चीन का नया खेल ! भारत के गेहूं एक्सपोर्ट बैन का किया समर्थन, G7 देशों को लगाई फटकार

punjabkesari.in Thursday, May 19, 2022 - 12:27 PM (IST)

इंटरनेशनल डेस्कः यूक्रेन-रूस जंग के मद्देनजर वैश्विक मंदी के बीच भारत ने एक अहम फैसला लेकर पूरी दुनिया को हिला दिया है। दुनिया के दूसरे मुख्य गेहूं उत्पादक भारत ने गेहूं  एक्सपोर्ट पर बैन लगा दिया है। भारत के इस फैसले पर G7 देशों ने कड़ा विरोध जताया है।  लेकिन हैरानी की बात यह कि चीन  इस मुद्दे पर भारत का बचाव करता नजर आ रहा है। भारत के इस फैसले का समर्थन करते हुए चीन ने G7 देशों के रवैये पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। हमेशा भारत विरोधी रवैया रखने वाले चीन ने गेहूं के मुद्दे पर समर्थन कर चौंका दिया है।

 

आमतौर पर चीन भारत के पक्ष में कम ही खड़ा नजर आता है। जिस तरह से चीन ने भारत का बचाव किया है उससे सवाल उठ रहा है कि ड्रैगन के रुख में अचानक आए इस बदलाव की वजह क्या है? मीडिया रिपोर्ट के अनुसार भारत के हाल ही में गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध के फैसले की G7 देशों ने आलोचना करते हुए कहा था कि इससे वैश्विक खाद्य संकट और गहराएगा, लेकिन चीन ने भारत के कदम का समर्थन करते हुए कहा कि भारत जैसे विकासशील देशों को दोष देने से वैश्विक खाद्य संकट का समाधान नहीं होगा।

 

G7 देशों को चीन की खऱी-खरी
चीन सरकार के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने लिखा कि G7 देशों के कृषि मंत्री भारत से गेहूं निर्यात पर बैन न लगाने का आग्रह कर रहे हैं, तो G7 देश खुद क्यों गेहूं का निर्यात बढ़ाकर खाद्य बाजार को स्थिर करने का कदम नहीं उठाते। चीनी अखबार ने लिखा कि हालांकि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है, लेकिन वैश्विक गेहूं निर्यात में उसकी हिस्सेदारी काफी कम है। इसके विपरीत  अमेरिका, कनाडा, यूरोपियन यूनियन और ऑस्ट्रेलिया जैसे कई विकसित देश, दुनिया के सबसे बड़े गेहूं निर्यातक देश हैं।

 

चीन क्यों कर रहा भारत की तारीफ?
माना जा रहा है कि गेहूं एक्सपोर्ट पर बैन के मुद्दे पर चीन के भारत का समर्थन के पीछे दो बड़ी वजहें हैं। पहली वजह है चीन में जून में होने वाला BRICS सम्मेलन, जिसे लेकर चीन चाहता है कि इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन आएं। BRICS की आगामी बैठक 23-24 जून को चीन में होनी है। इस बैठक में इन पांचों देशों के राष्ट्राध्यक्षों को हिस्सा लेना है। वहीं इसकी दूसरी वजह भारत के साथ हाल के वर्षों में तेजी से बढ़ता उसका व्यापार है, जिसे चीन नहीं चाहता कि किसी भी वजह से वह कम हो। बता दें कि  BRICS (ब्रिक्स) 2006 में बना पांच विकासशील देशों-रूस, भारत, चीन, इंडोनेशिया और साउथ अफ्रीका का एक संगठन है। 

 

पीएम मोदी को चीन यात्रा पर बुलाना चाहता है चीन
 कुछ हफ्तों पहले भारत आए चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ बैठक के दौरान पीएम मोदी मोदी के ब्रिक्स सम्मेलन के लिए चीन आने की इच्छा जाहिर की थी। BRICS देशों की बैठक का महत्व इसलिए भी बढ़ जाता है क्योंकि 24 फरवरी को यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद ये पहली बार होगा जब, पीएम नरेंद्र मोदी, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और ब्राजील और साउथ अफ्रीका के राष्ट्राध्यक्ष एक साथ मंच साझा करेंगे।वांग यी की यात्रा के बाद भारत ने BRICS की बैठक में हिस्सा लेने पर सहमति जताई है। यह बैठक  वर्चुअली होनी है, लेकिन चीन चाहता है कि भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी इस बैठक में हिस्सा लेने के लिए चीन आएं।

 

दोनों देशों के संबंधों को फिर से पटरी पर लाने की कोशिश
माना जा रहा है कि चीन पीएम मोदी को चीन यात्रा के लिए इसलिए मना रहा है ताकि वह वैश्विक संकट के समय भारत का समर्थन हासिल करने के साथ ही दोनों देशों के संबंधों को फिर से पटरी पर लाने की कोशिश कर पाए। साथ ही चीन में होने वाला BRICS सम्मेलन 2020 में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल यानी LAC पर भारत-चीन के बीच पैदा हुए तनाव के बाद चीन में इस संगठन का पहला सम्मेलन होगा। चीनी विदेश मंत्री की हालिया भारत यात्रा को दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य करने की दिशा में उठाया गया कदम माना जा रहा है। सीमा पर तनाव बढ़ने के बाद ये चीन के किसी बड़े नेता की पहली भारत यात्रा थी।


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Content Writer

Tanuja

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