सावधान! रातभर करवटें बदलना नहीं है सामान्य, हो सकता है गंभीर बीमारी का संकेत
punjabkesari.in Sunday, Aug 03, 2025 - 06:14 PM (IST)

नेशनल डेस्क : क्या आपकी रातें करवटें बदलते हुए बीत जाती हैं? सुबह उठने के बाद भी थकावट महसूस होती है? अगर हां, तो यह सिर्फ थकान या तनाव नहीं, बल्कि आपकी सेहत के लिए एक बड़ा अलार्म हो सकता है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि नींद पूरी न होना शरीर और दिमाग दोनों पर बुरा असर डालता है। आज की तेज़ रफ्तार जिंदगी, काम का दबाव, मोबाइल-लैपटॉप का ज़रूरत से ज्यादा इस्तेमाल और खराब लाइफस्टाइल इस परेशानी को और बढ़ा रहे हैं।
रात भर करवटें बदलना किस बात का संकेत हो सकता है?
अगर आपको रात में ठीक से नींद नहीं आती, बार-बार करवट लेनी पड़ती है, दिल की धड़कन तेज हो जाती है या बेचैनी महसूस होती है, तो यह हाइपोथायरायडिज्म (Hypothyroidism) नामक हार्मोनल गड़बड़ी का संकेत हो सकता है। इस स्थिति में थायरॉयड ग्रंथि असंतुलित रूप से काम करने लगती है। रिसर्च में यह भी पाया गया है कि जो लोग ठीक से नहीं सो पाते, उनमें गंभीर बीमारियों का खतरा ज्यादा होता है – जैसे कि हार्ट डिजीज, कैंसर और समय से पहले मृत्यु का जोखिम।
नींद पूरी न होने के असर
वजन और ब्लड प्रेशर पर असर - नींद पूरी न होने से वजन तेजी से बढ़ सकता है और ब्लड प्रेशर भी अनियंत्रित हो सकता है। इम्यून सिस्टम कमजोर पड़ने से बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है।
दिमागी थकान और चिड़चिड़ापन - पूरी नींद न लेने से छोटी-छोटी बातें भी परेशान करती हैं, मूड बार-बार खराब होता है और किसी काम में मन नहीं लगता।
स्किन पर असर - रात को नींद के दौरान त्वचा खुद को रिपेयर करती है। लेकिन अगर नींद पूरी न हो तो चेहरे का ग्लो खत्म हो जाता है, डार्क सर्कल, पिंपल्स और समय से पहले झुर्रियां दिखने लगती हैं।
दिल की सेहत पर खतरा - बार-बार नींद टूटने से दिल पर असर पड़ सकता है। इससे हार्ट अटैक, स्ट्रोक और हाई ब्लड प्रेशर का खतरा भी बढ़ जाता है।
पाचन प्रणाली पर प्रभाव - नींद की कमी पेट की सेहत को भी बिगाड़ सकती है। पाचन खराब होना, गैस, अपच और एसिडिटी जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं क्योंकि हमारे गट में मौजूद अच्छे बैक्टीरिया का संतुलन बिगड़ता है।
क्या करें?
अगर आप भी रात में बार-बार उठते हैं या नींद न आने की समस्या से जूझ रहे हैं, तो इसे हल्के में न लें। समय पर सोने की आदत डालें, मोबाइल-लैपटॉप से दूरी बनाएं और योग-प्राणायाम या मेडिटेशन से मानसिक शांति पाने की कोशिश करें। अगर समस्या बनी रहती है, तो डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें।