छठ व्रत: 36 घंटे का व्रत क्या सभी महिलाओं के लिए है सुरक्षित? जानें इसपर क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स
punjabkesari.in Saturday, Oct 25, 2025 - 09:19 PM (IST)
नेशनल डेस्क: छठ पूजा हिंदू धर्म का एक प्रमुख और पवित्र त्योहार है, जो सूर्य देव और छठी मैया की उपासना को समर्पित है। यह पर्व विशेष रूप से बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड और नेपाल में अत्यंत श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। छठ व्रत को सबसे कठिन उपवासों में से एक माना जाता है, क्योंकि इसमें व्रती महिलाएं लगभग 36 घंटे का निर्जला उपवास रखती हैं, जिसमें भोजन और पानी दोनों का पूर्ण परहेज किया जाता है।
व्रत की प्रक्रिया
छठ पूजा की शुरुआत नहाय-खाय से होती है, जिसमें व्रती शुद्ध और सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं। इसके बाद खरना के दिन खीर और फल खाकर व्रत की शुरुआत होती है। व्रत के मुख्य दो दिन — संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य — सबसे महत्वपूर्ण होते हैं, जब व्रती नदी, तालाब या घाट पर खड़े होकर सूर्यास्त और सूर्योदय के समय सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं। इस पूजा का उद्देश्य परिवार की सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य और शांति की कामना करना होता है।
स्वास्थ्य के लिहाज से जरूरी सावधानी
विशेषज्ञों का मानना है कि छठ व्रत जितना पवित्र है, उतना ही चुनौतीपूर्ण भी। लंबे समय तक निर्जला उपवास हर महिला के लिए सुरक्षित नहीं है। खासकर गर्भवती महिलाएं, स्तनपान कराने वाली माताएं, बीमार महिलाएं, या ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर की समस्या से जूझ रही महिलाएं इस व्रत के दौरान विशेष सावधानी बरतें।
लंबे समय तक भोजन और पानी न लेने से शरीर में कमजोरी, डिहाइड्रेशन, चक्कर, ब्लड प्रेशर में उतार-चढ़ाव और मानसिक थकान जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसलिए जरूरी है कि महिलाएं अपनी शारीरिक क्षमता और स्वास्थ्य स्थिति को ध्यान में रखते हुए ही व्रत करने का निर्णय लें।
विशेषज्ञ की सलाह
आरएमएल अस्पताल के मेडिसिन विभाग के विशेषज्ञ डॉ. सुभाष गिरी का कहना है कि छठ व्रत को सुरक्षित रूप से निभाने के लिए पहले डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी है, खासकर उन लोगों के लिए जिन्हें पहले से कोई स्वास्थ्य समस्या है। व्रत शुरू करने से पहले हल्का और पौष्टिक भोजन करना चाहिए, जिसमें खीर, फल, सब्जियां और पर्याप्त पानी शामिल हों। निर्जला उपवास के दौरान अत्यधिक शारीरिक श्रम या थकाने वाले काम से बचना चाहिए।
यदि किसी को अत्यधिक कमजोरी या चक्कर महसूस हो, तो तुरंत व्रत तोड़ देना चाहिए। अर्घ्य के समय नदी या तालाब में जाने से पहले शरीर को आराम देना जरूरी है। इसके साथ ही पर्याप्त नींद और मानसिक शांति बनाए रखना भी आवश्यक है।
व्रती महिलाओं के लिए जरूरी टिप्स
व्रत शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।
हल्का, पौष्टिक और सात्विक भोजन करें।
निर्जला व्रत के दौरान भारी काम न करें।
पर्याप्त पानी पीएं और डिहाइड्रेशन से बचें।
कमजोरी या चक्कर आने पर व्रत तुरंत तोड़ दें।
सूर्य को अर्घ्य देते समय सावधानी बरतें।
पर्याप्त नींद लें और शरीर को आराम दें।
