AI Video Or Real: आपके मोबाइल में आया वीडियो AI है या असली? कुछ सेकंड में ऐसे पहचानें

punjabkesari.in Saturday, Nov 15, 2025 - 04:04 PM (IST)

नेशनल डेस्क। आज के डिजिटल युग में सोशल मीडिया हमारी रोज़मर्रा की ज़िंदगी का अटूट हिस्सा बन गया है। हमारे फोन की स्क्रीन पर हर पल नेताओं के अजीबोगरीब बयान सेलिब्रिटीज के चौंकाने वाले फुटेज और तरह-तरह के पोस्ट आते रहते हैं। ये सामग्री इतनी वास्तविक लगती है कि हम पलक झपकते ही इन पर विश्वास कर लेते हैं लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिस वीडियो को आप देख रहे हैं वह सच में असली है या फिर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का कमाल?

AI की दुनिया तेज़ी से आगे बढ़ रही है जहां अब फोटो, वीडियो और आवाज़ को कुछ ही सेकंड में इतना हूबहू बनाया जा सकता है कि असली और नकली में फर्क करना लगभग असंभव हो जाता है। यही वजह है कि डीपफेक (Deepfake) वीडियो का खतरा बढ़ गया है। डरने की ज़रूरत नहीं! थोड़ी सी जागरूकता और कुछ आसान निरीक्षण से आप आसानी से पहचान सकते हैं कि कौन सा वीडियो AI द्वारा बनाया गया है। आइए जानते हैं डीपफेक कंटेंट को पकड़ने के 9 सटीक तरीके:

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डीपफेक की पहचान: 9 अचूक संकेत

1. चेहरे के हावभाव की बारीकी पर ध्यान दें (Facial Expressions)

AI भले ही उन्नत हो जाए लेकिन यह चेहरे के छोटे और प्राकृतिक एक्सप्रेशंस में अक्सर चूक जाता है। अगर मुस्कान थोड़ी बेजान लगे होंठों का हिलना (लिप-सिंक) आवाज़ से मेल न खाए या भौहें, गाल और ठोड़ी की गति थोड़ी अनैसर्गिक (Unnatural) और कठोर दिखे तो यह नकली हो सकता है।

2. आंखें सबसे बड़ा भेद खोलती हैं (Eye Movement)

आंखें इंसान के चेहरे का सबसे स्वाभाविक हिस्सा होती हैं और AI इन्हें पूरी तरह से सही नहीं बना पाता। डीपफेक वीडियो में अक्सर आंखें कम या बहुत तेज़ी से झपकती हैं पुतलियों की दिशा अचानक बदल जाती है या आंखों में प्राकृतिक चमक (Natural Glint) की कमी होती है।

3. लाइटिंग और परछाई (Lighting and Shadow)

असली फुटेज में प्रकाश और परछाई (शैडो) चेहरे और बैकग्राउंड पर बहुत स्वाभाविक तरीके से पड़ती है। लेकिन AI-जनरेटेड वीडियो में चेहरे पर रोशनी बाकी फ्रेम से मेल नहीं खाती या परछाई उस दिशा से आती दिखती है जहां से प्रकाश स्रोत नहीं है। अलग-अलग शॉट्स में चेहरे की चमक बदलना AI की एक आम गलती है।

4. फ्रेम-दर-फ्रेम जांच करें (Frame-by-Frame Inspection)

वीडियो को रोककर (पॉज़ करके) हर फ्रेम को ध्यान से देखें। AI-निर्मित कंटेंट में छोटे-छोटे गड़बड़ियां (Glitches) अक्सर पकड़ी जाती हैं। जैसे: चेहरे के किनारे धुंधले होना, बाल अजीब तरीके से मिलना, बैकग्राउंड में विकृति (Distortion) या आंख और दांतों का आकार अचानक बदल जाना।

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5. आवाज़ और टोन में स्थिरता (Voice and Tone Analysis)

नकली (AI-जनरेटेड) आवाज़ें अक्सर बहुत ज़्यादा परिपूर्ण या मशीन जैसी लगती हैं। ध्यान दें कि आवाज़ में भावनात्मक उतार-चढ़ाव (Emotional Inflection) की कमी होती है, टोन हमेशा एक जैसा रहता है या बोलने की गति बहुत ज़्यादा चिकनी और साफ होती है। असली इंसान की आवाज़ में हमेशा उतार-चढ़ाव और भावनाएं होती हैं।

6. फोटो/वीडियो का बैकग्राउंड (Background Check)

AI अक्सर बैकग्राउंड में गलतियां करता है। बैकग्राउंड या तो अत्यधिक साफ और कृत्रिम रूप से परफेक्ट दिखता है या फिर कुछ वस्तुएं (पेड़, दीवारें, कुर्सियां) धुंधली, टूटी-फूटी या अधूरी दिखाई देती हैं।

 

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7. शरीर के अजीब अंग (Body Anomalies)

डीपफेक को पकड़ने का सबसे आसान तरीका है उंगलियों, कान और आंखों जैसे छोटे अंगों पर ध्यान देना। AI की गलती से अक्सर उंगलियां ज्यादा या कम हो जाती हैं, कानों का साइज़ असामान्य होता है या आंखें पूरी तरह से बराबर नहीं होती हैं।

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8. रिवर्स सर्च इंजन का उपयोग करें (Reverse Image Search)

किसी भी संदिग्ध फोटो या वीडियो का स्रोत (Source) पता करने का सबसे आसान तरीका है रिवर्स सर्च टूल्स का इस्तेमाल करना। वीडियो का स्क्रीनशॉट लेकर इसे अपलोड करें और यह आपको बताएगा कि यह कंटेंट पहले कहां-कहां इस्तेमाल हुआ है।

InVID: यह टूल वायरल वीडियो की सच्चाई और मूल स्रोत की जांच करने में मदद करता है।

9. AI-डिटेक्शन टूल्स की मदद लें (Dedicated AI Detectors)

कुछ विशेष वेबसाइटें हैं जो फोटो, वीडियो, लेख और ऑडियो को स्कैन करके यह बता सकती हैं कि वे AI द्वारा बनाए गए हैं या नहीं।

उपयोगी टूल्स: AI or Not, GPTZero, ZeroGPT, TheHive AI Detector, आदि। इन प्लेटफॉर्म्स पर कंटेंट अपलोड करके आप जान सकते हैं कि वह कितने प्रतिशत AI-जनरेटेड है।


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Content Editor

Rohini Oberoi