राहुल गांधी को सजा के बाद सोशल एक्टिविस्ट पहुंची थीं कानून बदलवाने, CJI बोले- जब आपको दिक्कत हो तब आईये, डिसमिस
punjabkesari.in Thursday, May 04, 2023 - 06:37 PM (IST)

नेशनल डेस्कः राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता अयोग्यता के खिलाफ एक सामाजिक कार्यकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सोशल एक्टविस्ट ने मांग की थी कि रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपल एक्ट के सेक्शन 8(3) को खत्म किया जाए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करने से साफ इनकार कर दिया। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) ने याचिकाकर्ता से पूछा कि आपको इस सेक्शन से कोई दिक्कत हुई है क्या? फिर उन्होंने कहा कि जब आपको कोई परेशानी हो तब याचिका दायर कीजिए, डिसमिस।
इस सेक्शन में प्रावधान है कि किसी निर्वाचित जनप्रतिनिधि को अगर कम से कम दो साल की सजा होती है तो उसकी सांसदी या विधायकी अपने आप ही रद्द हो जाएगी। याचिका पर सीजेआई की अगुवाई वाली बेंच ने सुनवाई की। बेंच में जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला भी मौजूद थे।
सोशल एक्टिविस्ट आभा मुरलीधरन ने रिप्रजेंटेशन ऑप पीपल एक्ट 1951 के सेक्शन 8(3) की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाते हुए सुप्रीम कोर्ट से इसमें दखल देने की मांग की थी। अपील में कहा गया था कि सेक्शन 8(3) अल्ट्रा वायरस है। इससे फ्री स्पीच पर रोक लगती है। संविधान में फ्री स्पीच को एक अधिकार माना गया है। उनका कहना था कि राजनेता इस सेक्शन की वजह से सहमे हुए हैं। मतदाताओं ने उन्हें जो अधिकार दिया है वो उसे पूरा करने में भी खुद को असमर्थ पा रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट सेक्शन 8(3) पर सुनवाई करके कोई ठोस फैसला जारी करे।
छह साल के लिए अयोग्य हो जाता है जनप्रतिनिधि
याचिका में कहा गया था कि रिप्रजेंटेशन ऑप पीपल एक्ट का सेक्शन 8(3) इसके सेक्शन (1), 8, 8A, 9, 9A, 10 और 10A और 11 से बिलकुल अलग है। आभा मुरलीधरन का कहना था कि किसी को अयोग्य ठहराने से पहले अपराध के सभी पहलुओं पर विचार किया जाना चाहिए। उनका कहना है कि पीपल एक्ट के सेक्शन 8(3) की वजह से किसी जनप्रतिनिधि को दो साल की सजा होते ही उसकी सांसदी/विधायकी अपने आप खत्म हो जाती है। उसके बाद वो छह साल के लिए अयोग्य हो जाता है। यानि छह साल के दौरान वो कोई भी चुनाव नहीं लड़ सकता है।