Nitin Gadkari के समर्थन में आईं CM Mamata Banerjee,Life और Health बीमा प्रीमियम से की GST हटाने की मांग
punjabkesari.in Thursday, Aug 01, 2024 - 09:39 PM (IST)

नई दिल्लीः केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के बाद अब पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम से 18 प्रतिशत जीएसटी हटाने की मांग की है। सीएम ममता ने कहा कि भारत सरकार से हमारी मांग है कि लोगों की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों के आधार पर जीवन बीमा और चिकित्सा बीमा प्रीमियम से जीएसटी वापस लिया जाए। अगर भारत सरकार जनविरोधी जीएसटी को वापस नहीं लेती है, तो हम सड़क पर उतरने के लिए बाध्य होंगे।
ममता ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, “भारत सरकार से हमारी मांग है कि लोगों की स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों के आधार पर जीवन बीमा और चिकित्सा बीमा प्रीमियम से जीएसटी वापस लिया जाए। यह जीएसटी खराब है क्योंकि यह लोगों की बुनियादी जरूरतों को पूरा करने की क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। अगर भारत सरकार जनविरोधी जीएसटी को वापस नहीं लेती है, तो हम सड़क पर उतरने के लिए बाध्य होंगे।
Our demand to Government of India is to roll back GST from life insurance and medical insurance premium on grounds of people's health imperatives.
— Mamata Banerjee (@MamataOfficial) August 1, 2024
This GST is bad because it adversely affects the people's ability to take care of their basic vital needs.
If Government of India…
बता दें कि केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बुधवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को एक लेटर लिखा था। जिसमें उन्होंने लाइफ एवं मेडिकल इंश्योरेंस से 18 प्रतिशत जीएसटी हटाने की मांग है। मंत्री ने कहा, ‘‘ जीवन बीमा प्रीमियम पर जीएसटी लगाना जीवन की अनिश्चितताओं पर कर लगाने के समान है। कर्मचारी संघ का मानना है कि जो व्यक्ति परिवार को सुरक्षा देने के लिए जीवन की अनिश्चितताओं के जोखिम को ‘कवर' करता है, उससे ‘कवर' खरीदने के लिए प्रीमियम पर कर नहीं लेना चाहिए।''
गडकरी ने कहा कि इसके अलावा कर्मचारी संघ द्वारा उठाया गया मुख्य मुद्दा जीवन तथा चिकित्सा बीमा प्रीमियम पर जीएसटी को हटाने से संबंधित है। जीवन बीमा और चिकित्सा बीमा प्रीमियम दोनों पर 18 प्रतिशत जीएसटी दर लागू है। उन्होंने कहा, ‘‘ इसी प्रकार चिकित्सा बीमा प्रीमियम पर 18 प्रतिशत जीएसटी इस व्यवसाय खंड के विकास में बाधक साबित हो रहा है, जो सामाजिक रूप से आवश्यक है।'' उन्होंने कहा, ‘‘ इसलिए आपसे अनुरोध है कि जीवन तथा चिकित्सा बीमा प्रीमियम पर जीएसटी हटाने के सुझाव पर प्राथमिकता से विचार करें, क्योंकि नियमों के अनुसार उचित सत्यापन के बाद वरिष्ठ नागरिकों के लिए यह बोझिल हो जाएगा।''
विपक्ष ने कसा तंज
गडकरी द्वारा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को लिखे गए एक पत्र को लेकर कांग्रेस ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर तंज करते हुए बुधवार को कहा कि यह आंतरिक असंतोष और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ नाराजगी का संकेत है। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स' पर पोस्ट किया, ‘‘बजट पर वित्त मंत्री को नितिन जयराम गडकरी का पत्र निश्चित रूप से आंतरिक असंतोष और ‘‘नॉन बायोलॉजिकल'' प्रधानमंत्री के खिलाफ नाराजगी का संकेत है।''
कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने इस बात पर खुशी जताई कि गडकरी ने वित्त मंत्री से बीमा पर जीएसटी हटाने का आग्रह किया है। उन्होंने कहा कि बजट पर चर्चा के दौरान उन्होंने भी यही सुझाव दिया था। चिदंबरम ने कहा, ‘‘मुझे बहुत खुशी है कि गडकरी ने मेरी उस मांग का समर्थन किया है। मैंने सदन में स्वास्थ्य और जीवन बीमा प्रीमियम पर लगाए गए 18 प्रतिशत जीएसटी को हटाने की मांग की थी।'' चिदंबरम ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर लोकसभा में मंगलवार को दिए गए अपने भाषण का एक वीडियो भी साझा किया, जिसमें उन्होंने बीमा पर जीएसटी हटाने की मांग की थी।
समाजवादी पार्टी के सांसद राजीव कुमार राय ने भी मांग का समर्थन करते हुए कहा कि सरकार में वरिष्ठ मंत्री होने के बावजूद गडकरी को इस मुद्दे पर वित्त मंत्री को पत्र लिखना पड़ा, जो सरकार के ‘निरंकुश' रवैये का संकेत है। राय ने कहा, ‘‘बीमा प्रीमियम पर जीएसटी खत्म किया जाना चाहिए। यह हमारी लंबे समय से मांग रही है। हम नितिन गडकरी की मांग का समर्थन करते हैं।'' उन्होंने कहा, ‘‘इससे यह भी साबित होता है कि यह सरकार बजट बनाते समय अपने वरिष्ठ मंत्रियों से सलाह नहीं लेती है। गडकरी सबसे वरिष्ठ मंत्रियों में से एक हैं, (फिर भी) उन्हें पत्र लिखना पड़ा। यह सरकार के निरंकुश रवैये को दर्शाता है।''
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के सांसद ए डी सिंह ने मांग का समर्थन करते हुए कहा, ‘‘स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी समाप्त किया जाना चाहिए। गडकरी ने अपने हिसाब से उचित सुझाव दिया है। वित्त मंत्री को देखना चाहिए कि इससे लोगों को कितना फायदा होगा।'' मांग का समर्थन करते हुए शिवसेना (UBT) सांसद अनिल देसाई ने कहा कि उन्होंने बजट पर बहस के दौरान अपने भाषण में भी इस मुद्दे को उठाया था।