Cash Deposit Limit: बैंक अकाउंट में एक बार में कितना कैश जमा कर सकते हैं? जानें इनकम टैक्स के नियम
punjabkesari.in Tuesday, Sep 16, 2025 - 10:42 AM (IST)

नेशनल डेस्क: अगर आप तय लिमिट से ज्यादा कैश बैंक खाते में जमा करते हैं, तो आपकी ये जानकारी सीधे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट तक पहुंच जाती है। ऐसे में जरूरी है कि आप पहले से बैंक के कैश डिपॉजिट नियमों को अच्छे से समझ लें, ताकि भविष्य में किसी भी तरह की टैक्स संबंधित परेशानी से बचा जा सके।
सेविंग अकाउंट में कैश जमा करने की लिमिट क्या है?
अगर आपका खाता सेविंग अकाउंट है और आप साल भर में ₹10 लाख या उससे अधिक कैश जमा करते हैं, तो यह लेन-देन बैंक द्वारा इनकम टैक्स विभाग को रिपोर्ट किया जाता है। यह रिपोर्टिंग एक वित्तीय वर्ष (1 अप्रैल से 31 मार्च) के दौरान जमा की गई कुल नकद राशि के आधार पर होती है। यानी अगर आपने अलग-अलग समय पर कई बार मिलाकर ₹10 लाख से अधिक की रकम जमा कर दी, तो भी आप टैक्स विभाग की नजर में आ सकते हैं।
करंट अकाउंट वालों के लिए लिमिट थोड़ी ज्यादा
अगर आप व्यवसायी हैं और आपका खाता करंट अकाउंट है, तो इस मामले में आपके लिए सीमा थोड़ी राहत देने वाली है। करंट अकाउंट में सालाना ₹50 लाख से अधिक नकद जमा होने पर बैंक को इसकी जानकारी टैक्स विभाग को देनी होती है। इसलिए बिजनेस ट्रांजैक्शन करते समय पूरी पारदर्शिता और रिकॉर्ड बनाए रखना बहुत जरूरी है।
क्या एक बार में कितना भी पैसा जमा किया जा सकता है?
तकनीकी रूप से, बैंक में एक बार में कितनी भी राशि जमा की जा सकती है। आप ₹1 लाख, ₹2 लाख या ₹5 लाख तक की रकम भी एक साथ जमा कर सकते हैं। लेकिन बात सिर्फ रकम की नहीं, बल्कि उसके स्रोत (सोर्स) की भी है। अगर आप ज्यादा कैश जमा करते हैं और उसका कोई स्पष्ट हिसाब या वैध दस्तावेज नहीं है, तो इनकम टैक्स विभाग आपसे सवाल-जवाब कर सकता है।
2 लाख रुपये या उससे ज्यादा जमा करते समय PAN अनिवार्य
अगर आप एक बार में ₹2 लाख या उससे अधिक नकद जमा कर रहे हैं, तो बैंक में पैन कार्ड देना अनिवार्य है।
बिना पैन कार्ड के बैंक इस राशि को स्वीकार नहीं करता। इसलिए हमेशा अपने पैन कार्ड की कॉपी साथ रखें, ताकि बाद में कोई अड़चन न आए।
अगर आप नियम तोड़ते हैं तो हो सकता है बड़ा जुर्माना
यदि आपने कैश डिपॉजिट की तय सीमा को पार कर लिया और उसके पीछे की आय का स्रोत नहीं बता पाए, तो इनकम टैक्स विभाग की ओर से नोटिस भेजा जा सकता है। इसके बाद न सिर्फ स्पष्टीकरण देना पड़ेगा, बल्कि स्थिति के अनुसार जुर्माना भी लगाया जा सकता है, जो आपकी आर्थिक परेशानियों को और बढ़ा सकता है।
सावधानी ही बचाव है: रखें रिकॉर्ड और करें डिजिटल लेन-देन
-नकद लेन-देन करते समय उसका पूरा लेखा-जोखा रखें।
-जहां संभव हो, डिजिटल ट्रांजैक्शन का उपयोग करें।
-अगर किसी खास परिस्थिति में बड़ी नकद रकम जमा करनी है, तो पहले अपने चार्टर्ड अकाउंटेंट या बैंक अधिकारी से सलाह लें।