ब्रिटेन में कंपनियों को रास आ गया फोर डे वीक, कर्मचारी देने लगे 100 फीसदी आउटपुट
punjabkesari.in Friday, Feb 23, 2024 - 11:07 AM (IST)

नेशनल डेस्क: दुनिया के अब तक के सबसे बड़े चार-दिवसीय कार्य सप्ताह परीक्षण (फोर डे वीक एक्सपैरीमेंट) में भाग लेने वाली ब्रिटेन (यू.के.) की अधिकांश कंपनियों को यह नीति रास आई गई है। इन कंपनियों ने फोर डे वीक नीति को स्थायी बना दिया है। 2022 में छह महीने के यू.के. के पायलट प्रोजेक्ट में भाग लेने वाले 61 संगठनों में से 54 यानी 89 फीसदी ने एक साल बाद भी फोर डे वीक नीति को जारी रखा है।
रिपोर्ट में पाया गया कि आधे से अधिक 55 फीसदी परियोजना प्रबंधकों और सी.ई.ओ. ने कहा कि फोर डे वीक के तहत कर्मचारियों ने अपने 80 फीसदी समय में अपने आउटपुट का 100 फीसदी काम किया, जिससे उनके संगठन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। जबकि 50 फीसदी ने पाया कि इससे कर्मचारियों का आउटपुट कम हो गया, 32 फीसदी ने कहा कि इससे नौकरी की भर्ती में सुधार हुआ।
शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य भी बेहतर
बोस्टन कॉलेज में समाजशास्त्र की प्रोफेसर जूलियट शोर के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि फोर डे वीक एक्सपैरीमेंट के नतीजों ने वास्तविक और लंबे समय तक चलने वाले प्रभाव दिखाए हैं। उन्होंने कहा कि इस कार्यशैली से कर्मचारियों का शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य और कार्य-जीवन संतुलन छह महीने की तुलना में काफी बेहतर है। हालांकि ब्रिटिश उद्योग परिसंघ के एक निदेशक मैथ्यू पर्सिवल ने कहा कि चार दिवसीय सप्ताह सभी के लिए एक ही उपयुक्त समाधान के नहीं है और कई उद्योगों में इसके लिए भुगतान करने की संभावना नहीं होगी।
कर्मचारी भी कार्यप्रणाली से संतुष्ट
थिंक टैंक ऑटोनॉमी और अमरीका में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय, सैलफोर्ड विश्वविद्यालय और बोस्टन कॉलेज के शोधकर्ताओं की फोर डे वीक की रिपोर्ट में पाया गया कि प्रारंभिक परीक्षण के दौरान पाए गए कई महत्वपूर्ण लाभ 12 महीने तक बने रहेंगे। हालांकि उन्होंने कहा कि यह एक छोटा नमूना आकार था।
लगभग सभी 96 फीसदी कर्मचारियों ने कहा कि उनके व्यक्तिगत जीवन को लाभ हुआ है और 86 फीसदी ने महसूस किया कि उन्होंने काम पर बेहतर प्रदर्शन किया है, जबकि 38 फीसदी ने महसूस किया कि उनका संगठन अधिक कुशल हो गया है और 24 फीसदी ने कहा कि इससे देखभाल संबंधी जिम्मेदारियों में मदद मिली है। संगठनों ने सप्ताह में 31.6 घंटे तक पहुंचने के लिए काम के घंटों को औसतन 6.6 घंटे कम कर दिया गया है।