BSP प्रमुख Mayawati ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर उठाए सवाल, Court के जरिए आरक्षण खत्म करने की कोशिश
punjabkesari.in Sunday, Aug 04, 2024 - 09:54 PM (IST)
लखनऊः बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने रविवार को कहा कि उनकी पार्टी अनुसूचित जातियों के उप-वर्गीकरण की अनुमति देने वाले सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले से कत्तई ‘सहमत' नहीं है। मायावती ने कहा, “अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लोगों के उप-वर्गीकरण की अनुमति दी गई है, हमारी पार्टी इससे कत्तई सहमत नहीं है।”
सुप्रीम कोर्ट ने गुरूवार एक ऐतिहासिक फैसले में कहा था कि राज्यों को अनुसूचित जातियों के भीतर उप-वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार है, ताकि उन जातियों को आरक्षण प्रदान किया जा सके जो सामाजिक और शैक्षणिक रूप से अधिक पिछड़ी हैं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि राज्यों को पिछड़ेपन और सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व के ‘मात्रात्मक और प्रदर्शन योग्य आंकड़ों' के आधार पर उप-वर्गीकरण करना होगा, न कि ‘मर्जी' और ‘राजनीतिक लाभ' के आधार पर।
6:1 के बहुमत से सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली सात-सदस्यीय संविधान पीठ ने 6:1 के बहुमत के फैसले के जरिये ‘‘ई वी चिन्नैया बनाम आंध्र प्रदेश सरकार'' मामले में शीर्ष अदालत की पांच-सदस्यीय पीठ के 2004 के फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि अनुसूचित जातियों (एससी) के किसी उप-वर्गीकरण की अनुमति नहीं दी जा सकती, क्योंकि वे अपने आप में स्वजातीय समूह हैं।
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस पंकज मिथल ने एक अलग फैसले में कहा कि आरक्षण नीति पर नए सिरे से विचार करने की जरूरत है और अनुसूचित जाति (एससी), अनुसूचित जनजाति (एसटी) तथा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लोगों के उत्थान के लिए नए तरीकों की जरूरत है। मायावती ने कहा, “क्योंकि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों द्वारा अत्याचारों का सामना एक समूह के रूप में किया गया है और यह समूह समान है, इसलिए किसी भी तरह का उप-वर्गीकरण करना सही नहीं होगा।”
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, “हमने माननीय सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि वह अपने फैसले पर पुनर्विचार करें, नहीं तो इस देश में जो करोड़ों दलित और आदिवासी समाज के लोग हैं उन्हें पैरों पर खड़ा करने के लिए बाबा साहब बीआर आंबेडकर ने जो आरक्षण की सुविधा दी थी, अगर यह खत्म हो गई तो बड़ा मुश्किल हो जाएगा।”
मायावती ने कहा, “जो लोग कहते हैं कि एससी-एसटी हर मामले में आर्थिक रूप से मजबूत हो गए हैं, तो मैं समझती हूं कि 10 या 11 प्रतिशत लोग ही मजबूत हुए होंगे बाकी 90 प्रतिशत लोगों की हालत तो बहुत ज्यादा खराब है।” उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से लगभग 90 प्रतिशत लोग जिनको आरक्षण की जरूरत है, वो तो बहुत ज्यादा पिछड़ जाएंगे। उनको इस फैसले के अनुसार अगर निकाल दिया जाएगा तो यह बहुत बुरा होगा।”
संविधान में संशोधन करें और संविधान की नौंवी सूची में लाएं
मायावती ने सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा, “” कांग्रेस और भाजपा जो यह कहती है कि वह एससी-एसटी समाज की हिमायती हैं, उनको पहले इनकी पैरवी सही तरीके से करनी चाहिए जो उन्होंने नहीं की। कांग्रेस ने भी इस मामले को लेकर ढुलमुल रवैया अपनाया।'' उन्होंने कहा, “ऐसी स्थिति में केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार से हमें कहना है कि यदि आपकी नीयत साफ है तो यह जो भी फैसला आया है, उसे संसद के अंदर आप (कांग्रेस और भाजपा) लोग संविधान में संशोधन करें और संविधान की नौंवी सूची में लाएं।”
मायावती ने राजनीतिक दलों की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है, हम उसको नहीं मानते क्योंकि संसद को भी अधिकार है कि उसको पलटे। अगर फैसला नहीं पलटते हैं तो कांग्रेस हो, भाजपा हो या फिर दूसरे दलों की एससी-एसटी और ओबीसी के आरक्षण के मामले में नीयत साफ नहीं है।” बसपा प्रमुख ने एक सवाल के जवाब में कहा, “जो जाटव या उनसे मिलती जुलती अन्य जातियां हैं, यदि वे आर्थिक तौर पर मजबूत हो भी गए हैं तो पूरा समाज तो नहीं हुआ। क्रीमीलेयर के जरिये जो मजबूत हो गया उसको फायदा मत दो, हम इसके पक्ष में नहीं हैं, लेकिन 90 प्रतिशत लोगों की हालत बहुत ज्यादा खराब है, उनको तो आरक्षण मिलना चाहिए।”
यह ढुलमुल जजमेंट है
मायावती ने हालांकि कहा, “जो 10 प्रतिशत जाटव या इनसे मिलती जुलती जातियों की आर्थिक स्थिति सुधर भी गई है, लेकिन आज भी जातिवादी लोग उनको पुराने नजरिए से देखते हैं, इसलिए अभी इन सबको आरक्षण की बहुत ज्यादा सख्त जरूरत है।” उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने अभी कोई पैमाना तय नहीं किया है, यह ढुलमुल जजमेंट (फैसला) है। एक तरीके से इसकी आड़ में राज्य सरकारें जो एससी-एसटी को अभी तक आरक्षण मिलता रहा है, उसको बिल्कुल निष्प्रभावी बना देंगी। लोगों को इसका लाभ नहीं मिलेगा।”
मायावती ने कहा, “एससी-एसटी को जो आरक्षण मिला है वह शैक्षिक, सामाजिक और आर्थिक विषमता बराबर हो, इस आधार पर मिला है। इन वर्गों के मामलों में सामाजिक दृष्टिकोण अभी बदला नहीं है, इसलिए इनको अभी आरक्षण मिलना बहुत जरूरी है।” बसपा की ओर से जारी प्रेस बयान में दावा किया गया कि एक अगस्त 2024 को माननीय सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद केंद्र और राज्य सरकारों के बीच मतभेद की स्थिति भी पैदा होगी।
मायावती ने यह भी आरोप लगाया कि इस फैसले से एससी और एसटी से आरक्षण छिन जाएगा जो फिर सामान्य वर्ग को दिया जाएगा। उनके हवाले से बयान में कहा गया, “इस तरह से इस आदेश से कई ऐसी समस्याएं पैदा होंगी जिससे एससी और एसटी को दिया जा रहा आरक्षण खत्म हो जाएगा और फिर नतीजा यह होगा कि वे आरक्षण से वंचित हो जाएंगे। अंत में उनके हिस्से का आरक्षण भी किसी न किसी रूप में सामान्य वर्ग को ही मिलेगा।”