भारत से युद्ध का पंगा नहीं ले सकता चीन क्योंकि...

punjabkesari.in Tuesday, Aug 08, 2017 - 03:14 PM (IST)

बीजिंगः बेशक चीन के सरकारी अखबार आए दिन भारत को युद्ध की धमकी देते रहते हैं और चीनी थिंक टैंक भारत को बर्बाद करने की कसमें खाते हैं लेकिन डोकलाम मुद्दे पर चीन अब पहले की तरह अडिग नहीं है। डोकलाम को चीन अपना एक हिस्सा बताता था, हालांकि भारत सरकार के स्पष्ट रुख के बाद चीन ने माना कि इस इलाके पर भूटान के साथ विवाद है। चीन ने एक बार फिर भारतीय पक्ष के कुछ पत्रकारों को बीजिंग के बाहरी इलाके में एक सैन्य केंद्र का निरीक्षण कराया और ये संदेश देने की कोशिश की ताकत के मामले में वो भारत से कहीं आगे हैं।
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लेकिन चीन अपनी उन कमजोरियों के बारे में बात नहीं करता है, जिसकी वजह से जंग की हालात में उसे जबरदस्त नुकसान उठाना पड़ेगा। यानि चीन भारत से  युद्ध का पंगा नहीं ले सकता है। पिछले वर्ष भारत ने चीन से दूध, दूध से बने उत्पादों और कुछ मोबाइल फोन समेत कुछ उत्पादों के आयात पर प्रतिबंध लगाया। ये उत्पाद निम्नस्तरीय और सुरक्षा मानकों की कसौटी पर खरे नहीं पाए गए। 

भारत ने 23 जनवरी, 2016 को भी चीनी खिलौने के आयात पर प्रतिबंध लगाया था। दुनिया के अन्य देशों में भी चीन के घटिया उत्पादों पर प्रतिबंध लगना शुरू हो गया है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार विशेष रूप से अमरीका, यूरोप में चीन के घटिया उत्पादों की बिक्री घटी है। पिछली दीपावली में भारत में ही चीन के उत्पादों की बिक्री 60 प्रतिशत गिरी है।
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 अर्थव्यवस्था हो जाएगी  डांवाडोल 
मांग घटने से चीन की अर्थव्यवस्था डांवाडोल होने की स्थिति में है ऐसे में चीन की सरकार के लिए अपने उत्पादकों को भारी रियायत देना आसान नहीं होगा। दूसरी ओर चीन अपने उत्पादों को सस्ता बनाने के लिए पहले ही मुद्रा का अवमूल्यन कर चुका है। वह ऐसा बार-बार नहीं कर सकता। कुल मिलाकर चीनी उत्पादों के बुरे दिन शुरू हो गए हैं और उसके लिए स्वयं चीन की सरकार ही जिम्मेदार है। चीन के कारोबारियों का कहना है कि प्रतिस्पर्धा की वजह से पिछले पांच साल में उत्पादों की कीमत में तकरीबन 90 प्रतिशत तक कटौती कर चुके हैं। उनकी मानें तो पिछले तीन सालों में मजदूरी दोगुनी बढ़ने और गुणवत्ता पर ध्यान देने से चीन में बने सामान भी सस्ते नहीं रह जाएंगे।
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जर्मनी जैसा हो जाएगा हाल
यूरोपीय संघ और दुनिया के 49 बड़े देशों को लेकर जारी ‘मेड इन कंट्री इंडेक्स’ (MICI-2017) में उत्पादों की गुणवत्ता के मामले में चीन भारत से 7 पायदान नीचे रहा। इंडेक्स में भारत को 36 अंक वहीं चीन को 28 अंक मिले हैं। चीन को समझना होगा कि वह भले ही अपनी इंजीनियरिंग कारीगरी से अपने उत्पादों को दुनिया के बाजारों में पाटकर फूले न समाता हो, पर वह दिन दूर नहीं जब उसकी हालत 19वीं सदी के समापन के दौर की उस जर्मनी जैसी हो जाएगी जो अपने गुणवत्ताहीन उत्पादों के लिए दुनिया भर में बदनाम हुआ।

1000 चीनी कंपनियां हो जाएंगी बर्बाद
मौजूदा समय में चीन की करीब 1000 कंपनियों के कार्यालय भारत में हैं। यही नहीं चीन ने भारत में अपना बैंक भी स्थापित कर लिया है। अगर चीन सीमा पर तनाव को कम नहीं करता है तो इन कंपनियों के भविष्य पर दांव लग सकता है और साथ ही भारत चीन से वस्तुओं के आयात पर पुनर्विचार के लिए बाध्य होगा।

  
 


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