Lockdown: घर में बंद... कमाई ठप्प, भविष्य की चिंता ने देश में बढ़ा दिए मानसिक रोगी

punjabkesari.in Monday, Apr 06, 2020 - 09:21 AM (IST)

नई दिल्ली: कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से जारी देशव्यापी लॉकडाऊन के दौरान मानसिक अवसाद के मामले तेजी से बढऩे लगे हैं। विभिन्न राज्यों में इसकी वजह से कम से कम एक दर्जन लोगों ने आत्महत्या कर ली है। केरल में तो 7 लोग लॉकडाऊन के कारण से शराब नहीं मिलने की वजह से अवसादग्रस्त होकर जान दे चुके हैं। कई दूसरे राज्यों से भी ऐसी खबरें सामने आने लगी हैं। देशभर में मानसिक अवसाद की वजह से आत्महत्या के मामलों को छोड़ भी दें तो भारी तादाद में लोग अवसाद की चपेट में आ रहे हैं। कोई कमाई ठप्प होने से अवसाद में है तो कोई लगातार घर में बंद रहने की वजह से। किसी को भविष्य की चिंता खाए जा रही है तो किसी को करियर की। यही वजह है कि अस्पतालों के मानसिक रोग विभाग में ऐसे मरीजों की कतारें दिन-ब-दिन लंबी होती जा रही हैं।

 

पश्चिम बंगाल में एक युवक ने तो लॉकडाऊन शुरू होने के 5 दिनों बाद ही आत्महत्या कर ली। उसने सुसाइड नोट में लिखा कि वह मानसिक अवसाद के चलते आत्महत्या कर रहा है। इसी तरह मेघालय की राजधानी शिलांग के रहने वाले एक युवक ने आगरा में अपनी जान दे दी। उसका रोजगार ठप्प हो गया था। एक कोरोना पीड़ित युवक ने दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल की 7वीं मंजिल से कूदकर अपनी जीवनलीला खत्म कर ली। पंजाब के अमृतसर में एक अधेड़ दंपति ने तो इस डर से जहर खाकर जान दे दी कि आगे चलकर उनको भी कोरोना वायरस का संक्रमण हो सकता है। उन्होंने अपने सुसाइड नोट में इस डर की बात लिखी थी। पुणे में अपना बिजनैस चलाने वाली श्रद्धा केजरीवाल को एक सप्ताह से बुरे-बुरे सपने आ रहे हैं। वह कहती है, कारोबार ठप्प होने और अनिश्चित भविष्य की चिंता  ने मेरी नींद उड़ा दी है। वह फिलहाल एक मनोचिकित्सक की सेवाएं ले रही है। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में तो सैंकड़ों लोग मानसिक अवसाद की चपेट में हैं। किसी को लगातार हाथ धोने की वजह से कोरोना फोबिया हो गया है तो किसी को छींक आते ही कोरोना का डर सताने लगता है। ऐसे कई मरीज मनोचिकित्सकों के पास पहुंच रहे हैं। सोशल मीडिया पर फैलने वाली अफवाहों ने स्थिति को और गंभीर कर दिया है।

 

एकदम दुरुस्त मानसिक स्वास्थ्य वाले अचानक बीमार
विशेषज्ञों का कहना है कि उनके पास सलाह के लिए आने वालों या फोन करने वालों में कई लोग ऐसे हैं जिनका मानसिक स्वास्थ्य पहले एकदम दुरुस्त था। मनोचिकित्सक रंजन घोष बताते हैं कि कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से लोगों को भीड़ से डर लगने लगा है। ट्रोमा थैरेपिस्ट रुचिका चंद्रशेखर कहती हैं कि कोरोना वायरस के चलते जारी लॉकडाऊन की वजह से अवसाद और चिंता के लक्षण तेजी से बढ़ रहे हैं। इससे जीवन पर खतरा भी बढ़ेगा। ऑनलाइन काऊंसङ्क्षलग पोर्टल चलाने वाली आकृति तरफदार कहती हैं कि लॉकडाऊन की वजह से लाखों लोग घर से काम कर रहे हैं। इसका मतलब जीवन को नए सिरे से व्यवस्थित करना है। इसका दिमाग पर भारी असर पड़ता है। सोशल मीडिया पर फैलने वाली अफवाहें भी दिमाग पर प्रतिकूल असर डालती हैं। रुचिका कहती हैं कि लंबे समय से घरों में बंद रहने की वजह से पहले से इस बीमारी की चपेट में रहने वाले लोगों की समस्या और गंभीर हो रही है। बीते 10 दिनों में मेरे पास पहुंचने वाले मरीजों की तादाद दोगुनी से ज्यादा हो गई है।

 

9 करोड़ से ज्यादा लोग मानसिक अवसाद की चपेट में 
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) के आंकड़ों के मुताबिक देश की 1.30 अरब की आबादी में से 9 करोड़ से ज्यादा लोग किसी न किसी किस्म के मानसिक अवसाद की चपेट में हैं। संगठन ने अपनी एक रिपोर्ट में वर्ष 2020 के आखिर तक 20 फीसदी आबादी के मानसिक बीमारियों की चपेट में आने का अंदेशा जताया था लेकिन देश में 9,000 से कुछ ही ज्यादा मनोचिकित्सकों की वजह से हर एक लाख मरीज पर महज ऐसा एक डाक्टर ही उपलब्ध है। इससे परिस्थिति की गंभीरता का अनुमान लगाना मुश्किल नहीं है। लांसेट साइकिएट्री में छपी एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में अवसाद और घबराहट की बीमारियों से ग्रसित लोगों की तादाद वर्ष 1990 से 2017 के बीच बढ़कर दोगुनी से भी ज्यादा हो गई है।


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vasudha

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