गांधी जयंती विशेष: नरक जैसे हालात, यह कैसी स्वच्छता?

punjabkesari.in Tuesday, Oct 02, 2018 - 02:32 PM (IST)

नई दिल्ली (नवोदय टाइम्स): भारत सरकार हो या फिर निगम, सभी 15 सितंबर से राष्ट्रीय स्वच्छता मिशन के तहत ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान को लेकर काम कर रहे हैं। महात्मा गांधी की जयंती 2 अक्टूबर को इस अभियान का समापन होगा। बाकी जगह यह अभियान सफाई को समर्पित रहा, लेकिन पूर्वी दिल्ली में यह कचरे और गंदगी को समर्पित रहा। यमुना पार का इतना बुरा हाल है कि लोग सांस तक नहीं ले पा रहे हैं। अगर आज गांधी जी होते और यमुना पार के क्षेत्र में जाते तो देश की आजादी की तरह कूड़ा-कचरा और गंदगी से आजादी के लिए भी उनको आंदोलन चलाना पड़ता। 

पूर्वी नगर निगम के सफाई कर्मचारी लगभग तीन हफ्ते से हड़ताल पर हैं। वेतन, एरियर आदि के भुगतान और सर्विस पक्की किए जाने को लेकर वे लगातार आंदोलन कर रहे हैं। मांगें नहीं माने जाने के कारण सफाई कर्मचारियों ने कूड़ा उठाना बंद कर रखा है। तीन हफ्ते से यही हाल हैं और निगम नेता अब तक हाथ पर हाथ धरे बैठे रहे। यमुना पार हर तरफ केवल कचरा ही कचरा दिखाई दे रहा है। दुर्गंध से लोगों का जीना मुहाल हो गया है। महामारी तक फैल सकती है। जगह-जगह लोग बीमार भी पड़ने लगे हैं। 
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ये हैं हालात 

  • पूर्वी निगम क्षेत्र में 2800 मीट्रिक टन के करीब प्रतिदिन निकलता है कूड़ा
  • 20 दिन से नहीं उठ रहा है कूड़ा, हर तरफ दुर्गंध ही दुर्गंध
  • पूर्वी निगम में 4000 के करीब सफाई कर्मचारियों को किया जाना है पक्का 
  • निगम पर हर महीने  बढ़ जाएगा 1.25 करोड़ रुपए का खर्च 


सफाई पर कैसा समझौता
सबसे महत्वपूर्ण बात तो यह है कि सफाई ऐसा विषय है, जिस पर किसी तरह से समझौता किया ही नहीं जा सकता। सफाई नहीं होने के इतने ज्यादा नुकसान हैं कि उसे किसी भी कीमत पर टाला नहीं जा सकता। वह भी जब एक-एक दिन में कई-कई मीट्रिक टन कचरा निकलता हो। लेकिन पूर्वी दिल्ली ने सितंबर में जो हालात देखे हैं और आज भी जो स्थिति बनी हुई है, वह नारकीय है। 

सेल्फी विद गारबेज
कचरा हर तरफ बिखरा है। ऐसे में लोगों ने गांधीगीरी के अंदाज में कचरे के साथ फोटो लेकर उसे सोशल मीडिया पर डालना शुरू कर दिया है। लेकिन उसका भी असर होता नहीं दिखाई दिया। धर्मपुरा, विकास मार्ग, गांधी नगर, कैलाश नगर, गीता कॉलोनी, कृष्णानगर आदि इलाकों में बहुत बुरा हाल हो गया है।

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सरकार और निगम के बीच फंसी सफाई
कूड़ा उठाना और सफाई करना निगमों का काम है। लेकिन दिल्ली में यह काम निगम के स्तर से वैसा नहीं किया जा रहा है, जो राजधानी की शान-ए-शौकत के हिसाब से होना चाहिए। सफाईकर्मियों की हड़ताल पर राजनीति हो रही है। भाजपा वाले कहते हैं कि केजरीवाल के इशारे पर आयुक्त ने ऐसा किया और नारकीय स्थिति बनी।

कमिश्नर ने जता दी थी मजबूरी
सफाई कर्मचारियों की हड़ताल पर कमिश्नर रणवीर सिंह ने तबादले से पहले साफ कह दिया था कि पूर्वी दिल्ली नगर निगम की वित्तीय स्थिति ऐसी नहीं कि कर्मचारियों को पक्का करने के बाद पड़ने वाले वित्तीय भार को उठाया जा सके। जब तक चौथा वित्त आयोग लागू नहीं हो जाता, तब तक पूर्वी नगर निगम किसी भी स्थिति में सफाई कर्मचारियों की मांगों को पूरा नहीं कर सकता।

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क्या बोले स्थायी समिति अध्यक्ष
पूर्वी नगर निगम की स्थायी समिति के अध्यक्ष सत्यपाल ने कहा कि पूर्वी निगम की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है। फिर भी जो भी कमाई होती है, उससे सफाई कर्मचारियों को वेतन दिया जाता है। दिल्ली सरकार निगम का करीब तीस हजार करोड़ रुपया नहीं दे रही है। इस कारण सारा मामला गड़बड़ हो गया है। उन्होंने कहा कि अदालत के आदेश के बावजूद दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार निगम के हिस्से की धनराशि जारी नहीं कर रही है। उन्होंने कहा कि निगमायुक्त दिल्ली सरकार के इशारे पर काम कर रहे थे, तभी सफाई कर्मचारियों को पक्का नहीं किया जा सका।

लगातार प्रदर्शन कर रहे सफाई कर्मचारी
पूर्वी निगम में सफाई कर्मचारियों की हड़ताल होना और गंदगी का अंबार लगना नई बात नहीं है। हर बार आश्वासन मिलने पर सफाई कर्मचारी हड़ताल खत्म कर देते हैं। एक बार फिर कर्मचारी हड़ताल पर हैं और पूर्वी दिल्ली बेहाल है। सफाईकर्मियों के नेता संजय गहलोत ने कहा कि मांगें पूरी होने तक हड़ताल जारी रहेगी। 


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vasudha

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