संसद भवन परिसर में मूर्तियों की जगह बदलना सरकार की मनमानी- खरगे

punjabkesari.in Sunday, Jun 16, 2024 - 11:30 PM (IST)

नेशनल डेस्कः कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने संसद भवन परिसर में प्रमुख नेताओं की प्रतिमाओं को उनके मूल स्थान से हटाकर दूसरी जगह स्थापित करने को संसदीय नियमों और परंपराओं का उल्लंघन करार देते हुए कहा है कि इस मामले में सरकार ने किसी से विचार विमर्श किए बिना मनमानी की है। खरगे ने कहा 'संसद भवन परिसर में महात्मा गांधी और डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर समेत कई महान नेताओं की मूर्तियों को प्रमुख स्थानों से हटाकर बिना किसी परामर्श के मनमाने ढंग से कोने में स्थापित कर दिया गया है और यह हमारे लोकतंत्र की मूल भावना का उल्लंघन है। पूरे संसद भवन में लगभग 50 ऐसी मूर्तियाँ हैं। संसद भवन परिसर में प्रत्येक मूर्ति का स्थान विशेष महत्व रखता है।'

खरगे ने कहा 'पुराने संसद भवन के ठीक सामने स्थित ध्यान मुद्रा में महात्मा गांधी की प्रतिमा भारत की लोकतांत्रिक राजनीति के लिए अत्यधिक महत्व रखती है। सदस्यों ने अपने भीतर महात्मा की भावना को आत्मसात करते हुए उनकी प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित की। यह वह स्थान है जहां सदस्य अक्सर अपनी उपस्थिति से शक्ति प्राप्त करते हुए शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन करते थे। डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की प्रतिमा भी एक सुविधाजनक स्थान पर रखी गई थी। बाबा साहब की यह मूर्ति सांसदों की पीढि़यों को संविधान में निहित मूल्यों और सिद्धांतों को द्दढ़ता से बनाए रखने का संदेश देती है।

संयोग से 60 के दशक के मध्य में अपने छात्र जीवन के दौरान मैं संसद भवन परिसर में बाबासाहेब की प्रतिमा स्थापित करने की मांग में सबसे आगे था। गहन विचार विमर्श के बाद और सबके प्रयास से बाबासाहेब की प्रतिमा सही और सबकी सुविधा वाली जगह पर स्थापित की गई थी। इससे बाबा साहब को श्रद्धांजलि देने वाले लोगों की आवाजाही में भी सुविधा हुई।'

खरगे ने कहा 'यह सब अब मनमाने और एकतरफ़ा तरीके से उठाया गया कदम है।संसद भवन परिसर में राष्ट्रीय नेताओं और सांसदों के चित्रों और मूर्तियों को स्थापित करने के लिए एक समिति है जिसे‘संसद भवन परिसर में राष्ट्रीय नेताओं और सांसदों के चित्रों और मूर्तियों की स्थापना पर समिति'कहा जाता है लेकिन 2019 से समिति का पुनर्गठन नहीं किया गया है।' उन्होंने कहा कि संबंधित हितधारकों के साथ उचित चर्चा और विचार-विमर्श के बिना सरकार ने यह निर्णय लिया है जो संसदीय नियम और परंपराओं के खिलाफ हैं।

 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Yaspal

Related News