लैंडफिल साइट के कचरे को डालकर इसे हम साफ कर देंगे। कचरे से निकलने वाले प्लास्टिक आदि को रिसाइकिल किया जाएगा तथा जो ऑर्गेनिक होगा, उससे हाइड्रोजन गैस बनेगी, उससे बसें चलेंगी। इसलिए मैं हमेशा कहता हूं, वेस्ट-टू-वेल्थ यानी कि कोई चीज वेस्ट नहीं है। इन कामों से हमारा देश आत्मनिर्भर बनेगा तथा देश आर्थिक तरक्की भी करेगा।
सवाल- बाधाएं कहां हैं?
जबाव- हरियाणा सरकार ने इन कार्यों में सब्सिडी दी है। मैं पंजाब के मुख्यमंत्री से भी कहूंगा कि इस ओर ध्यान दें तथा किसानों को सब्सिडी दें ताकि वे पराली न जलाएं तथा पराली नहीं जलेगी तो प्रदूषण भी नहीं होगा। इससे वेस्ट-टू-वेल्थ का सपना भी साकार होगा। सभी 400 प्रोजेक्ट शुरू होने के बाद पराली बचेगी तो किसान ऊंची कीमत पर उसे बेच भी सकेंगे।
सवाल- दिल्ली के कूड़े के पहाड़ से कब मुक्ति मिलेगी?
जबाव- पांच साल के अंदर इन कूड़े के पहाड़ों को खत्म करने की मेरी कोशिश है। अभी मैं डायरेक्ट आश्वासन नहीं दे पाऊंगा, क्योंकि इसमें अभी बहुत काम करना है। दिल्ली-मेरठ मार्ग में इसके इस्तेमाल करने की परमिशन मिल जाती तो अभी तक यह खत्म हो जाता, मैं तब से कोशिश कर रहा हूं।
सवाल- आप वाहन क्षेत्र में भी नए-नए प्रयोग कर रहे हैं। नए तरीके की परिवहन व्यवस्था को लेकर किस तरह से काम किया जा रहा है? निकट भविष्य में कौन से प्रोजेक्ट सामने आने वाले हैं?
जबाव- परिवहन व्यवस्था को आधुनिक बनाने के लिए मैं पूरा प्रयास कर रहा हूं। अंतरराष्ट्रीय स्तर की परिवहन सेवाओं के लिए मैं काम करवा रहा हूं। इनकी शुरूआत के बाद परिवहन की दुनिया का नजारा ही बदल जाएगा। अभी मैंने प्रोजेक्ट की घोषणा नहीं की है, लेकिन मेरे यहां काम चल रहा है। धौला कुआं से मानेसर तक मैं हवा में चलने वाली स्काई बस चलाना चाहता हूं। इस पर काम चल रहा है। 30-40 लोग एक पौंड में बैठेंगे और 30-30 सैकंड पर एक-एक पौंड आएगा। अभी मैं इसके बारे में पूरा नहीं बता पाऊंगा। मैं एक-डेढ़ साल में इसे शुरू करने की कोशिश कर रहा हूं।
सवाल- आप अकेले ऐसे मंत्री हैं जिनका एक ही मंत्रालय में बने रहने का रिकाॅर्ड है। पहले के 60 साल के काम और आपके कार्यकाल का क्या अंतर है?
जबाव- 2014 में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार आई। 1947 से 2014 में जितना काम 60 साल में नहीं हुआ उससे ज्यादा काम मोदी के नेतृत्व में दस साल के अंदर करके दिखा दिया और भी दिखेगा। एक-दो साल में दिल्ली बदल जाएगी। ट्रैफिक का दबाव कम हो जाएगा, प्रदूषण कम हो जाएगा। दो-दो नए एयरपोर्ट आ जाएंगे। सेकेंड फेज में हम काम कर रहे हैं। मास ट्रांसपोर्ट इलेक्ट्रिक सिटी बस आ जाएगी। पहला प्रोजेक्ट, नागपुर में कर रहा हूं। 135 सीटर बस होगी, वह बस स्टाॅप पर खड़ी रहेगी। चार्ज होने के बाद 40 किलोमीटर चलेगी। बस में एयर होस्टेस जैसी होस्टेस होंगी, चाय-पानी नाश्ता सब मिलेगा। वातानुकूलित बसें होंगी। यात्रा को सस्ता बनाने के लिए भी हम रणनीति बनाकर चल रहे हैं। इसके लिए टिकट का रेट 30 प्रतिशत कम रखा जाएगा।
सवाल- इन्फ्रास्ट्रक्चर को लेकर सिंगापुर का नाम आता है। क्या उसकी तरह का कुछ काम हो सकता है?
