Shocking Report: AI के दौर में महिलाओं के खिलाफ साइबर अपराध तेज़ी से बढ़े, 180 करोड़ को कानूनी सुरक्षा पर गंभीर सवाल
punjabkesari.in Friday, Nov 21, 2025 - 01:53 PM (IST)
नेशनल डेस्क: दुनिया तेजी से कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की ओर बढ़ रही है। कुछ सेकंड में काम पूरा करने वाली यह तकनीक कई क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव ला रही है। लेकिन इसके साथ एक कड़वी सच्चाई भी सामने आई है AI के कारण महिलाओं के खिलाफ ऑनलाइन अपराध पहले से कई गुना तेज़ी से बढ़ रहे हैं। तस्वीरों से छेड़छाड़, फर्जी वीडियो और डीपफेक अब आम होते जा रहे हैं, जिससे महिलाओं की सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
सेलेब्रिटीज तक नहीं बचीं: कीर्ति सुरेश बोलीं “AI ने प्राइवेसी की सीमाएं तोड़ दीं”
AI आधारित फर्जी तस्वीरों का शिकार सिर्फ आम महिलाएं नहीं, बल्कि जानी-मानी हस्तियां भी हो रही हैं। एक्ट्रेस कीर्ति सुरेश ने खुलासा किया कि जब उन्होंने अपनी अनुमति के बिना बनाई गई AI तस्वीरें देखीं, तो वह हैरान रह गईं। कई तस्वीरें इतनी वास्तविक दिख रही थीं कि उन्हें स्वयं भी संदेह हुआ कि क्या यह सच है।
AI ने प्राइवेसी की असली परिभाषा को खतरे में डाल दिया है। अगर यह तकनीक गलत लोगों के हाथ में चली जाए, तो नतीजे बेहद खतरनाक हो सकते हैं।
UN की रिपोर्ट: 180 करोड़ महिलाएं अब भी कानूनी सुरक्षा से बाहर
UN Women द्वारा जारी एक ताज़ा रिपोर्ट के मुताबिक:
➤ दुनिया की 180 करोड़ महिलाएं ऐसी हैं जिनके पास डिजिटल अपराधों से बचाव के लिए कोई कानूनी सुरक्षा नहीं है।
➤ कुल देशों में से 40% से भी कम देशों में साइबर स्टॉकिंग या ऑनलाइन उत्पीड़न के खिलाफ कानून मौजूद हैं।
➤ इसका सीधा मतलब है—ऑनलाइन अपराधी आसानी से बच जाते हैं, और पीड़ितों को न्याय तक नहीं मिल पाता।
UN Women ने साफ चेतावनी दी है कि तकनीक तेज़ी से बदल रही है, लेकिन कानून उसी गति से विकसित नहीं हो पा रहे।
सोशल मीडिया: महिलाओं के लिए सशक्तिकरण भी, और बड़ा खतरा भी सोशल मीडिया पर महिलाओं की तस्वीरों का दुरुपयोग तेजी से बढ़ा है। AI से बनी फर्जी तस्वीरें और वीडियो लगातार वायरल किए जा रहे हैं। कई महिलाएं अब अपनी तस्वीरें शेयर करने से भी डरने लगी हैं। एक महिला ने बताया— मेरी मां ने मुझे अपनी तस्वीरें सोशल मीडिया से हटाने के लिए कहा, क्योंकि उन्होंने देखा कि तस्वीरों को कैसे गलत तरीकों से बदला जा रहा है। AI की वजह से ऑनलाइन स्पेस महिलाओं के लिए एक साथ मौका और खतरा दोनों बन गया है।
डीपफेक: नई तकनीक, लेकिन अपराधियों के लिए हथियार
डराने वाले आंकड़े:
➤ ऑनलाइन मौजूद 95% डीपफेक अश्लील सामग्री होती है।
➤ इनमें 99% मामलों में महिलाएं ही शिकार होती हैं।
➤ इस तरह की फर्जी सामग्री ना केवल मानसिक आघात देती है, बल्कि नौकरी, रिश्तों और सामाजिक जीवन पर भी भारी असर डालती है।
कार्यकर्ता लॉरा बेट्स कहती हैं—
जो ऑनलाइन होता है, वह यहीं खत्म नहीं होता। इसका असर असल ज़िंदगी में और ज्यादा बढ़ जाता है।
➤ ऑनलाइन हिंसा सिर्फ वर्चुअल नहीं—असल ज़िंदगी में भी असर
➤ AI ने अपराधों की गति और तकनीक दोनों को और खतरनाक बना दिया है:
➤ 38% महिलाओं ने ऑनलाइन हिंसा का अनुभव किया
➤ 85% महिलाओं ने ऐसी घटनाएं होते हुए देखी
AI से बढ़ते अपराधों पर रोक कैसे?
➤ UN ने सुझाए उपाय
➤ UN Women के अनुसार रोकथाम सिर्फ सजा से आगे होनी चाहिए। इसके लिए ज़रूरी है:
➤ टेक्नोलॉजी कंपनियों में अधिक महिलाओं को शामिल करना
सुरक्षित डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाना
➤ हानिकारक कंटेंट का तुरंत हटाया जाना
➤ AI डेवलपमेंट में जवाबदेही को अनिवार्य करना
➤ पुलिस और न्याय प्रणाली को AI-आधारित अपराधों के लिए प्रशिक्षित करना
➤ UN ने 25 नवंबर से 10 दिसंबर तक #NoExcuse अभियान भी शुरू किया है, जिसका लक्ष्य डिजिटल दुरुपयोग को रोकना है।
➤ वास्तविक जीवन में भी खतरा—कितनी महिलाएं हिंसा का शिकार?
UN की रिपोर्ट के अनुसार:
➤ दुनिया की 68.2 करोड़ महिलाओं ने अपने पति या साथी से शारीरिक या यौन हिंसा का सामना किया है।
➤ 31.6 करोड़ महिलाओं ने पिछले एक साल में ही हिंसा झेली है।
➤ ये आंकड़े दिखाते हैं कि ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों ही जगह महिलाओं की सुरक्षा खतरे में है—AI ने इस चुनौती को और बड़ा बना दिया है।
