Delhi Assembly Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनावों में BSP का ऐतिहासिक विश्लेषण, जानें 15.2% से 0.8% तक सफर
punjabkesari.in Tuesday, Jan 07, 2025 - 09:38 PM (IST)
नेशनल डेस्क: दिल्ली विधानसभा चुनावों में बहुजन समाज पार्टी (BSP) का प्रदर्शन समय के साथ उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। पार्टी ने विभिन्न चुनावों में अपनी स्थिति को मजबूत करने और जनाधार बढ़ाने के लिए कई प्रयास किए हैं। आइए, हम BSP के प्रदर्शन और वोट शेयर पर एक नजर डालते हैं।
प्रारंभिक दौर: 1993 से 2008 तक
साल 1993 में दिल्ली विधानसभा चुनावों में BSP ने 15.2% वोट शेयर प्राप्त किया था, जो पार्टी के लिए एक मजबूत शुरुआत थी। साल 1998 में यह आंकड़ा बढ़कर 19.8% हो गया, जिससे पार्टी की स्थिति और मजबूत हुई। साल 2003 में BSP का वोट शेयर 14.8% था, जबकि साल 2008 में यह घटकर 10.9% रह गया। इन वर्षों में BSP ने दिल्ली में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, लेकिन सत्ता में आने में सफल नहीं हो पाई।
आधुनिक दौर: साल 2013 से 2020 तक
साल 2013 में BSP का वोट शेयर 4.1% था, जो 2015 में घटकर 2.1% रह गया। 2020 में यह आंकड़ा और भी कम होकर 0.8% हो गया। इन वर्षों में BSP का प्रदर्शन निराशाजनक रहा, और पार्टी दिल्ली विधानसभा में अपनी उपस्थिति दर्ज नहीं कर पाई।
वर्तमान स्थिति: साल 2025 के चुनाव की तैयारी
हाल ही में, BSP सुप्रीमो मायावती ने दिल्ली विधानसभा चुनावों में पार्टी की भागीदारी की घोषणा की है। उन्होंने कहा है कि BSP अकेले अपने बलबूते पर चुनाव लड़ेगी और उम्मीद जताई है कि पार्टी इस चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करेगी। उन्होंने मतदाताओं से अपील की है कि वे BSP उम्मीदवारों को वोट दें और किसी पार्टी के लुभावने वादों में न आएं।
आकाश आनंद की भूमिका
BSP के राष्ट्रीय को-ऑर्डिनेटर आकाश आनंद दिल्ली विधानसभा चुनाव के प्रचार में सक्रिय हैं। वे आम आदमी पार्टी (AAP), भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए दलितों के मुद्दों को उठाकर पार्टी को फिर से चर्चा में लाने का प्रयास कर रहे हैं। आकाश आनंद ने AAP के संयोजक अरविंद केजरीवाल पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उनके वादे द्रौपदी की साड़ी की तरह हैं, जो फेंकते जाएं, हम लपेटते जाएं।
BSP का दिल्ली विधानसभा चुनावों में प्रदर्शन समय के साथ घटता गया है। हालांकि, पार्टी ने साल 2025 के चुनावों में अपनी स्थिति को सुधारने और जनाधार बढ़ाने के लिए सक्रिय प्रयास शुरू किए हैं। अब देखना यह होगा कि BSP इन प्रयासों में कितनी सफल होती है और दिल्ली की राजनीति में अपनी खोई हुई जमीन को फिर से हासिल कर पाती है या नहीं।