कम्प्यूटर बता रहा है दांतों का कैंसर, जानिए AIIMS की नई तकनीक की खासियतें

punjabkesari.in Wednesday, Sep 25, 2024 - 10:39 PM (IST)

नई दिल्लीः कैंसर का इलाज अगर सही से न हो तो ये किसी के लिए भी जानलेवा साबित हो जाता है। सबसे बड़ी परेशानी इस बीमारी का पता करने को लेकर है। इसे लेकर एम्स दिल्ली ने मुंह के कैंसर का जल्द पता लगाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल शुरू किया है। इसके जरिए कुछ तस्वीरों और रिपोर्ट के आधार पर बीमारी का पता लगता है। हालांकि, एम्स के दंत अस्पताल की प्रमुख डॉ. ऋतु दुग्गल ने बताया कि वैसे तो कैंसर की पुष्टि हम बायोप्सी से ही करते हैं, जो गोल्डन टेस्ट है, लेकिन एआई तकनीक स्क्रीनिंग में मददगार है। 

डॉ. दुग्गल ने कहा कि ओरल कैंसर का सबसे आम लक्षण एक सपाट, दर्द रहित सफेद या लाल धब्बा या एक छोटा घाव है। ज्यादातर मामले 50 से 74 साल की उम्र के वयस्कों में होते हैं। अगर आपको ऐसे लक्षण हैं, जो तीन हफ़्तों में ठीक नहीं होते हैं, खासकर अगर आप बहुत ज्यादा शराब पीते हैं या धूम्रपान करते हैं, तो अपने डॉक्टर या दंत चिकित्सक से मिलें। वैसे इस तरह का कैंसर बहुत तेजी से फैलता है, ऐसे में जरूरी यह है कि समय रहते इसका पता लगाया जा सके। मौखिक कैंसर महिलाओं की तुलना में पुरुषों को दोगुने से अधिक प्रभावित करता है। 

कम्प्यूटर बता रहा कैसे बनेगा आपका डेंचर 
डॉ दुग्गल ने कहा कि आम तौर पर दांतों का डेन्चर बनाने के लिए अभी तक पारंपरिक तरीकों का इस्तेमाल करते आए हैं। अब एम्स में इसके लिए कम्प्यूटर आधारित तकनीक का इस्तेमाल शुरू किया है। इसमें मरीज की थ्री डी मैपिंग की जाती है। फिर डेंचर बनाया जाता है। इस तरह से तकनीक के इस्तेमाल से मरीजों के इलाज में काफी सुविधा मिली है।


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Content Writer

Pardeep

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