25 सीटों पर BJP को फंसा सकता है कांग्रेस का अफस्पा दाव

punjabkesari.in Thursday, Apr 04, 2019 - 12:38 PM (IST)

नई दिल्ली: कांग्रेस के घोषणा पत्र में आर्म्ड फोर्स स्पैशल पावर एक्ट ( Afspa) में संशोधन करने के वायदे का असर 25 सीटों पर भाजपा (bjp) को फंसा सकता है।  अफस्पा नागालैंड, असम, मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में लागू है। अफस्पा के तहत सैन्य बल किसी भी संदिग्ध को बिना वारंट गिरफ्तार कर सकता है, किसी भी घर या वाहन की तलाशी ले सकता है। इन राज्यों में कुल 25 लोकसभा सीटें हैं। 2014 लोकसभा चुनाव में भाजपा और एन.डी.ए. को इन सीटों में से 12 सीटें मिली थीं। अगर कांग्रेस की ओर से अफस्पा में जरूरी बदलाव की घोषणा मतदाताओं को अपनी ओर खींचती है तो भाजपा को दिक्कत हो सकती है।   

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अफस्पा के तहत सैन्य बलों को मिलने वाले अधिकार

  • संदिग्ध व्यक्ति को बिना वारंट गिरफ्तार करना।
  • बिना वारंट किसी भी घर की तलाशी लेना।
  • जरूरत के मुताबिक सैन्य बल का इस्तेमाल।
  • वाहन रोक कर तलाशी लेने का अधिकार।
  • अफस्पा एक्ट के चलते सैनिक पर कार्रवाई से बचाव मिलता है।
     

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कहां लागू है अफस्पा
1958 में इसे असम, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नागालैंड सहित पूरे पूर्वोत्तर भारत में लागू किया गया। 1990 से अफस्पा जम्मू-कश्मीर में भी लगा दिया गया है ताकि हालात पर काबू पाया जा सके। हालांकि लद्दाख इससे बाहर है।

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अफस्पा वाली 25 सीटों में से भाजपा-गठबंधन को 2014 में मिली थीं 12 सीटें
2014 लोकसभा चुनाव में असम की 14 सीटों में से भाजपा को 7 सीटें मिली थीं और जम्मू-कश्मीर की 6 सीटों में से 3 पर कब्जा किया था। अरुणाचल प्रदेश की 2 सीटों में से 1 सीट भाजपा को मिली थी। नागालैंड की इकलौती लोकसभा सीट भाजपा नीत एन.डी.ए. के सहयोगी दल एन.पी.एफ. ने हासिल की थी। वहीं, मणिपुर की दोनों सीटों पर कांग्रेस ने कब्जा किया था। पिछले चुनाव में ही भाजपा ने कई दलों के साथ गठबंधन करके पूर्वोत्तर राज्यों में सरकार बनाने की शुरूआत की थी। 

क्या है अफस्पा?
1958 में भारतीय संसद ने ‘अफस्पा’ यानी आम्र्ड फोर्स स्पैशल पावर एक्ट लागू किया था। इसे अशांति वाले इलाकों में लागू करते हैं। इस कानून को खासतौर पर पूर्वोत्तर राज्यों के लिए बनाया गया था।

अफस्पा के खिलाफ इरोम शर्मिला ने 16 साल किया अनशन
मणिपुर की सामाजिक कार्यकत्र्ता इरोम शर्मिला (irom Sharmila) ने 2000 से अफस्पा के खिलाफ अनशन शुरू किया था। 2016 में अफस्पा हटने के बाद 16 साल बाद अपना अनशन खत्म किया था। त्रिपुरा से भी अफस्पा हट चुका है।


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Anil dev

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