केंद्र सरकार ऑर्गन ट्रांसप्लांट के बदल सकती है नियम, सगे-संबंधियों के अलावा अब दूसरे लोग भी कर सकेंगे अंगदान

punjabkesari.in Saturday, Jun 15, 2024 - 08:59 AM (IST)

नेशनल डेस्क: ऑर्गन ट्रांसप्लांट के लिए अब मरीजों के तिमारदारों को अंगों के लिए परिवार के करीबियों पर ही निभर्र नहीं रहना पड़ेगा और न ही इसके लिए लंबा इंतजार करना पड़ेगा। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार दो परिवारों के बीच ऑर्गन एक्सचेंज की योजना पर काम कर रही है। वर्तमान कानून के तहत अधिकांश अंग दान परिवारों के भीतर होते हैं और ब्लड ग्रुप मेल नहीं खाने की परिस्थिति में रोगियों को अंगों की उपलब्धता के लिए अनिश्चित काल तक इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में केंद्र सरकार नऐ नियम लेकर आती है तो हार्ट, किडनी और लीवर की गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को काफी राहत मिल सकती है। इस योजना में हेल्थ इंश्योरेंस कवर देने की प्लानिंग भी है।

पारिवारिक सदस्य अलावा नहीं किसी और को नहीं है इजाजत
अगर ऑर्गन ट्रांसप्लांट के नियम बदले जाते हैं तो परिवार का सदस्य के अंगदान करने में अक्षम होने या उपलब्ध न होने पर कोई दोस्त या जानने वाला अपनी इच्छा से अंगदान कर सकता है। माता, पिता, पुत्र, पुत्री, भाई, बहन और जीवनसाथी जैसे करीबी रिश्तेदारों के बीच अदला-बदली की कानून में पहले से ही अनुमति है। पिछले साल ही लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने अपने पिता को किडनी दान की थी।
बता दें ट्रांसप्लांट के लिए भारत में दो ऑप्शन दिए जाते हैं। पहला जीवित संबधित डोनर और दूसरा वो डोनर जिसकी मृत्यु हो चुकी हो या ब्रेन डेड हो। नजदीकी रिश्तेदार प्रथम श्रेणी के परिवार के सदस्य होते हैं जिन्हें कानून के अनुसार अंगदान के लिए मंजूरी दी जाती है। नजदीकी रिश्तेदारों जैसे दोस्तों या किसी दूसरे परिवार को ऑर्गन डोनेशन के लिए कानून में फिलहाल अनुमति नहीं है। इसकी जांच के लिए एक विशेष समिति का गठन किया गया है।

साल में ट्रांसप्लांट को 2 लाख किडनियों की जरूरत  
स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार भारत में हर साल लगभग 200,000 की आवश्यकता के मुकाबले केवल 6,000 किडनी ट्रांसप्लांट हो पाते हैं। हार्ट ट्रांसप्लांट की दर और भी खराब है, हर साल लगभग 10 से 15 ट्रांसप्लांट ही होते हैं, जबकि 50,000 लोग हार्ट फेलियर से मर जाते हैं। इसी तरह सालाना 2 लाख भारतीय लीवर फेलियर या लीवर कैंसर से अपनी जान गंवा देते हैं।

क्या कहते हैं चिकित्सा विशेषज्ञ
दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में यूरोलॉजी और किडनी प्रत्यारोपण विभाग के प्रमुख डॉ. अनूप कुमार के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि निकट संबंधी प्रथम श्रेणी के पारिवारिक सदस्य हैं जिन्हें कानून के अनुसार अंगदान के लिए मंजूरी दी गई है, और निकट संबंधी के अलावा अन्य जैसे मित्र या कोई अन्य परिवार अंगदान के लिए कानून में अनुमति नहीं देता है। इसकी देखभाल के लिए एक विशेष समिति गठित की गई है, जिसे अभी भी स्वैप दान की अनुमति नहीं है। यदि इस प्रावधान की अनुमति दी जाती है, तो हम दानदाताओं के समूह को बढ़ाने, दानकर्ताओं और प्राप्तकर्ताओं के बीच के अंतर को भरने में सक्षम होंगे।

अंगदाता किसी अन्य परिवार को अंग दे सकेंगे और इसलिए जटिलता और लागत कम होगी। उन्होंने कहा कि अंग दान करने वालों के लिए बीमा स्वास्थ्य कवरेज एक अच्छा कदम है। मृतक दानकर्ताओं में वे लोग शामिल होंगे जो ब्रेन स्टेम डैथ से पीड़ित हैं। सड़क दुर्घटना का शिकार ब्रेन स्टेम मृत  व्यक्ति खुद सांस नहीं ले सकता है, लेकिन उसे वेंटिलेटर सपोर्ट और तरल पदार्थ पर जीवित रखा जा सकता है ताकि हृदय और अन्य अंग काम करते रहें। 

 


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Content Editor

Mahima

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