Delhi Elections 2025: छोटे दलों की बढ़ी चुनौती, BSP, AIMIM और BLP की सामने आई रणनीतियां
punjabkesari.in Tuesday, Jan 14, 2025 - 12:56 PM (IST)
नेशनल डेस्क: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में तीन प्रमुख राजनीतिक दलों – आम आदमी पार्टी (AAP), भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस – के लिए एक नई चुनौती सामने आ रही है। आगामी चुनाव में छोटे राजनीतिक दल, जैसे बहुजन समाज पार्टी (BSP), ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) और भारतीय लिबरल पार्टी (BLP), उनके वोट बैंक को काटने के लिए तैयार हैं। इन छोटे दलों की बढ़ती सक्रियता और चुनावी रणनीतियां दिल्ली की सियासत में बदलाव ला सकती हैं।
BSP: सभी 70 सीटों पर लड़ने की योजना
BSP ने दिल्ली चुनाव में अपनी पूरी ताकत झोंकने का निर्णय लिया है और पार्टी ने सभी 70 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है। BSP का मुख्य ध्यान दलित और वंचित समुदायों के बीच अपनी पकड़ को मजबूत करने पर है। पार्टी के नेताओं का मानना है कि दिल्ली में 2008 से 2012 के बीच उनके पास एक मजबूत वोट शेयर था, लेकिन केजरीवाल और उनकी पार्टी ने झूठे वादों के जरिए उनके समर्थकों को गुमराह किया। अब BSP अपने पुराने वोट शेयर को वापस हासिल करने के लिए चुनाव मैदान में है। पार्टी की प्रमुख नेता मायावती के नेतृत्व में आगामी रैलियों के जरिए दलितों और पिछड़े वर्गों में पार्टी का आधार फिर से मजबूत किया जाएगा। BSP के केंद्रीय समन्वयक नितिन सिंह ने कहा कि पार्टी का उद्देश्य दिल्ली के मतदाताओं को बेहतर अवसर प्रदान करना है। उनका दावा है कि उनकी पार्टी के लोग पिछले कुछ वर्षों में केजरीवाल के झूठे वादों से परेशान हो चुके हैं, और अब वे बदलाव की ओर देख रहे हैं। इसके साथ ही पार्टी दिल्ली में भ्रष्टाचार और सामाजिक न्याय के मुद्दों को भी प्रमुखता से उठाएगी।
AIMIM: मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में सीधा मुकाबला
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM), जो हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी है, दिल्ली में 10 से 12 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है। पार्टी का फोकस मुस्लिम बहुल इलाकों पर है, जहां वे भाजपा के खिलाफ सीधा मुकाबला करेंगे। AIMIM ने अब तक दो प्रमुख उम्मीदवारों का ऐलान किया है – मुस्तफाबाद से ताहिर हुसैन और ओखला से शफा उर रहमान। ये दोनों ही 2020 के दिल्ली दंगे मामलों में आरोपी रहे हैं और दोनों नागरिकता संशोधन कानून (सी.ए.ए.) और राष्ट्रीय नागरिक पंजीकरण (एन.आर.सी.) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में प्रमुख चेहरे थे। AIMIM का मुख्य उद्देश्य मुस्लिम वोटों को एकजुट करना है और भाजपा को इन सीटों पर सीधे चुनौती देना है। पार्टी की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष शोएब जमई ने कहा है कि उनकी पार्टी इन निर्वाचन क्षेत्रों में आप और कांग्रेस को अपने रास्ते से हटाकर भाजपा के खिलाफ सीधी लड़ाई लड़ने की तैयारी में है। ओवैसी की रैलियां इन सीटों पर चुनावी माहौल को गर्म करने के लिए आयोजित की जा सकती हैं। उनका कहना है कि बीजेपी को हराने के लिए AIMIM ही सबसे मजबूत ताकत है, और इन क्षेत्रों में उनकी पार्टी का दबदबा मजबूत होगा।
BLP: भ्रष्टाचार के खिलाफ नई पार्टी का संघर्ष
नई पार्टी भारतीय लिबरल पार्टी (BLP) भी दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपनी पहचान बनाने के लिए मैदान में उतर रही है। पार्टी के संस्थापक मुनीश कुमार रायजादा, जो पहले भ्रष्टाचार रोधी आंदोलन का हिस्सा थे, ने कहा कि वे दिल्ली के चुनाव में ‘आप’ के खिलाफ कड़ी टक्कर देंगे। रायजादा ने बताया कि दिल्ली में दीर्घकालिक विकास के लिए उनकी पार्टी गंभीर है और उनका मुख्य उद्देश्य भ्रष्टाचार को खत्म करना है। BLP का सबसे बड़ा वादा भ्रष्टाचार निरोधक आयोग (ए.सी.सी.) का गठन करना है, जिससे सरकारी अधिकारियों और नेताओं के भ्रष्टाचार को कड़ी सजा मिल सके। BLP नयी दिल्ली सीट से ‘आप’ प्रमुख अरविंद केजरीवाल के खिलाफ उम्मीदवार उतारने जा रही है। इसके अलावा पार्टी का मुख्य ध्यान सरकार के प्रशासनिक सुधारों और सार्वजनिक सेवाओं को बेहतर बनाने पर होगा। BLP के संस्थापक मुनीश कुमार रायजादा ने चुनाव में अपनी पार्टी को भ्रष्टाचार और सुशासन के लिए एक बड़ा समाधान बताया है।
चुनाव में छोटे दलों का असर
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में इन छोटे दलों की बढ़ती सक्रियता से मुख्य दलों के लिए नई चुनौतियां सामने आ रही हैं। अगर इन दलों ने अपनी रणनीतियों को सही ढंग से लागू किया, तो इनका असर वोटों के बंटवारे पर पड़ेगा और यह तीन प्रमुख दलों के लिए परेशानी का कारण बन सकता है। BSP , AIMIM और BLP की कोशिशें चुनावी समीकरण को बदल सकती हैं और दिल्ली की राजनीति को नया मोड़ दे सकती हैं। यह चुनावी मुकाबला और दिलचस्प हो सकता है क्योंकि इन दलों का लक्ष्य केवल सीटें जीतना नहीं, बल्कि दिल्ली में नए विचार और मुद्दों को प्रमुख बनाना है। छोटे दलों की बढ़ती ताकत यह संकेत देती है कि दिल्ली की राजनीति अब बड़े बदलाव के दौर में प्रवेश कर सकती है।