वकीलों के लिए जल्द तय होगी बहस की समयसीमा, अमेरिका में बोलने के लिए मिलते हैं सिर्फ 25 मिनट
punjabkesari.in Sunday, Aug 01, 2021 - 12:46 PM (IST)
नेशनल डेस्क: अदालतों में लंबित मामलों को देखते हुए सुप्रीम कोर्ट के कई जजों ने अब वकीलों को लिखित दस्तावेज संक्षिप्त में देने और बहस से लिए समय निर्धारित करने की कवायद शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि जल्द ही नियम भी बनाए जा सकते हैं। पिछले दिनों से ही कई न्यायाधीशों ने वकीलों को दलीलों को संक्षिप्त में और बहस से पूर्व देने के लिए कहना शुरू कर दिया है।
जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि भारत के सुप्रीम कोर्ट में ही ऐसा होता है जहां वकीलों घंटों और कई दिनों तक बहस करते हैं और एक के बाद एक सैकड़ों पन्नों का दस्तावेज पेश करते रहते हैं। पीठ ने कहा कि इससे न सिर्फ केस लंबा खिंचता है बल्कि कोर्ट का कीमती समय भी खराब होता है। जस्टिस कौल ने कहा कि अब समय आ गया है जब वकीलों को अपनी मानसिकता बदलनी होगी। पीठ ने कहा कि मोटे दस्तावेज और घंटों तक बहस चलने से उन अपीलों के साथ हम कैसे न्याय कर पाएंगे जो 10 सालों से अधिक समय से लंबित हैं।
पीठ ने यह कहते हुए गुजरात के वकील यतीन ओझा के मामले की पैरवी कर रहे वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी और अरविंद दातार को अपनी बहस पूरी करने के लिए 30-30 मिनट का समय दिया। ओझा की वरिष्ठ वकील की पदवी छीन ली गई है। मामले में दोनों पीठ की इस बात से सहमत भी दिखे। सुप्रीम कोर्ट के दूसरे जज भी वकीलों को संक्षिप्त बहस और चार-पांच पन्नों का लिखित सार प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। जस्टिस विनीत शरण और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी की पीठ ने भी वकीलों की बहस के समय को कम करने और लिखित दस्तावेजों को संक्षिप्त में कराने का आग्रह किया है।
पीठ ने कहा कि दस्तावेजों को संक्षिप्त करने का यह अर्थ नहीं कि अक्षरों को छोटा कर दिया जाए क्योंकि ऐसा करने पर यह दवा के पत्तों पर लिखे अक्षर जैसा हो जाता है, जिन्हें पढ़ना संभव नहीं। दस्तावेजों को संक्षिप्त करने का मतलब है कि मामले को टू द प्वाइंट में समझाना। पीठ ने कहा कि यह बात सिर्फ बकीलों पर ही नहीं अपितु जजों पर भी लागू होती है। काफी समय से अब सुप्रीम कोर्ट के जज भी अपने फैसलों को स्पष्ट और छोटा लिखने का प्रयास कर रहे हैं ताकि आम आदमी उसे समझ सके। दुनिया के कई ऐसे देश हैं जहां सुप्रीम कोर्ट में वकीलों की बहस की समयसीमा तय है। अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट में वकीलों की बहस के लिए 25 मिनट का वक्त तय है। इसी तय समयसीमा के अंदर उन्हें अपनी सारी बातें रखनी होती है।