ब्रिटेन की सुरक्षा के लिए चुनौती बना दल खालसा, यूरोप में खालिस्तान समर्थकों को दे रहा बढ़ावा
punjabkesari.in Wednesday, Apr 26, 2023 - 02:20 PM (IST)

लंदनः ब्रिटिश राजनीतिक विश्लेषक ने ब्रिटेन की सुरक्षा के लिए दल खालसा को चुनौती बताया है। ब्रिटिश राजनीतिक विश्लेषक क्रिस ब्लैकबर्न ने दल खालसा पर चिंता जताते हुए कहा कि ये पूरे यूरोप में खालिस्तान समर्थकों को बढ़ावा दे रहा है। यूरोप में खालिस्तान आंदोलन के लिए दल खालसा बहुत तेजी से काम कर रहा है। यह कहना सरासर झूठ है कि दल खालसा आंदोलन के नेतृत्व के लिए सहायक नहीं हैं। उन्होंने ट्वीट किया पाकिस्तान से उनके खुले संबंध और उनका कट्टरपंथ मुख्य मुद्दे हैं। उन्होंने ट्वीट में दल खालसा के कार्यक्रमों की तस्वीरें भी पोस्ट कीं जिनमें सिख फॉर जस्टिस (SFJ) के नेता गुरपतवंत सिंह पन्नून मौजूद थे।
क्रिस के मुताबिक, कई मौकों पर पन्नू को दल खालसा के सदस्यों के साथ जनमत संग्रह के लिए प्रचार करते देखा गया है। उसने भारत के अलावा विदेशों में भी खालिस्तान जनमत संग्रह कराने की कोशिश की है। पन्नू ने अलग-अलग मौकों पर भारत और पंजाब के राजनीतिक नेताओं को धमकी भी दी है। पन्नू अमेरिका स्थित अलगाववादी संगठन एसएफजे के संस्थापकों में से थे, जो "एक अंतरराष्ट्रीय वकालत और मानवाधिकार समूह" होने का दावा करता है। बता दें कि पिछले कुछ महीनों में ब्रिटेन में खालिस्तान समर्थकों की पहुंच जगजाहिर हो गई है। फरवरी में, विलियम शॉक्रॉस द्वारा ब्रिटिश काउंटर-एक्सट्रीमिज़्म प्रोग्राम, द इंडिपेंडेंट रिव्यू ऑफ़ प्रिवेंट, ने "यूके के सिख समुदायों से खालिस्तान समर्थक चरमपंथ" की चेतावनी दी थी।
Dal Khalsa is doing a lot of heavy lifting for the Khalistan movement in Europe.
— Chris Blackburn (@CJBdingo25) April 20, 2023
It's a blatant lie to say they aren't instrumental to the leadership of the movement. Their open ties to #Pakistan and their radicalism are the issues.
Would you agree? https://t.co/EuSXtQ5Ykg pic.twitter.com/yR3M8xAIeQ
शॉक्रॉस ने दर्ज किया कि खालिस्तानी सरकार के खिलाफ ब्रिटेन में सिखों को भड़का रहे थे, गलत सूचना फैला रहे थे कि ब्रिटिश सरकार सिखों का दमन कर रही है और भारत सरकार को भारत में ऐसा करने में मदद कर रही है, । शॉक्रॉस ने कहा, यह "भविष्य के लिए संभावित जहरीला संयोजन" था। 2019 में, भारत ने SFJ पर उसकी अलगाववादी गतिविधियों के लिए प्रतिबंध लगा दिया था। यह अलगाववादी अभियान 'रेफरेंडम 2020' से जुड़ा है, जिसने "पंजाब को भारतीय कब्जे से मुक्त करने" की मांग की थी। गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम के तहत SFJ पर प्रतिबंध लगाने वाली गृह मंत्रालय की अधिसूचना में कहा गया है: "सिखों के लिए तथाकथित जनमत संग्रह की आड़ में, SFJ वास्तव में पंजाब में अलगाववाद और उग्रवादी विचारधारा का समर्थन कर रहा है, जबकि विदेशी धरती पर सुरक्षित ठिकानों से काम कर रहा है।"
SFJ अन्य देशों में शत्रुतापूर्ण ताकतों द्वारा सक्रिय रूप से समर्थित है। भारत में SFJ और पन्नू के खिलाफ लगभग एक दर्जन मामले दर्ज हैं, जिनमें पंजाब में देशद्रोह के तीन मामले शामिल हैं। यूरोपियन आई ऑन रेडिकलाइजेशन की रिपोर्ट के मुताबिक ब्रिटेन में खालिस्तान समर्थकों द्वारा हिंसा में हालिया उछाल ब्रिटेन के लिए सुरक्षा चुनौतियां पैदा कर रहा है, साथ ही देश में सिखों को कट्टरपंथी बना रहा है। ब्रिटेन ने सिख चरमपंथियों के एक गुट, खालिस्तान समर्थकों द्वारा हाल ही में गतिविधि में वृद्धि देखी है।