CJI की ''भगवान से प्रार्थना'' वाली टिप्पणी पर विवाद, बीआर गवई ने दी सफाई, कहा- ''बयान को गलत समझा गया''
punjabkesari.in Thursday, Sep 18, 2025 - 06:06 PM (IST)

नेशनल डेस्क : भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई ने खजुराहो मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति की पुनर्स्थापना से जुड़े मामले में अपनी टिप्पणी पर उपजे विवाद को लेकर सफाई दी है। उन्होंने कहा कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया और वह सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। सीजेआई की टिप्पणी सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद विवाद खड़ा हो गया था, जिसमें कुछ लोगों ने उन पर हिंदू विरोधी मानसिकता का आरोप लगाया था।
क्या थी CJI की टिप्पणी?
खजुराहो मंदिर में भगवान विष्णु की मूर्ति की पुनर्स्थापना से संबंधित एक याचिका पर सुनवाई के दौरान सीजेआई बीआर गवई ने याचिकाकर्ता से कहा था, "आप कहते हैं कि आप भगवान विष्णु के परम भक्त हैं, तो आप उन्हीं से प्रार्थना कीजिए। वही आपकी सहायता करेंगे। हमें क्षमा कीजिए, हम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के कामकाज में दखल नहीं देंगे।" इस टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर इसे लेकर तीखी प्रतिक्रियाएं सामने आईं, और कुछ लोगों ने इसे धार्मिक भावनाओं के खिलाफ माना।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ बयान
सीजेआई की टिप्पणी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो गई, जिसके बाद लोगों ने तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दीं। कुछ यूजर्स ने उनके बयान को हिंदू विरोधी करार देते हुए आलोचना की। इस विवाद के बाद सीजेआई बीआर गवई ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा, "मुझे बताया गया कि मेरा बयान वायरल हो रहा है। मेरे बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है। मैं सभी धर्मों का सम्मान करता हूं।"
विवाद का संदर्भ
खजुराहो मंदिर, जो अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है, से जुड़े इस मामले ने धार्मिक और कानूनी बहस को जन्म दिया है। याचिकाकर्ता ने भगवान विष्णु की मूर्ति की पुनर्स्थापना की मांग की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने एएसआई के कार्यों में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। सीजेआई की टिप्पणी को कुछ लोगों ने मजाकिया और कुछ ने असंवेदनशील माना, जिसके कारण यह विवाद बढ़ गया।
CJI की सफाई
अपने बयान पर सफाई देते हुए सीजेआई ने जोर देकर कहा कि उनकी टिप्पणी का गलत अर्थ निकाला गया। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह किसी भी धर्म के खिलाफ नहीं हैं और सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। यह सफाई उस समय आई है जब सोशल मीडिया पर उनकी टिप्पणी को लेकर बहस तेज हो रही थी।
यह मामला एक बार फिर धार्मिक मुद्दों और न्यायिक टिप्पणियों के बीच संतुलन की संवेदनशीलता को उजागर करता है। सुप्रीम कोर्ट अब इस याचिका पर आगे की सुनवाई में और स्पष्टता ला सकता है।