टाटा ग्रुप को तोड़ना चाहते थे साइरस मिस्त्री, परेशान होकर रतन टाटा ने खुद पद से हटाया

punjabkesari.in Thursday, Nov 07, 2024 - 01:42 PM (IST)

नेशनल डेस्क. साइरस मिस्त्री को टाटा ग्रुप के चेयरमैन पद से उनके खराब प्रदर्शन के साथ-साथ उनके नैतिक मूल्यों के कारण हटाया गया था। रतन टाटा ने यह खुलासा अपनी आगामी बॉयोग्राफी 'रतन टाटा- ए लाइफ' में किया है, जिसे वरिष्ठ नौकरशाह थॉमस मैथ्यू ने लिखा है। इस किताब का अधिकार हॉर्पन कोलिंस ने 2 करोड़ रुपए में खरीदा है और यह इस महीने लॉन्च हो रही है।

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मिस्त्री और शपूरजी पालोनजी ग्रुप का संबंध

रतन टाटा को यह आशंका थी कि मिस्त्री टाटा ग्रुप के साथ अपने शपूरजी पालोनजी ग्रुप के संबंधों को लेकर कुछ कदम उठा सकते हैं, जो कंपनी के लिए ठीक नहीं था। उन्होंने कई बार मिस्त्री से इस मुद्दे पर बात भी की थी। टाटा का कहना था कि मिस्त्री के फैसलों और कार्यशैली से यह आभास होता था कि वे टाटा समूह को तोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।

मिस्त्री के कार्यकाल में डिविडेंड में कमी

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रतन टाटा ने यह भी बताया कि मिस्त्री के कार्यकाल के दौरान टाटा ग्रुप के शेयरधारकों को डिविडेंड में कमी का सामना करना पड़ा, जिसके कारण टाटा ट्रस्ट को आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ा। इससे टाटा ग्रुप के निवेशकों और ट्रस्ट के बीच असंतोष बढ़ा।

मिस्त्री को पद छोड़ने के लिए पत्र लिखा था रतन टाटा ने

रतन टाटा ने मिस्त्री को पत्र लिखकर उन्हें पद छोड़ने की सलाह दी थी, और कहा था कि वे निजी कारणों का हवाला देकर अपना पद छोड़ सकते हैं। हालांकि, मिस्त्री ने इस पत्र का कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिया और उन्होंने पद से इस्तीफा नहीं दिया। इसके बाद 2016 में रतन टाटा ने खुद मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटा दिया।

रतन टाटा ने मानी अपनी गलती

रतन टाटा ने अपनी किताब में यह स्वीकार किया कि मिस्त्री को चेयरमैन बनाने का निर्णय उनके लिए बहुत आदर्शवादी था। उन्होंने कहा कि मिस्त्री की ब्रिटिश शिक्षा और पृष्ठभूमि के कारण उनके दृष्टिकोण में अंतर था और उनके फैसले टाटा ग्रुप के लिए हमेशा सही साबित नहीं हुए। टाटा ने माना कि चयन समिति के निर्णय में वे बहुत जल्दबाजी में थे और इस कारण कुछ गलतियां हुईं।

मिस्त्री को हटाने का निर्णय

रतन टाटा ने कहा कि मिस्त्री को हटाने का निर्णय भी उन्होंने लिया था, और यह आसान फैसला नहीं था। उन्होंने यह भी माना कि अगर मिस्त्री को इस तरह से पद से हटाया नहीं जाता, तो वह कानूनी कार्रवाई कर सकते थे। रतन टाटा ने यह स्वीकार किया कि मिस्त्री को हटाने का तरीका सर्जिकल स्ट्राइक जैसा था और यह उनके काम करने के तरीके से अलग था, लेकिन यह कदम उठाना जरूरी था। रतन टाटा की बॉयोग्राफी में उनके जीवन के कई अहम पहलुओं पर रोशनी डाली गई है, जिसमें उनकी सफलता, चुनौतियां और फैसले शामिल हैं। इस किताब के माध्यम से रतन टाटा ने अपनी गलतियों को भी स्वीकार किया है और यह किताब उनके व्यक्तित्व और कार्यशैली के बारे में कई नई जानकारी देती है।


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Content Editor

Parminder Kaur

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