जबाव- अभी सिंगापुर के राष्ट्राध्यक्ष आए थे। सभी मंत्री उनके साथ थे। हिन्दुस्तान में हम जो कुछ कर रहे हैं इस पर उन्होंने बहुत खुशी जताई। मैंने उन्हें बताया कि हमारा नेशनल हाईवे प्रोजेक्ट पूरा होकर अमरीका के बराबर होगा। वह पूरा होने वाला है और 6 से 8 महीने में हो जाएगा। हमारा हाईवे नेटवर्क अमरीका से अच्छा होगा।
सवाल- गाड़ियों के मामले में इथेनॉल और हाईड्रोजन वाली गाड़ियां कब से चलने लगेंगी?
जबाव- किसान अब ईंधनदाता बन गया है। यह इथेनॉल शुगर, पराली और चावल आदि से बनता है। इथेनॉल से चलने वाली गाड़ी मेरे पास है। मेरे पास हाईड्रोजन से चलने वाली गाड़ी भी है। इलेक्ट्रिक गाड़ी भी है। अब टाटा, महिन्द्रा, टोयटा, सुजूकी, ये सब लोग फ्लैश इंजन वाली गाड़ी ला रहे हैं। अब 100 प्रतिशत गाड़ियां बायो इथेनॉल पर चलेंगी। स्कूटर कंपनी इथेनॅाल वाली स्कूटर ला रही हैं। इंडियन ऑयल ने 400 पंप डालने का निर्णय लिया है। इथेनॉल का उत्पादन बढ़ गया है।
सवाल- इस बात को किसान समझने को राजी है क्या?
जबाव- आज किसानों को गन्ने के अच्छे भाव मिल रहे हैं। इसका एक ही कारण है कि इथेनॉल बन रहा है। शक्कर का उत्पादन तो ठीक नहीं है। अब किसानों को इथेनॉल से बहुत बड़ा फायदा होने लगा है। एग्रीकल्चर ग्रोथ रेट जो 13-14 प्रतिशत है वह 20 से 22 प्रतिशत हो जाएगा।
सवाल- आपकी काम कराने वाले ठेकेदारों के प्रति सख्ती भी जगजाहिर है?
जबाव- मैं अभी तक 50 लाख करोड़ रुपए का काम करा चुका हूं। मेेरे काम में कोई करप्शन नहीं है। क्वालिटी की समस्या आती है क्योंकि मानवीय पहलू होता है। कभी तकनीकी समस्या भी आती है। अब लोगों को पता चल गया है कि अच्छी क्वालिटी के काम नहीं करेंगे तो सजा होगी। कार्रवाई भी की है। बहुत सारे लोगों को एक-एक साल के लिए ब्लैकलिस्टेड किया है।
'अफसोस, दुर्घटनाएं काबू कम कर पा रहा हूं'
मुझे डिपार्टमेंट में सब जगह सफलता मिली है, लेकिन एक चीज में सफलता नहीं मिली। यह जो 5 लाख दुर्घटनाएं होती हैं, इसमें पहले 3 लाख मौतें होती थीं, अब 1 लाख 80 हजार मौतें हो रही हैं। मरने वालों में 18 से 34 उम्र वालों की संख्या 64 प्रतिशत है। 30 हजार मौतें इसलिए होती हैं क्योंकि वे हेलमेट नहीं पहनते हैं। 10 हजार मौतें स्कूल के आसपास बच्चों की होती हैं।
50 हजार मौतें इसलिए होती हैं क्योंकि तत्काल चिकित्सा सहायता नहीं मिलती है। अभी हम लोगों ने एक स्कीम निकाली है कि जो दुर्घटनाएं होती हैं, दुर्घटना के शिकार लोगों को उठाकर अस्पताल तक ले जाने वालों को राह प्रहरी नाम दिया है, उन्हें हम 5 हजार की जगह 25 हजार रुपए का पुरस्कार देंगे। डाॅक्टर तुरंत इलाज करें, इसके लिए सात दिन का खर्च कम से कम डेढ़ लाख रुपए अस्पताल को देंगे। इस स्कीम के तहत हम लोगों से दुर्घटना पीड़ितों की मदद करने की अपील कर रहे हैं।
युवा सेहत को प्राथमिकता दें
मैं युवाओं और सबको कहूंगा कि पहली प्राथमिकता अपनी सेहत को दें। दूसरी प्राथमिकता ईमानदारी को दें। तीसरी प्राथमिकता गरीबों की सेवा करने में दें, चाहे राजनीतिक रूप से या सामाजिक रूप से करें।
वड़ा-पाव और समोसे पर चुप्पी
मैं तो चाहता हूं कि मोटे अनाज को बढ़ावा देने के लिए उसकी अच्छी वैरायटी बनाई जाए। पर वड़ा पाव और समोसा मेरी कमजोरी है। खाने-खिलाने का शौक है। खुशी मिलती है। खुशी से जीवन जीना चाहिए।