Maharashtra News : महाराष्ट्र में HC के आदेश के बाद अवैध मस्जिद और मदरसे पर चला बुलडोजर, ओवैसी ने CM शिंदे से पूछा सवाल

punjabkesari.in Monday, Sep 30, 2024 - 01:15 PM (IST)

महाराष्ट्र : महाराष्ट्र के पुणे के पिंपरी चिंचवड़ क्षेत्र में अवैध मस्जिद और मदरसे पर बुलडोजर कार्रवाई की गई है। यह कदम महानगर निगम ने उच्च न्यायालय के आदेश के बाद उठाया है, जिसमें निर्देश दिया गया था कि सभी अवैध धार्मिक स्थलों को तोड़ा जाए। यह कार्रवाई प्रशासनिक नियमों और कानून के तहत की गई है, जिसका उद्देश्य अवैध निर्माणों को खत्म करना है। हालांकि, इस पर स्थानीय समुदाय की विभिन्न प्रतिक्रियाएं भी सामने आई हैं, जिससे स्थिति संवेदनशील बन गई है।

विरोध प्रदर्शन की स्थिति
महानगर निगम ने छह महीने पहले सभी अवैध धार्मिक स्थलों को नोटिस भेजा था, लेकिन इन निर्माणों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। इस अवहेलना के बाद निगम ने आधी रात को यह कार्रवाई की।इस कार्रवाई के दौरान, मुस्लिम समुदाय के लोग बड़ी संख्या में वहां इकट्ठा हुए और मस्जिद को बचाने के लिए विरोध प्रदर्शन किया। प्रशासन ने स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए पुलिस बल को तैनात किया। विरोध प्रदर्शन के दौरान कुछ समुदाय के नेताओं को भी पुलिस ने डिटेन किया, जिन्हें सुबह के समय छोड़ दिया गया।

मस्जिद और मदरसे का इतिहास
यह मस्जिद पिछले 25 वर्षों से अस्तित्व में थी, लेकिन हाल के वर्षों में यहाँ दारुल उलूम जामिआ इनामिया नामक एक मदरसा संचालित हो रहा था। इस मदरसे के खिलाफ हिंदू संगठनों ने कई शिकायतें की थीं। इन शिकायतों के आधार पर, उच्च न्यायालय ने इसे अवैध करार दिया, जिसके परिणामस्वरूप प्रशासन ने इसे तोड़ने का आदेश दिया। इस आदेश के तहत, महानगर निगम ने हाल ही में अवैध निर्माण पर कार्रवाई की, जिससे स्थानीय समुदाय में विवाद और विरोध उत्पन्न हुआ। यह मामला धार्मिक भावनाओं और कानूनी प्रक्रियाओं के बीच एक जटिल स्थिति को दर्शाता है।

ओवैसी का CM शिंदे से सवाल
एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पुणे में अवैध मस्जिद और मदरसे पर की गई कार्रवाई पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि पुणे में केवल एक ही मस्जिद को तोड़ा जा रहा है, जबकि उसके आस-पास के हजारों घर भी अवैध हैं। ओवैसी ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे से यह सवाल उठाया कि केवल मस्जिद के खिलाफ ही यह कार्रवाई क्यों की जा रही है, जबकि अन्य अवैध निर्माणों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

यह मामला केवल अवैध निर्माणों से नहीं, बल्कि धार्मिक संवेदनाओं और राजनीतिक विरोधाभासों से भी जुड़ा हुआ है। प्रशासन को चाहिए कि वह इस स्थिति को संभालने में सतर्कता बरते और सभी पक्षों के साथ बातचीत के माध्यम से समाधान निकाले।

 


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Content Editor

Utsav Singh

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