वक्फ विधेयक के बहाने केंद्र मुसलमानों को निशाना बना रहा: ममता बनर्जी
punjabkesari.in Monday, Dec 02, 2024 - 10:28 PM (IST)
कोलकाताः पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने वक्फ (संशोधन) विधेयक को लेकर सोमवार को भाजपा नीत केंद्र सरकार पर मुसलमानों को निशाना बनाने का आरोप लगाया और संसद में इसके पारित हो सकने पर संदेह जताया। बांग्लादेश में अल्पसंख्यक हिंदू आबादी का घटना और पड़ोसी देश में जारी अशांति पर बात करते हुए उन्होंने इस मामले में केंद्र की कथित निष्क्रियता पर भी सवाल उठाया।
वक्फ (संशोधन) विधेयक के विरोध में एक प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विधानसभा में ममता ने भाजपा नीत केंद्र सरकार पर हमला करते हुए उस पर ‘‘विभाजन को बढ़ावा देने, संवैधानिक नियमों की उपेक्षा करने और बांग्लादेश के अल्पसंख्यकों, एनआरसी (राष्ट्रीय नागरिक पंजी), यूसीसी (समान नागरिक संहिता) और सीएए (नागरिकता संशोधन अधिनियम) जैसे मुद्दों से गलत तरीके से निपटने का आरोप लगाया।'' उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र ने इस विषय पर राज्य सरकारों की अनदेखी की है। मुख्यमंत्री ने दावा किया, ‘‘केंद्र ने वक्फ विधेयक पर हमसे परामर्श नहीं किया।''
ममता ने प्रस्तावित विधेयक के समय और प्रक्रिया पर भी सवाल उठाते हुए कहा, ‘‘बजट सत्र फरवरी में है। क्या आप उससे पहले राज्य के साथ इस विधेयक पर चर्चा नहीं करेंगे? क्या इसके लिए समय नहीं है? क्या आप राज्य से परामर्श नहीं करेंगे? हमने एक विज्ञापन देखने के बाद आपत्ति जताई है।''
उन्होंने केंद्र पर मुसलमानों को निशाना बनाते हुए ‘‘विभाजनकारी एजेंडा'' को आगे बढ़ाने का आरोप लगाया। ममता ने कहा, ‘‘इस वक्फ (संशोधन) विधेयक के नाम पर एक ही धर्म को क्यों निशाना बनाया जा रहा है? मुसलमानों को क्यों निशाना बनाया जा रहा है? क्या आप विभिन्न हिंदू मंदिर न्यासों या चर्च की संपत्तियों के साथ भी ऐसा करने का साहस करेंगे? इसका जवाब है नहीं। लेकिन, एक खास समुदाय को निशाना बनाना आपके विभाजनकारी एजेंडे के अनुकूल है।''
उन्होंने कहा, ‘‘क्या भाजपा संसद में इस विधेयक को पारित कर पाएगी, जबकि उसके पास दो-तिहाई बहुमत नहीं है? ममता ने यह टिप्पणी राज्य के संसदीय कार्य मंत्री शोभनदेव चट्टोपाध्याय द्वारा नियम 169 के तहत पेश किये गए प्रस्ताव पर दो दिवसीय चर्चा के पहले दिन की।
मुख्यमंत्री ने ‘‘वक्फ संपत्तियों के बारे में भ्रामक बयानों'' की आलोचना की और इन आरोपों को निराधार बताया। उन्होंने दावा किया, ‘‘धर्म व्यक्तिगत होता है, लेकिन त्योहार सभी के लिए होते हैं। जो लोग अचानक अपना रुख बदल रहे हैं, वे कल कुछ और कहते थे तथा आज वे कुछ और ही कह रहे हैं। यह सब भ्रमित करने वाला है।'' तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने विधेयक पर संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में विपक्षी सदस्यों को बोलने नहीं देने को लेकर भी भाजपा की आलोचना की।
मुख्यमंत्री ने दावा किया, ‘‘जेपीसी में, विपक्षी सदस्यों को बोलने नहीं दिया गया। यही कारण है कि उन्होंने इसका बहिष्कार किया।'' उन्होंने दावा किया कि जनता के दबाव के कारण संयुक्त संसदीय समिति का गठन किया गया, और आरोप लगाया कि उनकी पार्टी के सांसदों को चर्चा से बाहर रखा गया। ममता ने इस बात पर जोर दिया कि संवैधानिक नियमों का सम्मान किया जाना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘हम दूसरों की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप नहीं कर सकते। संविधान हमें यह अधिकार नहीं देता। क्या आपके पास (भाजपा के पास) बहुमत है? पहले इसे (विधेयक को) लोकसभा में पारित करना होगा, फिर राज्यसभा में। इसे पारित करने के लिए आपको दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी।'' बांग्लादेश में हालात पर मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार को पड़ोसी देश में हिंदुओं की सुरक्षा के लिए कदम उठाने चाहिए। उन्होंने दावा किया, ‘‘अगर बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की आबादी कम हुई है, तो क्या यह हमारी गलती है? केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर ध्यान क्यों नहीं दिया? क्या वे हाथ पर हाथ धरे बैठे थे? हमने वहां से कई लोगों को लाने की कोशिश की, लेकिन नहीं ला सके। कई हिंदू यहां आना चाहते थे। हमने उनके लिए भोजन की व्यवस्था की, लेकिन आपको यह नहीं पता। कई मुसलमान भी यहां आए।''
ममता ने भाजपा नेताओं की राजनीतिक बयानबाजी में कथित सांप्रदायिकता की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘क्या मुसलमान केवल इसी देश में रहते हैं? क्या वे अन्य देशों में नहीं रहते हैं? फिर आप बंगाल को क्यों निशाना बनाते हैं?'' उन्होंने बेलूर मठ के समावेशी लोकाचार की भी सराहना की। उन्होंने कहा, ‘‘हम किसी की धार्मिक संपत्ति में हस्तक्षेप नहीं कर सकते। मैंने वहां एक दरगाह देखी और एक महाराज ने मुझे बताया कि यह शुरू से ही वहां थी। इसे देखकर मुझे लगा कि हिंदू धर्म सचमुच में महान है।''