बच्चों की खांसी की दवा पर सख्त नियम, स्वास्थ्य मंत्रालय की एडवाइजरी- 2 साल से छोटे बच्चों को कफ सिरप न दें

punjabkesari.in Friday, Oct 03, 2025 - 07:25 PM (IST)

नेशनल डेस्क : मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा और राजस्थान के भरतपुर व सीकर में किडनी फेल से अब तक 12 मासूमों की मौत हो चुकी है। आशंका जताई जा रही है कि इन मौतों की वजह खांसी का सिरप हो सकता है। इस घटना के बाद मामला पूरे देश में सुर्खियों में है। इसी बीच केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बच्चों में खांसी की दवा को लेकर महत्वपूर्ण एडवाइजरी जारी की है।

एडवाइजरी में कहा गया है कि बच्चों को खांसी-जुकाम की दवा बहुत सोच-समझकर और सीमित मात्रा में ही दी जाए। मंत्रालय ने साफ किया कि ज्यादातर बच्चों में खांसी-जुकाम अपने आप ठीक हो जाते हैं और इसके लिए दवाओं की जरूरत नहीं होती। 2 साल से छोटे बच्चों को खांसी-जुकाम की दवा बिल्कुल न देने की सख्त हिदायत दी गई है।

स्वास्थ्य मंत्रालय ने आगे बताया कि 5 साल से छोटे बच्चों को आमतौर पर ये दवाएं नहीं दी जानी चाहिए। वहीं, 5 साल से ऊपर के बच्चों को दवा तभी दी जाए जब डॉक्टर जांच के बाद इसे जरूरी समझें। वह भी कम से कम मात्रा और सीमित समय के लिए। बच्चों की देखभाल में घरेलू और गैर-दवाई उपायों पर जोर देने की बात कही गई है, जैसे पर्याप्त पानी, आराम और सहायक देखभाल।

सिर्फ सुरक्षित दवाएं ही मिलेंगी
मंत्रालय ने सभी अस्पतालों, दवा दुकानों और स्वास्थ्य केंद्रों को निर्देश दिया है कि वे केवल गुड मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस (GMP) के तहत बनी और सुरक्षित दवाएं ही खरीदें और बच्चों को दें। राज्यों और जिलों के स्वास्थ्य अधिकारियों को यह एडवाइजरी सरकारी अस्पतालों, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC), सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC), जिला अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों तक पहुंचाने के निर्देश दिए गए हैं।

सरकार ने सभी स्वास्थ्य सेवा केंद्रों और दवा विक्रेताओं को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि केवल अच्छी विनिर्माण प्रथाओं के तहत निर्मित और फार्मास्युटिकल-ग्रेड एक्सीपिएंट्स से तैयार दवाओं का ही वितरण हो। सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों में चिकित्सकों और फार्मासिस्टों को इसके लिए संवेदनशील करने की अपील की गई है।

राजस्थान में जांच रिपोर्ट आई सामने
वहीं, राजस्थान में खांसी सिरप से जुड़े साइड इफेक्ट्स के मामले की जांच में सरकार ने दवा कंपनी को क्लीन चिट दे दी है। स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने इसकी पुष्टि की है। जांच रिपोर्ट के अनुसार, दवा को स्टैंडर्ड क्वालिटी का पाया गया है। सीकर, भरतपुर और झुंझुनू से लिए गए सैंपल की लैब रिपोर्ट भी इसी निष्कर्ष पर पहुंची है।


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Content Editor

Shubham Anand

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