RCEP पर कांग्रेस कंफ्यूज, पार्टी नेता दे रहे अलग-अलग बयान, भाजपा ने ली चुटकी
punjabkesari.in Wednesday, Nov 18, 2020 - 06:12 PM (IST)
नेशनल डेस्कः केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (RCEP) को लेकर कांग्रेस पार्टी के नेताओं के अंतर विरोध को लेकर उनपर निशाना साधा है। एक ट्वीट में जावड़ेकर ने कहा कि आरसीईपी पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेतृत्व में आंतरिक विरोधाभास और भ्रम उजागर हुआ है।
जावड़ेकर ने ट्वीट कर कहा, 'महत्वपूर्ण मुद्दों जैसे की आरसीईपी को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेतृत्व में आंतरिक विरोधाभास और भ्रम उजागर हुआ है। कल आनंद शर्मा ने आरसीईपी में शामिल नहीं होने के भारत के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। वहीं दूसरी ओर जयराम रमेश ने आरसीईपी से भारत के बाहर निकलने का समर्थन किया।'
आरसीईपी में शामिल नहीं होने के भारत के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने मंगलवार को एक ट्वीट में कहा, 'आरसीईपी में शामिल नहीं होने का भारत का निर्णय दुर्भाग्यपूर्ण और नासमझी है। यह एशिया-प्रशांत एकीकरण की प्रक्रिया का हिस्सा बनने के भारत के रणनीतिक और आर्थिक हितों में है।'
Internal contradiction and confusion in senior leadership in Congress on critical issues exposed on yet another issue-RCEP. While yesterday @AnandSharmaINC termed India's decision of not joining RCEP as unfortunate, @Jairam_Ramesh on the other hand endorsed India's exit from RCEP pic.twitter.com/ql7x14AkYN
— Prakash Javadekar (@PrakashJavdekar) November 18, 2020
उन्होंने आगे कहा, 'भारत के बाहर निकलने से आरसीईपी के हिस्से के तौर पर देश को स्वीकार किए जाने के लिए की गई कई सालों की प्रेरक वार्ता को नकार दिया गया है। हम अपने हितों की रक्षा के लिए सुरक्षा उपायों पर बातचीत कर सकते थे। आरसीईपी से बाहर निकलना एक पिछड़ा कदम है।'
वहीं कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जयराम रमेश ने इस फैसले को सही ठहराया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा, 21 अक्तूबर 2019 को मैंने भारत के आरसीईपी की सदस्यता को नोटबंदी और जीएसटी के बाद अर्थव्यवस्था के लिए तीसरे झटके के रूप में वर्णित किया था। एक साल बाद कांग्रेस ने यह मांग की कि प्रधानमंत्री मोदी भारत को एक अनुचित आरसीईपी में नहीं घसीटेंगे, जैसी कि योजना बनाई जा रही थी, यह साबित हो गया है।
पिछले साल नवंबर में भारत ने आरसीईपी समझौते में शामिल नहीं होने का फैसला किया था क्योंकि इसे लेकर जारी प्रमुख चिंताओं पर चर्चा नहीं की गई थी। नई दिल्ली के दुनिया के सबसे बड़े व्यापार समझौते से बाहर रहने के फैसले के पीछे प्रमुख कारणों में आयात वृद्धि के खिलाफ अपर्याप्त संरक्षण, चीन के साथ अपर्याप्त अंतर, उत्पत्ति के नियमों की संभावित परिधि, 2014 को आधार वर्ष रखने और बाजार पहुंच शामिल हैं।
क्या है आरसीईपी
आरसीईपी, आसियान देशों और उनके छह मुक्त व्यापार साझेदारों के बीच प्रस्तावित एक मुक्त व्यापार एवं निवेश व्यवस्था है। इस वार्ता में आसियान देशों में ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलयेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं। उसके छह मुक्त व्यापार साझेदार ऑस्ट्रेलिया, चीन, भारत, जापान, कोरिया और न्यूजीलैंड हैं।
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