पूजा खेडकर पर केंद्र का एक्शन, IAS सेवा से तत्काल प्रभाव से हटाया

punjabkesari.in Saturday, Sep 07, 2024 - 11:22 PM (IST)

नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने पूर्व परिवीक्षाधीन लोक सेवक पूजा खेडकर को तत्काल प्रभाव से भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) से सेवा मुक्त कर दिया है। आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को यह जानकारी दी। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा खेडकर का चयन रद्द किए जाने के करीब एक महीने बाद सरकार ने यह कदम उठाया है। आईएएस के 2023 बैच की प्रशिक्षु अधिकारी खेडकर पर सरकारी सेवा में चयन के लिए धोखाधड़ी करने और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और दिव्यांगता कोटा का लाभ गलत तरीके से लेने के आरोप हैं। हालांकि, उन्होंने सभी आरोपों से इनकार किया है।

सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार ने छह सितंबर, 2024 के आदेश के तहत आईएएस (परिवीक्षाधीन) नियम, 1954 के नियम 12 के तहत खेडकर को तत्काल प्रभाव से भारतीय प्रशासनिक सेवा से मुक्त कर दिया। उन्होंने बताया कि इस नियम के तहत एक आईएएस अधिकारी को सेवा से ‘‘बर्खास्त'' कर दिया जाता है, जबकि एक परिवीक्षाधीन को ‘‘मुक्त'' किया जाता है। उन्होंने बताया कि नियम 12 के प्रावधानों में से एक प्रावधान यह है कि किसी परिवीक्षाधीन अधिकारी को सेवा में भर्ती के लिए अयोग्य पाए जाने के आधार पर सेवा मुक्त किया जा सकता है।

खेडकर को सिविल सेवा परीक्षा (सीएसई)-2022 के परिणाम के आधार पर अनंतिम रूप से भारतीय प्रशासनिक सेवा (महाराष्ट्र कैडर) आवंटित किया गया था लेकिन पुणे में प्रशिक्षण के दौरान उनपर ताकत और विशेषाधिकारों का दुरुपयोग करने का आरोप लगा। यूपीएससी द्वारा कदाचार के आरोपों की ‘गहन जांच' के बाद जुलाई में दिल्ली पुलिस ने उनके खिलाफ ‘‘तथ्यों को गलत तरीके से प्रस्तुत करने और झूठ बोलने'' के आरोप में आपराधिक मामला दर्ज किया था। रिपोर्ट में सामने आया कि वह सीएसई-2022 और पिछली परीक्षाओं में पात्र अभ्यर्थी बनने के लिहाज से अयोग्य हो सकती हैं, उनके अभ्यर्थन के दावों को सत्यापित करने के लिए 11 जुलाई, 2024 को एक सदस्यीय समिति का गठन किया गया। समिति ने 24 जुलाई, 2024 को अपनी रिपोर्ट सौंपी।

समिति को मिले तथ्यों और निष्कर्षों पर संज्ञान लेते हुए सरकार ने आईएएस (प्रोबेशन) नियम, 1954 के नियम 12 के प्रावधानों के अनुसार संक्षिप्त जांच के लिए कार्यवाही की, जिसमें खेडकर को उचित अवसर देना भी शामिल था। सूत्रों ने बताया कि यह पाया गया कि खेडकर ने 2012 से 2023 के बीच सीएसई के लिए आवेदन किया था और परीक्षा में शामिल हुई थीं।

सूत्रों ने बताया कि खेडकर द्वारा सीएसई-2012 से सीएसई-2023 के बीच अपने सिविल सेवा परीक्षा आवेदन पत्रों में दी गई जानकारी के अनुसार उन्होंने अपने दावा किए गए वर्ग (अन्य पिछड़ा वर्ग और दिव्यांगता वाले व्यक्तियों के लिए तय) में अधिकतम स्वीकार्य सीमा नौ से अधिक बार प्रयास किए थे। खेडकर की सिविल सेवा परीक्षा देने की अधिकतम नौ सीमा 2012 और 2020 के बीच थी यानी सीएसई-2022 से पहले समाप्त हो गई थी। सूत्रों ने बताया कि संक्षिप्त जांच में यह भी पाया गया कि वह सीएसई-2022 में अभ्यर्थी बनने के लिए अयोग्य थीं, जो कि आईएएस में उनके चयन और नियुक्ति का वर्ष था। इसलिए वह भारतीय प्रशासनिक सेवा में भर्ती के लिए अयोग्य थीं।


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Content Writer

Yaspal

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