कुम्भ के ''शाही स्नान'' का नाम बदले, ये उर्दू और गुलामी का प्रतीक... अखाड़ा परिषद अध्यक्ष की मांग

punjabkesari.in Thursday, Sep 05, 2024 - 02:22 PM (IST)

नेशनलश डेस्क : देश में लगातार जगहों के नाम बदलने की प्रक्रिया बढ़ रही है। इस बीच, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रवींद्र पुरी ने कुम्भ के शाही स्नान का नाम बदलने की मांग की है। उनका कहना है कि "शाही" शब्द उर्दू का है और यह मुगलों द्वारा दिया गया था, जो गुलामी का प्रतीक है। उन्होंने सुझाव दिया है कि इस स्नान का नाम "राजसी स्नान" रखा जाए, जो सनातन धर्म की परंपरा के अनुरूप होगा। रवींद्र पुरी ने कहा है कि इस मुद्दे को अखाड़ा परिषद की बैठक में उठाया जाएगा।

महाकुंभ का आयोजन
यूपी के प्रयागराज में जनवरी 2025 में महाकुंभ का आयोजन होने जा रहा है। इस महाकुंभ के दौरान 14 जनवरी को मकर संक्रांति, 29 जनवरी को मौनी अमावस्या, और 3 फरवरी को वसंत पंचमी पर शाही स्नान होगा। शाही स्नान को अमृत स्नान माना जाता है, जिसमें अखाड़ों के आचार्य महामंडलेश्वर, महंत, और नागा साधु स्नान करते हैं। यह परंपरा सदियों पुरानी है।

रवींद्र पुरी की टिप्पणी
रवींद्र पुरी ने कहा कि "शाही" उर्दू का शब्द है, जबकि "राजसी" संस्कृत का शब्द है और यह सनातनी परंपराओं का प्रतीक है। उन्होंने आरोप लगाया कि "शाही" शब्द गुलामी का प्रतीक है और इसे मुगलों द्वारा गढ़ा गया था। पुरी ने बताया कि शाही स्नान का नाम बदलकर "राजसी स्नान" रखा जाना चाहिए। इसके लिए 13 अखाड़ों के प्रतिनिधियों से बातचीत की जाएगी और नए नाम को अंतिम रूप दिया जाएगा। आगामी महाकुंभ से इस नए नाम का उपयोग शुरू किया जाएगा और अधिकारियों को इस परिवर्तन की सूचना दी जाएगी।

उज्जैन में भी उठी थी मांग
मध्य प्रदेश के उज्जैन में भी हाल ही में इसी तरह की मांग उठी थी। स्थानीय विद्वानों, संतों, और भक्तों ने भगवान महाकाल की पारंपरिक सवारी से 'शाही' शब्द को हटाने की अपील की थी। इसके बाद, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने 'शाही सवारी' के बजाय 'राजसी सवारी' शब्द का उपयोग किया था।


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Content Editor

Utsav Singh

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