डेटा स्टोरेज मामला: अमरीकी कंपनियों और पेटीएम के बीच छिड़ी जंग

punjabkesari.in Tuesday, Jul 24, 2018 - 09:02 PM (IST)

नई दिल्ली : अमरीकी पेमेंट फर्म्स भारत को डेटा स्टोरेज के नियमों में बदलाव को लेकर सहमत करने का प्रयास कर रही हैं। हालांकि अमरीकी कंपनियों की लॉबिंग के चलते स्थानीय पेमेंट कंपनी पेटीएम के साथ उनका विवाद बढ़ता दिख रहा है। सूत्रों एवं मामले से संबंधित डॉक्युमेंट्स से इस बात का पता चलता है। भारतीय रिजर्व बैंक ने अप्रैल में पेमेंट फर्म्स को आदेश दिया था कि वे डेटा को स्थानीय स्तर पर ही स्टोर करें ताकि 'निरंकुश सुपरवाइजरी एक्सेस' की स्थिति न हो सके।

कंपनी ने इस प्रस्ताव का खुले तौर पर समर्थन किया और दरवाजे के पीछे से उन कंपनियों के प्रयासों से निपटने की कोशिश की। जून में अधिकारियों और इंडस्ट्री के 
केंद्रीय बैंक के इस आदेश के चलते वीजा, मास्टरकार्ड और अमरीकन एक्सप्रेस जैसी कंपनियों को लाखों डॉलर का नुकसान हो सकता था और ग्लोबल फ्रॉड डिटेक्शन को नुकसान पहुंचेगा। हालांकि इन नियमों के चलते स्वदेशी पेमेंट्स कंपनी पेटीएम को बढ़त मिली और चीन की अलीबाबा को भी इससे फायदा हुआ, जो पहले से ही भारत में अपने डेटा की स्टोरेज करती हैं।

कंपनी ने इस प्रस्ताव का खुले तौर पर समर्थन किया और दरवाजे के पीछे से उन कंपनियों के प्रयासों से निपटने की कोशिश की। जून में अधिकारियों और इंडस्ट्री के प्रतिनिधियों के बीच बैठक में पेटीएम ने विदेशी कंपनियों के एग्जिक्यूटिब्स से बातचीत में बताया था कि स्थानीय स्तर पर डेटा स्टोरेज के क्या फायदे हैं और कैसे ये नियम राष्ट्र हित में हैं। पूरे मामले में से जुड़े तीन लोगों ने यह बात बताई।

इस बैठक में भारत के आर्थिक मामलों के सचिव एस.सी गर्ग भी मौजूद थे। सूत्रों के मुताबिक बैठक के दौरान गर्ग ने पेटीएम से कहा कि वह इस पूरी बातचीत में राष्ट्रहित की बात को डिबेट में न लाए। इस पूरी बात से यह माना जा रहा है कि भारत सरकार अमरीकी कंपनियों के दबाव आगे नियमों में बदलाव को लेकर राजी हो सकती है।


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shukdev

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