क्या Rajya Sabha के सभापति को पद से हटाएगा विपक्ष? जानिए क्या है उपराष्ट्रपति को हटाने की पूरी प्रक्रिया

punjabkesari.in Tuesday, Dec 10, 2024 - 02:20 PM (IST)

नेशनल डेस्क: भारत में राजनीति के एक अहम पल में, विपक्षी दलों ने 10 दिसंबर 2024 को उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया है। इस प्रस्ताव पर अब तक 70 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं, और इस कदम के जरिए विपक्ष का उद्देश्य यह है कि वे राज्यसभा के सभापति के पद से धनखड़ को हटाने का प्रयास करेंगे। विपक्षी दलों का आरोप है कि धनखड़ ने राज्यसभा की कार्यवाही में पक्षपातपूर्ण रवैया अपनाया है और कई बार सत्तारूढ़ दल के पक्ष में फैसले लिए हैं, जिससे उन्हें निष्पक्षता पर सवाल उठने लगे हैं। इस अविश्वास प्रस्ताव के जरिए विपक्ष का लक्ष्य है कि राज्यसभा के प्रमुख पद से धनखड़ को हटाया जाए। लेकिन, बड़ा सवाल यह है कि क्या इस प्रस्ताव के बाद उपराष्ट्रपति को पद से हटाया जा सकेगा? क्या संविधान के तहत यह प्रक्रिया इतनी सरल है? आइए, इस पूरी प्रक्रिया को विस्तार से समझते हैं।

क्या है उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया?
भारतीय संविधान के अनुसार, उपराष्ट्रपति पदेन राज्यसभा के सभापति होते हैं। उन्हें हटाने की प्रक्रिया काफी जटिल और संवैधानिक रूप से कठिन है। इसके लिए सबसे पहले राज्यसभा में अविश्वास प्रस्ताव पारित करना जरूरी होता है। इसके बाद लोकसभा से भी प्रस्ताव की सहमति प्राप्त करनी होती है। हालांकि, यह प्रक्रिया किसी भी सामान्य अविश्वास प्रस्ताव से अलग है, और इसमें कई संवैधानिक औपचारिकताएं पूरी करनी होती हैं।

राज्यसभा और लोकसभा में बहुमत की आवश्यकता
उपराष्ट्रपति को राज्यसभा के सभापति पद से हटाने के लिए राज्यसभा में बहुमत से प्रस्ताव पारित कराना होता है। इसके बाद, इस प्रस्ताव को लोकसभा में भी पारित कराना आवश्यक होता है। इसमें सबसे बड़ी चुनौती यह है कि लोकसभा में भाजपा और उनके सहयोगी दलों का बहुमत है, जो कुल 293 सदस्य हैं। वहीं विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के पास केवल 236 सदस्य हैं, जो बहुमत के आंकड़े 272 से काफी कम हैं। अगर विपक्ष 14 अन्य दलों का भी समर्थन हासिल कर लेता है, तो भी यह प्रक्रिया आसान नहीं होगी। इसके अलावा, अगर इस प्रस्ताव को राज्यसभा में पारित किया जाता है, तो उसे लोकसभा में भी साधारण बहुमत से मंजूरी मिलनी जरूरी है। लोकसभा में एनडीए का बहुमत और विपक्षी दलों के कम आंकड़े इसे पारित कराने के लिए एक बड़ी बाधा हो सकती है।

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 67 में क्या कहा गया है?
संविधान के अनुच्छेद 67 में उपराष्ट्रपति को उनके पद से हटाने की प्रक्रिया स्पष्ट रूप से वर्णित है। इसके अनुसार, उपराष्ट्रपति को हटाने का प्रस्ताव तब ही पेश किया जा सकता है, जब इसे राज्यसभा के सभी वर्तमान सदस्य (रिक्त सीटों को छोड़कर) के बहुमत से पारित किया जाए। इसके बाद, लोकसभा से भी इसका समर्थन प्राप्त करना आवश्यक होता है। इसके अलावा, इस प्रक्रिया में एक महत्वपूर्ण शर्त है कि इस प्रस्ताव को पेश करने से कम से कम 14 दिन पहले नोटिस देना जरूरी होता है। इस नोटिस में यह स्पष्ट रूप से बताया जाना चाहिए कि उपराष्ट्रपति को पद से हटाने का प्रस्ताव लाया जा रहा है। 

संविधान के अनुच्छेद 67(बी) के तहत क्या है प्रक्रिया?
संविधान के अनुच्छेद 67(बी) में उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए जो प्रक्रिया दी गई है, वह और भी जटिल है। इसके तहत, उपराष्ट्रपति को केवल तब हटाया जा सकता है जब राज्यसभा में उनका बहुमत से अविश्वास प्रस्ताव पारित हो। इस प्रस्ताव के लिए राज्यसभा के सभी सदस्यों की सहमति जरूरी होती है। इसके बाद, लोकसभा में इसे साधारण बहुमत से पारित करना होता है। इस प्रक्रिया में 14 दिनों का नोटिस देना आवश्यक है, और इस नोटिस में प्रस्ताव लाने का इरादा भी स्पष्ट करना होता है। 

क्या होगा यदि प्रस्ताव पारित नहीं होता?
यदि इस प्रस्ताव को राज्यसभा में बहुमत से पारित नहीं किया जाता, तो उपराष्ट्रपति को हटाने का प्रस्ताव विफल हो जाएगा। चूंकि उपराष्ट्रपति का पद संवैधानिक है और उनकी नियुक्ति भारतीय राष्ट्रपति द्वारा की जाती है, ऐसे में इस प्रक्रिया को सफल बनाना विपक्ष के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण होगा। इसके अलावा, इस प्रक्रिया में कई संवैधानिक औपचारिकताएं पूरी करनी होती हैं, जो आसानी से संभव नहीं हो सकतीं। 

क्या राज्यसभा के सभापति को हटाने से संसदीय कार्यवाही प्रभावित होगी?
एक अन्य महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यदि इस प्रस्ताव को राज्यसभा में पेश किया जाता है, तो उस दौरान राज्यसभा के सभापति को सदन की अध्यक्षता नहीं करनी होती है। इस दौरान, राज्यसभा का कार्य स्थगित हो सकता है या अन्य किसी सदस्य को अस्थायी रूप से सभापति की जिम्मेदारी दी जा सकती है। उपराष्ट्रपति को हटाने की प्रक्रिया एक संवैधानिक और जटिल प्रक्रिया है, जिसे विपक्ष के लिए पारित कराना आसान नहीं होगा। यदि विपक्ष इस प्रस्ताव को राज्यसभा और लोकसभा में बहुमत से पारित कर पाने में सक्षम होता है, तो ही यह प्रक्रिया सफल हो पाएगी। हालांकि, वर्तमान में राज्यसभा और लोकसभा में सत्तारूढ़ दल के पास बहुमत होने के कारण विपक्ष को इस प्रस्ताव के सफल होने की संभावना कम ही नजर आती है। इसके बावजूद, इस प्रस्ताव ने भारतीय राजनीति में एक नया मोड़ ला दिया है और आने वाले समय में इस पर और चर्चाएं हो सकती हैं।
 


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Content Editor

Mahima

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