15 वर्षीय बेटे को बचाने के लिए हर महीने 14 लाख रुपए का इलाज, पिता की तनख्वाह मात्र 14 हजार
punjabkesari.in Monday, Aug 19, 2024 - 12:10 PM (IST)
नेशनल डेस्क: उत्तराखंड के मूल निवासी और जालंधर में रहने वाले 15 वर्षीय तनुज की कहानी किसी पीड़ा से कम नहीं है। तनुज एक गंभीर जेनेटिक बीमारी से जूझ रहा है, जिसे एंजाइम रिप्लेसमेंट थैरेपी द्वारा नियंत्रित किया जा रहा है। इस दुर्लभ बीमारी में तनुज के शरीर में एंजाइम का उत्पादन नहीं हो पाता, जिससे उसका शारीरिक विकास प्रभावित हो रहा है। इलाज का खर्च इतना अधिक है कि हर महीने 14 लाख रुपए की दवा लगती है, जबकि उसके पिता दीपक की मासिक आय केवल 14 हजार रुपए है।
बीमारी का पता और इलाज की शुरुआत
तनुज के पिता दीपक बताते हैं कि उनका बेटा 2008 में जालंधर में पैदा हुआ था। शुरुआती 5 साल तक वह सामान्य बच्चों की तरह ही था, लेकिन बाद में उसकी शारीरिक वृद्धि रुक गई। उसका चेहरा बड़ा और हाथ-पैर पतले होने लगे। वह छोटी-छोटी चीजों को समझने में कठिनाई महसूस करने लगा। 2014 में दीपक ने तनुज को ESI हॉस्पिटल ले जाया, जहां उसे PGI चंडीगढ़ रेफर कर दिया गया। 2019 में विशेषज्ञ डॉक्टरों ने तनुज की बीमारी की पुष्टि की और तब से उसका इलाज पीजीआई में चल रहा है।
महंगे इलाज का बोझ और ESI की मदद
तनुज के इलाज में हर हफ्ते तीन इंजेक्शन दिए जाते हैं, जिनमें से हर एक की कीमत 1.55 लाख रुपए है। महीने भर के इंजेक्शन का खर्च लगभग 14 लाख रुपए आता है, जो कि ईएसआईसी की ओर से कवर किया जाता है। अब तक तनुज के इलाज पर 3.70 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हैं, जो ईएसआईसी द्वारा किसी एक मरीज पर किया गया अब तक का सबसे बड़ा खर्च है।
पिता की पीड़ा
दीपक बताते हैं कि उन्हें इलाज के सिलसिले में बार-बार PGI चंडीगढ़ जाना पड़ता है, जिसके कारण आने-जाने का खर्च भी एक बड़ा बोझ बन गया है। तनुज की बीमारी ने दीपक और उनकी पत्नी को मानसिक और आर्थिक रूप से झकझोर दिया है। अगर ईएसआईसी की सहायता नहीं मिलती, तो तनुज का इलाज संभव नहीं हो पाता। दीपक कहते हैं, "बेटे की इस बीमारी का दर्द सहन करना बहुत मुश्किल है।"
एंजाइम रिप्लेसमेंट थैरेपी: एक दुर्लभ बीमारी का महंगा इलाज
एंजाइम रिप्लेसमेंट थैरेपी एक जेनेटिक बीमारी का इलाज है, जिसे बायोकेमिकल डिसऑर्डर भी कहा जाता है। यह रोग शरीर में एंजाइम की कमी और जीन्स में दोष के कारण होता है। तनुज की इस दुर्लभ बीमारी का इलाज महंगा और लंबा है, लेकिन ईएसआईसी की मदद ने उसकी जिंदगी को बचाने की कोशिशों को बनाए रखा है।